हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जी हाँ, सभी प्रकार के ज्ञान के पठन में अज्र-व-सवाब है। क़ुरआन के माध्यम से और सुन्नत के माध्यम से ज्ञान सीखने और ज्ञान प्राप्त करने में बहुत बड़ा अज्र-व-सवाब है। क्योंकि ज्ञान क़ुरआन से ग्रहण किया जाता और सुन्नत से ग्रहण किया जाता है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं : “तुममें से सबसे अच्छा वह है, जो ज्ञान को सीखे और उसे सिखाए।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 5027) ने रिवायत किया है। तथा क़ुरआन को पढ़ने के बारे में कई हदीसें आई हैं। उन्हीं में से एक नबीं सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह फरमान है : “क़ुरआन पढ़ो, क्योंकि यह क़ियामत के दिन अपने साथियों के लिए सिफ़ारिशी बनकर आएगा।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 804) ने रिवायत किया है।
तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “क्या तुममें से कोई यह पसंद करता है कि 'बुतहान' (मदीना में एक घाटी का नाम है) जाए। फिर बिना किसी पाप के या रिश्ता-नाता काटे बिना दो बड़ी ऊँटनियाँ लेकर आएॽ उन्होंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! हम सभी इसे पसंद करते हैं। तो आपने कहा : “निश्चय तुममें से किसी व्यक्ति का मस्जिद में जाना और अल्लाह की किताब से दो आयतें सीखना, उसके लिए दो बड़ी ऊँटनियों से बेहतर है, और तीन (आयतें) तीन (ऊँटनियों) से बेहतर हैं, और चार (आयतें) चार (ऊँटनियों) से बैहतर हैं, तथा और अधिक आयतें उन्हीं संख्या में ऊँटनियों से (बेहतर हैं)।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 803) ने रिवायत किया है, या जैसा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया। यह हदीस क़ुरआन को सीखने और क़ुरआन को पढ़ने की श्रेष्ठता को इंगित करती है।
तथा इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस में है : “जिसने क़ुरआन का एक अक्षर पढ़ा, तो उसके लिए एक नेकी है। और एक नेकी उसके दस गुना कर दी जाती है।” इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 2910) ने रिवायत किया है।
यही बात सुन्नत पर भी लागू होती है, अगर मोमिन उसे सीखता है। चुनाँचे हदीसों को पढ़ने और उनका अध्ययन करने का बड़ा अज्र-व-सवाब होगा। क्योंकि यह ज्ञान को सीखने के अंतर्गत आता है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं : “जो व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने के मार्ग पर चला, अल्लाह उसके लिए उसके कारण जन्नत का मार्ग आसान कर देगा।" इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 2646) ने रिवायत किया है। इस हदीस से पता चलता है कि ज्ञान का पाठ करना, हदीसों को याद करना और उनपर चर्चा करना, जन्नत में प्रवेश और जहन्नम से बचाव के कारणों में से हैं।
इसी तरह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह फरमान है : “अल्लाह जिस व्यक्ति का भला चाहता है, उसे धर्म की समझ प्रदान कर देता है।” (सहीह बुख़ारी एवं सहीह मुस्लिम)। और धर्म की समझ की प्राप्ति क़ुरआन के माध्यम से होती और सुन्नत के (भी) माध्यम से होती है। तथा सुन्नत का ज्ञान प्राप्त करना इस बात के संकेतों (प्रमाणों) में से है कि अल्लाह ने उस बंदे के साथ भलाई का इरादा किया है, जिस तरह कि क़ुरआन का ज्ञान प्राप्त करना उसका संकेत है। इस विषय में प्रमाण बहुत-से हैं, और हर प्रकार की प्रशंसा केवल अल्लाह के लिए है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
“फतावा नूरुन अलद-दर्ब लिश-शैख अब्दुल-अज़ीज़ बिन बाज़” (1/11)।