हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।मुकल्लफ पर हज्ज के अनिवार्य होने के लिए आर्थिक और शारीरिक क्षमता की शर्त है, अल्लाह तआला ने फरमाया :
وَلِلَّهِ عَلَى النَّاسِ حِجُّ الْبَيْتِ مَنْ اسْتَطَاعَ إِلَيْهِ سَبِيلا [آل عمران : 97].
“अल्लाह तआला ने उन लोगों पर जो उस तक पहुँचने का सामर्थ्य रखते हैं इस घर का हज्ज करना अनिवार्य कर दिया है।” (सूरत आल-इम्रान : 97)
फुक़हा ने आर्थिक शक्ति की व्याख्या यह की है कि वह तोशा (मार्ग व्यय) और सवारी का मालिक होना है, अर्थात इतना खर्च जो उसे अल्लाह के पवित्र घर तक जाने और वहाँ से वापस आने के लिए पर्याप्त हो, जबकि उसका यह खर्च उसकी बुनियादी ज़रूरतों, शरई खर्चों और क़र्ज़ के भुगतान से अधिशेष हो।
खर्च में एतिबार इस बात का है कि उसके पास इतनी राशि हो जो उसके और उसके परिवार के लिए उसके वापस आने तक के लिए पर्याप्त हो, तथा उसके वापस लौटने के बाद इतनी राशि हो जो उसके लिए और जिन लोगों पर वह खर्च करता है उनके लिए काफी हो जैसे अचल संपत्ति से प्राप्त भाड़ा, या वेतन, या व्यापार इत्यादि, इसीलिए उसके लिए अपने व्यापार के मूल धन से हज्ज करना ज़रूरी नहीं है जिसके लाभ से वह अपने ऊपर और अपने परिवार पर खर्च करता है, यदि मूल धन में कमी होने से उसके लाभ में अभाव का होना निष्कर्षित होता है कि वह उसके और उसके परिवार के लिए पर्याप्त न हो। इसका वर्णन प्रश्न संख्या (11534) के उत्तर में देखिए।
यदि आपके पास इतना धन है जो आपके हज्ज करने के लिए काफी है और वह आपकी ज़रूरत से अधिक है, तो आपके लिए हज्ज करना ज़रूरी है, सिवाय इसके कि नौकरी के छूटने का डर एक वास्तविक डर हो, उसके कुछ लक्षण हों जो उस डर को पक्का करते हों, तो फिर ऐसी स्थिति में आपके ऊपर हज्ज करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि यह डर मात्र भ्रम और गुमान है उनका कोई आधार नहीं है, तो आपके लिए हज्ज करना आवश्यक है।
जहाँ तक उस धन राशि का संबंध है जिसे आप ने विवाह के लिए बचत कर रखा है, तो आपके लिए उससे हज्ज करना ज़रूरी नहीं है यदि आपको निकाह को विलंब करने से अपने ऊपर कठिनाई और कष्ट का भय है, बल्कि आप निकाह को प्राथमिकता दें गे, यदि कोई अन्य धन बाक़ी बचता है तो आप उस से हज्ज करेंगे, अन्यथा आपके ऊपर हज्ज अनिवार्य नहीं है क्योंकि आप के पास सामर्थ्य नहीं है।
इब्न क़ुदामा रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “और यदि उसे निकाह की आवश्यकता है, और वह अपने ऊपर कठिनाई से डरता है, तो वह शादी करने को (हज्ज के ऊपर) प्राथमिकता देगा ; क्योंकि वह उसके ऊपर अनिवार्य है, और वह इसके बिना नहीं रह कसता (उस से उपेक्षा नहीं कर सकता), अतः वह उसके खर्चा के समान है।
और यदि उसे अपने ऊपर कठिनाई का डर नहीं है तो वह हज्ज को प्राथमिकता देगा ; इसलिए कि निकाह नफ्ल है, अतः उसे अनिवार्य हज्ज पर प्राथमिकता नहीं दिया जायेगा।”
“अल-मुग्नी” (3/88)
तथा प्रश्न संख्या (27120) का उत्तर देखें।