हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
कॉस्मेटिक सर्जरी में से कुछ प्रकार अनुमेय है और कुछ हराम (निषिद्ध) है। जो कि इन सर्जरियों को करने के प्रेरक और उद्देश्य पर निर्भर करता है। यदि इसका प्रेरक और उद्देश्य सुंदर दिखना और अधिक सौंदर्य तलाश करना है, तो विद्वान इस प्रकार की सर्जरियों को अल्लाह सर्वशक्तिमान की रचना को बदलना और लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं के अनुसार उसके साथ खिलवाड़ करना मानते हैं। इसलिए ऐसा करने की अनुमति नहीं है, जैसा कि शैख मुहम्मद अल-मुख्तार अश-शन्क़ीती ने अपनी पुस्तक “अहकाम अल-जिराहा” में उल्लेख किया है।
यह निम्नलिखित प्रमाणों पर आधारित है :
पहला : अल्लाह तआला ने इब्लीस (उस पर अल्लाह का अभिशाप हो) के कथन का वर्णन करते हुए फरमाया :
وَلآمُرَنَّهُمْ فَلَيُغَيِّرُنَّ خَلْقَ اللّهِ النساء:119
“और निश्चय मैं उन्हें आदेश दूँगा, तो वे अवश्य अल्लाह की रचना को बदल डालेंगे।” [सूरतुन-निसा : 119]।
दूसरा : अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस कि उन्होंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को उन महिलाओं पर लानत (धिक्कार) भेजते हुए सुना जो अपने चेहरे के बाल (भौहें आदि) उखड़वाने वालियाँ और सुंदरता के लिए दाँतों के बीच विस्तार पैदा करने वालियाँ है, जो अल्लाह की रचना को बदल देती हैं।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 4507) ने रिवायत किया है।
तीसरा : यह सर्जरी केवल दूसरे निषेधों को करने के द्वारा ही की जा सकती है। उन निषेधों में से : एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा देना) है, जो मूल रूप से हराम (निषिद्ध) है, सिवाय इसके कि चिकित्सा उपचार के लिए उसकी आवश्यकता पड़ जाए।
इन्हीं निषेधों में : गुप्तांगों (शर्मगाहों) को उघाड़ना और छूना भी शामिल है। और ये सभी चीजें हराम हैं और इनके संबंध में रियायत देने का कोई शरई रूप से स्वीकार्य कारण नहीं है।
लेकिन अगर इस ऑपरेशन का उद्देश्य किसी पाए जाने वाले दोष को दूर करना है, जैसे कि यदि नितंब या स्तन असामान्य रूप से बड़े हैं, और उद्देश्य उन्हें सामान्य स्थिति पर बहाल करना है, तो इस सर्जरी को करने में कोई हर्ज की बात नहीं है। तथा अधिक जानकारी के लिए, प्रश्न संख्या (47694) का उत्तर देखें।
नववी रहिमहुल्लाह ने अपनी सहीह मुस्लिम की शर्ह (व्याख्या) में अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु की उस हदीस की व्याख्या करते हुए, जिसमें आया है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने गुदना गोदने वालियों और गुदना गोदवाने वालियों पर लानत की है, फरमाया : “जहाँ तक नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के कथन : “सुंदरता के लिए दाँतों के बीच विस्तार पैदा करने वालियाँ” का संबंध है, तो इसका मतलब यह है कि वे सुंदरता की तलाश में (सौंदर्यीकरण के उद्देश्य से) ऐसा करती हैं। और यह इस बात को इंगित करता है कि हराम वह है जो सौंदर्यीकरण के उद्देश्य से किया जाता है, लेकिन अगर एक उपचार (इलाज) के रूप में या दाँतों की खराबी और इस तरह के अन्य दोष के कारण इसकी आवश्यकता होती है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
शैख़ इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा : “दोषों को दूर करना अनुमेय है। इसी कारण नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उस व्यक्ति को जिसकी नाक एक लड़ाई में काट दी गई थी, इस बात की अनुमति प्रदान कर दी कि वह सोने की नाक बनवा ले। इसलिए यह मुद्दा इससे कहीं अधिक व्यापक है। चुनाँचे इसमें सौंदर्यीकरण और कॉस्मेटिक सर्जरी के मुद्दे भी शामलि हो जाते हैं। अतः जो किसी दोष (खराबी) को दूर करने के लिए किया जाता है, तो उसमें कोई हर्ज की बात नहीं है, जैसे कि किसी व्यक्ति की नाक में कुछ टेढ़ापन है, तो वह उसे सीधा करवा ले, या उदाहरण के लिए कोई काला धब्बा हटा दिया जाता है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। लेकिन अगर किसी दोष को दूर करने के लिए ऐसा नहीं किया जाता है, उदाहरण के लिए गुदना गोदना (टैटू बनाना) और चेहरे के बाल (जैसे कि भौहें आदि) उखाड़ना, तो यह मना है।”
“मजमूउल-फतावा” (11/93) से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।