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मैंने अपनी उच्च शिक्षा पूरी की और “मानव संसाधन प्रबंधन” के “कार्मिक प्रबंधन” विशेषज्ञता में प्रमाणपत्र प्राप्त किया, जो प्रतिष्ठित एमबीए (MBA) प्रमाणपत्रों के समूह का एक विशेष प्रमाणपत्र है। हालाँकि, अब जब अल्लाह ने मुझे इस्लाम का पालन करने के लिए मार्गदर्शित किया है, तो मुझे लगता है कि यह योग्यता निम्नलिखित कारणों से बेकार और अनुपयोगी हो गई है : 1. इस योग्यता के आधार पर उपलब्ध सभी नौकरियों में रिबा (ब्याज) लिखना शामिल होता है। 2. लगभग सभी मानव संसाधन नौकरियों में दोनों लिंगों के नए कर्मचारियों को काम पर रखने की आवश्यकता होती है, और इसका मतलब यह है कि नौकरी आवेदक के साथ आयोजित पहले साक्षात्कार में बिना महरम वाली महिला से मिलना होगा, और उसे काम पर रखने के बाद भी प्रदर्शन मूल्यांकन और मानव संसाधन में मेरी नौकरी के अन्य उद्देश्यों के लिए बिना महरम के उसके साथ अकेले रहना होगा। 3. हमारे देश में बिना किसी अपवाद के मानव संसाधन विभाग वाले सभी कार्यस्थल मिश्रित हैं। इसलिए महिलाएँ पुरुषों के सामने अपनी सुंदरता का प्रदर्शन करती हैं। क्या इस्लाम की नैतिकता का पालन करने की आशा में, और अपने सहकर्मियों के लिए एक आदर्श मॉडल बनने और उन्हें इस्लाम धर्म की ओर आमंत्रित करने की आशा में इस नौकरी में काम करना मेरे लिए जायज़ हैॽ या क्या मुझे इस नौकरी से पूरी तरह दूर रहना चाहिए और अन्य कौशल का अध्ययन करना चाहिए, भले ही वे वेतन में कम हों या स्थिति में कम हों, लेकिन मुझे इन बुराइयों की ओर न ले जाएँ?
यदि यही अंतिम समाधान (विकल्प) ही सही है : तो कृपया मुझे ऐसे पेशों के कुछ उदाहरण दें जिनमें ये प्रलोभन (बुराइयाँ) न्यूनतम हों। साथ ही, कृपया मुझे इसके भी उदाहरण दें कि सहाबा अपनी जीविका कैसे अर्जित करते थे। इसके अलावा, कुछ लोगों ने मुझसे यह भी उल्लेख किया था कि पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने नौकरी से ज़्यादा व्यापार को प्राथमिकता दी। क्या इस कथन का कोई आधार या प्रमाण है?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
पहली बात :
कुछ कार्य (नौकरियाँ) अपने आप में हराम हैं, जैसे कि सूदी बैंकों में काम करना, या शराब बेचने वाली दुकानों में काम करना। कुछ कार्य इसलिए हराम होते हैं क्योंकि उनके वातावरण में ऐसी चीज़ें होती हैं जो शरीयत के विरुद्ध हैं, जैसे कि पुरुषों और महिलाओं के बीच मिश्रण, या हराम कपड़े पहनने की शर्त लगाना, या ऐसी वेशभूषा निर्धारित करना जो शरीयत के विरुद्ध है, जैसे कि दाढ़ी शेव कराना। ये दोनों प्रकार के काम करना एक मुसलमान के लिए जायज़ नहीं है।
ये दूसरे प्रकार के कार्य निषेध (हराम होने के स्तर) में भिन्न होते हैं। सबसे ज़्यादा पाप वाला वह होता है जिसमें सूद लिखना या रिकॉर्ड करना शामिल होता है, फिर वह जिसमें हराम चीज़ें बेचना या बनाना शामिल होता है, फिर वह जिसमें कार्यस्थल का माहौल हराम होता है।
इस अंतिम श्रेणी (यानी हराम वातावरण वाले कार्यस्थल) को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि इसका कार्यकर्ता के धर्म और व्यवहार पर प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से महिलाओं का फ़ितना (प्रलोभन) जो कि बनी इसराइल का पहला फ़ितना था और यह मुस्लिम व्यक्ति के लिए सबसे हानिकारक फ़ितना है, जैसा कि हमारे पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें बताया है।
यदि आपके देश में पुरुषों के साथ महिलाओं का मिश्रण (मिलना-जुलना) एक वास्तविकता है और आपको ऐसी नौकरी शायद ही मिले जो इससे मुक्त हो, और आप सोचते हैं कि इन स्थानों पर आपकी उपस्थिति उपयोगी है, और आप कुछ बुरी चीजों को दूर करने में सक्षम हो सकते हैं और कुछ दूसरी बुराइयों को कम कर सकते हैं, और आप अपने उत्तरदायित्व के अधीन कर्मचारियों को उपदेश कर सकते हैं, तथा उन्हें अच्छाई करने का आदेश दे सकते हैं और अपनी क्षमता के अनुसार बुराई करने से रोक सकते हैं, फिर आप ऐसी सावधानियाँ और उपाय कर सकते हैं जो आपको महिलाओं के फितना (प्रलोभन) से बचने में मदद करें, जैसे कि – यदि आप शादीशुदा नहीं हैं तो – अपनी शादी जल्दी कर लेना, उनकी ओर न देखना या उनके साथ अकेले न रहना, जब काम के लिए आपको कुछ महिला कर्मचारियों के साथ बैठने की ज़रूरत हो, तो आप कार्यालय का दरवाज़ा खुला छोड़ सकते हैं, तथा उनके करीब न बैठें, …. वगैरह।
तो (ऐसी स्थिति में) हम समझते हैं कि कार्यस्थल पर आपकी उपस्थिति, जिसमें आप कुछ शरई हितों को प्राप्त कर सकते हैं और कुछ बुराइयों को कम कर सकते हैं, कार्यस्थल को नेक लोगों से रहित रखने और उसे उन लोगों के लिए छोड़ देने से बेहतर है जो धर्म या शरीयत के नियमों पर कोई ध्यान नहीं देते, जिससे बुराइयाँ व्यापक हो जाती और बढ़ती हैं और उनसे लड़ना कठिन हो जाता है। कितने ही शिक्षकों और विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने मिश्रित विश्वविद्यालयों में पढ़ाया है और अल्लाह ने उनके द्वारा बहुत लाभ पहुँचाया और उनके ज़रिए बहुत सारी बुराइयों को रोका।
हम सर्वशक्तिमान अल्लाह से आशा करते हैं कि आप इन सुधारकों में से एक होंगे।
हालाँकि, अगर काम पर आने के बाद आपको लगता है कि आप अपनी धार्मिक प्रतिबद्धता का पालन नहीं कर सकते हैं और आप धीरे-धीरे वर्जित चीजों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, तो आपके पास तुरंत काम छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, और जो कोई भी अल्लाह के लिए कुछ छोड़ देता है, तो अल्लाह उसे उससे बेहतर चीज़ प्रदान करता है, जैसा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है।
दूसरी बात :
जहाँ तक सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम के कार्यों की बात है, जिनसे वे अपनी आजीविका अर्जित करते थे : वे बहुत और विविध हैं।
जहाँ तक सहाबा के कार्यों की बात है, जिनसे वे अपनी आजीविका अर्जित करते थे : तो वे कई और विविध थे, जिनमें निम्न शामिल हैं :
व्यापार, जैसे अबू बक्र सिद्दीक़, उसमान बिन अफ्फान और अब्दुर-रहमान बिन औफ़ रज़ियल्लाहु अन्हुम व्यापार करते थे।
कृषि, चाहे वे खेतों के मालिक हों या उनमें काम करने वाले हों। मुहाजिरीन और अंसार के कई समूह इसके माध्यम से कमाई करते थे।
पेशेवर नौकरियाँ (कुशल शिल्प), जैसे लोहार का काम, बढ़ईगीरी वगैरह।
ऐसी नौकरियाँ जो राज्य से संबंधित हैं : जैसे शिक्षण, ज़कात की वसूली का काम, न्यायपालिका और इसी के समान चीज़ें।
इसी तरह, जिहाद से होने वाली कमाई, जैसे ग़नीमत का धन भी इसी में शामिल हैं।
लेकिन उस समय के जीवन की प्रकृति, व्यवसायों और उद्योगों और आज के लोगों के बीच एक बड़ा अंतर है, और जैसा कि वे कहते हैं, हर घटना की एक कहानी होती है।
तीसरी बात :
जहाँ तक यह मुद्दा है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हाथ की कमाई की तुलना में व्यापार को प्राथमिकता दी है : तो – जहाँ तक हम जानते हैं – इसका कोई सबूत नहीं है और इस मुद्दे पर विद्वानों के बीच मतभेद है। उनमें से कुछ का मानना है कि व्यापार बेहतर है, और दूसरे कहते हैं कि कृषि बेहतर है, जबकि एक तीसरा समूह आजीविका कमाने के लिए अपने हाथों से काम करने, जैसे कि हस्तशिल्प और इसी तरह के अन्य कार्य को प्राथमिकता देता है।
व्यापार में काम करने के सद्गुण के बारे में एक हदीस आई है, लेकिन वह साबित नहीं है। वह हदीस नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह फरमान है : “आजीविका का दस में से नौ हिस्सा व्यापार में है।” देखिए : “अस-सिलसिला अज़-ज़ईफा” (3402)
जहाँ तक हाथ की कमाई (हस्तशिल्प) के कार्य और व्यापार की प्राथमिकता (सद्गुणों) के बारे में वर्णित हदीस का संबंध है, तो वह राफे’ बिन खदीज रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित यह हदीस है कि उन्होंने कहा : कहा गया : ऐ अल्लाह के रसूल, किस तरह की कमाई सबसे अच्छी है? तो आपने फरमाया : “आदमी का अपने हाथ से काम करना और हर वैध बिक्री।” इसे अहमद (17265) ने रिवायत किया है और मुसनद अहमद के अनुसंधान कर्ताओं ने इसे हसन कहा है और अलबानी ने “सहीह अत-तरगीब (1691) में सहीह कहा है।
मिक़दाम रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “किसी ने कभी भी अपने हाथ के कार्य से खाने से बेहतर भोजन नहीं खाया। अल्लाह के पैगंबर दाऊद अलैहिस्सलाम अपने हाथों के काम से कमाए गए भोजन को खाते थे।” इसे बुखारी (1966) ने रिवायत किया है।
हाफ़िज़ इब्ने हजर रहिमहुल्लाह ने कहा :
“विद्वानों ने सर्वोत्तम कमाई (के स्रोत) के बारे में मतभेद किया है। मावर्दी ने कहा : जीविकोपार्जन के मूल प्रकार हैं : कृषि, व्यापार और शिल्प। इमाम शाफेई के मत का सबसे संभावित दृष्टिकोण यह है कि उनमें से सबसे अच्छा व्यापार है। उन्होंने कहा : मेरे विचार में सबसे प्रबल यह है कि : उनमें से सबसे अच्छा काम खेती है, क्योंकि यह तवक्कुल (अल्लाह पर भरोसा रखने) के सबसे क़रीब है।
नववी ने मिक़दाम की (ऊपर उद्धृत) हदीस के साथ उनपर आपत्ति जताई है और कहा है कि सही दृष्टिकोण यह है कि : जीविका कमाने का सबसे अच्छा तरीका अपने हाथों से काम करना है। उन्होंने कहा : यदि वह किसान है, तो यह सबसे अच्छी कमाई है. क्योंकि इसमें अपने हाथों से काम करना और अल्लाह पर भरोसा रखना दोनों शामिल हैं, और क्योंकि इसमें मनुष्यों और जानवरों के लिए सामान्य लाभ है; और क्योंकि आम तौर पर इसका कुछ हिस्सा बिना मुआवज़े के खाया जाता है।
मैं कहता हूँ : इससे बेहतर अपने हाथ की कमाई में से : जिहाद के ज़रिए कुफ़्फ़ार के माल से जो हासिल किया जाता है, वह है। यह नबी सल्लल्लाहू अलैहि व सल्लम और आपके सहाबा की कमाई है और यह सबसे प्रतिष्ठित कमाई का माध्यम है, क्योंकि इसमें अल्लाह के वचन को सर्वोच्च करना, उसके दुश्मनों के वचन को नीचा करना, तथा आख़िरत का लाभ है।
उन्होंने कहा : जो व्यक्ति अपने हाथों से काम नहीं करता है, तो उसके लिए खेती सबसे अच्छी है, उन कारणों से जिनका हमने उल्लेख किया है।
मैं कहता हूँ : यह इस तथ्य पर आधारित है कि खेती का लाभ केवल उस व्यक्ति तक सीमित नहीं है जो इसे करता है, बल्कि उसका लाभ दूसरों तक पहुँचने वाला है। हालाँकि, यह केवल खेती में सीमित नहीं है, बल्कि जो भी काम हाथों से किया जाता है, उसका लाभ दूसरों को भी पहुँचता है, क्योंकि यह लोगों को उनकी आवश्यकता के लिए साधन उपलब्ध कराता है।
सच तो यह है कि इसके अलग-अलग स्तर हैं, और यह परिस्थितियों और लोगों के अनुसार बदलता रहता है। और सबसे बेहतर ज्ञान अल्लाह के पास है।” “फ़त्हुल-बारी” (4/304)
इसके आधार पर, खेती उस व्यक्ति के लिए बेहतर हो सकती है जो अन्य क्षेत्रों की तुलना में इसमें अधिक कुशल है, और उद्योग किसी अन्य व्यक्ति के लिए बेहतर हो सकता है, और तीसरा व्यक्ति व्यापार में अच्छा है इसलिए यह उसके लिए दूसरों की तुलना में बेहतर है।
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को यह देखना चाहिए कि उसके लिए किस तरह का काम उपयुक्त है और वह किसमें सबसे अच्छा है, और इस काम के माध्यम से खुद को और मुसलमानों को लाभ पहुँचाने का प्रयास करना चाहिए। और अल्लाह ही तौफीक़ देने वाला है।
और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखने वाला है।