गुरुवार 6 जुमादा-1 1446 - 7 नवंबर 2024
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जो व्यक्ति अत्यधिक गति से गाड़ी चलाने के कारण मर गया, क्या उसे आत्महत्या करने वाला माना जाएगा?

प्रश्न

सड़क मार्ग से सफ़र करते समय राजमार्ग (हाईवे) पर बहुत तेज़ गति से गाड़ी चलाने वाले का क्या हुक्म है..  क्या राजमार्ग पर बहुत तेज़ गाड़ी चलाने के परिणामस्वरूप मरने वाले को आत्महत्या करने वाला माना जाएगा? तथा किसी आपात स्थिति के रोगी को अस्पताल ले जाते समय तेज गति से गाड़ी चलाने के कारण मरने वाले व्यक्ति का क्या हुक्म है?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

सबसे पहले :

बहुत तेज़ गति से गाड़ी चलाना अच्छी बात नहीं है, क्योंकि इससे दुर्घटनाएँ और खतरे जन्म लेते हैं। इसलिए विद्वानों ने इसके बारे में सख़्त रवैया अपनाया है और उन्होंने माना है कि निर्दिष्ट गति से अधिक गति से गाड़ी चलाना चालक की ओर से लापरवाही मानी जाएगी। इसलिए उसके कारण होने वाली जीवन या धन की हानि के लिए वह उत्तरदायी है और वह उसकी भरपाई करेगा। तथा उसके परिणामस्वरूप होने वाली हत्या आकस्मिक हत्या (ग़लती से होने वाली हत्या) की श्रेणी में आती है। इसमें रक्त-धन (दीयत) और प्रायश्चित (कफ़्फ़ारा) अनिवार्य है।

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछा गया : अत्यधिक गति से चलने वाली एक कार दुर्घटना के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। क्या यह कहा जा सकता है कि : यह आत्महत्या के अध्यायों में से एक है?

तो उन्होंने जवाब दिया : नहीं, यह आत्महत्या नहीं है। लेकिन उसने खुद को गलती से मार डाला है। यदि यह गति दुर्घटना का कारण थी तो उसने गलती से खुद को मार डाला। क्योंकि अगर उससे पूछा जाता : क्या तुम मरने के लिए इतनी तेज़ गाड़ी चला रहे थे? तो वह ज़रूर कहता : नहीं। अतः यह आत्महत्या नहीं है। लेकिन यह कहा जा सकता है कि : उसने गलती से खुद को मार डाला।” लिक़ाउल-बाब अल-मफ्तूह (19/73) से उद्धरण समाप्त हुआ।

दूसरा :

इनसान का घायलों और बीमारों को अस्पताल ले जाना एक नेक काम है, जिसके लिए उसे अज्र व सवाब दिया जाएगा। लेकिन उसे अत्यधिक गति से गाड़ी चलाने या ट्रैफिक लाइट (लाल बत्ती) को पार करने के कारण खुद को या घायल व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए। इसकी वजह से कुछ ऐसा भी हो सकता है जो बीमार व्यक्ति के अस्पताल पहुँचने में देरी का कारण बन सकता है।

इस तेज़ गति के कारण जो व्यक्ति मर गया, तो हम अल्लाह तआला से प्रार्थना करते हैं कि उसे क्षमा कर दे और उसके अच्छे इरादे के लिए उसे प्रतिफल प्रदान करे। तथा इसे आत्महत्या नहीं माना जाएगा, क्योंकि वह खुद को मारने का इरादा नहीं रखता था। बल्कि उसका इरादा बीमार व्यक्ति को जल्दी से अस्पताल पहुँचाकर भलाई करना था।

अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर