हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
अगर कोई व्यक्ति ख़ुफ़ के ऊपर ख़ुफ़, या मोज़े के ऊपर ख़ुफ़ पहनता है, तो उनमें से किस पर हुक्म लागू होगाॽ इसमें कुछ विवरण है :
शैख मुहम्मद बिन उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा :
“1-यदि वह मोज़े या खुफ़ पहनता है, फिर उसका वुज़ू टूट जाता है, फिर वह वुज़ू करने से पहले एक और मोज़ा पहन लेता है, तो हुक्म पहले वाले पर लागू होगा।
अर्थात् अगर उसके बाद वह मसह करना चाहे तो पहले वाले पर मसह करे और उसके लिए ऊपर वाले मोज़े पर मसह करना जायज़ नहीं है।
2- अगर वह मोज़े या खुफ़ पहने, फिर उसका वुज़ू टूट जाए और वह उनपर मसह करे, फिर उन पर दूसरा मोज़ा पहन ले, तो उसके लिए सही मत के अनुसार दूसरे मोज़े पर मसह करना जायज़ है। उन्होंने “अल-फुरू’” में कहा : “इमाम मालिक के अनुसार यह जायज़ है।” उद्धरण समाप्त हुआ। तथा नववी ने कहा : “यही सबसे स्पष्ट और पसंदीदा है क्योंकि उसने उन्हें पवित्रता की स्थिति में पहना है। और उनका यह कहना कि यह अपूर्ण पवित्रता है, स्वीकार्य नहीं है।” उद्धरण समाप्त हुआ। यदि हम इसे स्वीकार कर लें, तो अवधि की शुरुआत पहले मसह से होगी। और इस मामले में, वह बिना किसी संदेह के पहले (मोज़े) पर भी मसह कर सकता है।
3- अगर वह ख़ुफ़ या मोज़े पर ख़ुफ़ पहन ले और ऊपर वाले मोज़े पर मसह करे फिर उसे उतार दे, तो क्या बाकी बची अवधि में नीचे वाले मोज़े पर मसह करेगाॽ मैंने ऐसा किसी को नहीं देखा जिसने इसे स्पष्ट रूप से कहा हो, लेकिन इमाम नववी ने अबुल-अब्बास बिन सुरैज से उल्लेख किया है कि अगर ख़ुफ़ (चमड़े के मोज़े) के ऊपर जुरमूक़ (ओवरशूज़) पहना जाता है, तो इसके तीन अर्थ हैं, जिनमें से एक यह है कि : वे दोनों एक ख़ुफ़ की तरह हैं, ऊपरी परत को अब्रा और निचली परत को अस्तर कहते हैं। मैं कहता हूँ : इस आधार पर निचली परत पर मसह करना जायज़ है यहाँ तक कि ऊपरी परत पर मसह करने की अवधि समाप्त हो जाए, जैसे कि यदि ख़ुफ़ की ऊपरी परत खुरच दी जाए, तो वह निचली परत पर मसह करेगा।” शैख इब्ने उसैमीन की पुस्तक “फतावा अत-तहारह” (पृष्ठ 192) से उद्धरण समाप्त हुआ।
जुरमूक़ : एक ऐसा मोज़ा जो साधारण मोज़े के ऊपर पहना जाता है, खासकर ठंडे देशों में। ऊपरी और निचली परतों का मतलब यह है कि अगर ख़ुफ़ दो परतों का हो, तो ऊपर वाली परत को अब्रा और नीचे वाली परत को अस्तर कहा जाता है। “अश-शर्ह अल-मुम्ते’” (1/211)।
इस प्रकार यह स्पष्ट हो गया कि यदि कोई व्यक्ति मोज़े के ऊपर खुफ़ पहनता है, फिर उनमें से ऊपर वाले को निकाल देता है, तो उसका मसह नहीं टूटता है। तथा वह मसह करने की अवधि के अंत तक, निचले मोज़े पर उन सभी तीनों हालतों में मसह कर सकता है, जिन्हें शैख ने उल्लेख किया है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।