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मेरी माँ ने नौ साल पहले जबकि मैं पंद्रह साल की थी मुझे मेरे एक रिश्तेदार से शादी करने पर मजबूर कर दिया और मैं उनके डर से विरोध न कर सकी। और उस समय से अल्लाह तआला ने अपनी कृपा से मुझे तीन संतान दिये हैं और हर प्रकार की प्रशंसा केवल अल्लाह के लिए ही है। किंतु अंतिम दो वर्षों के बीच मेरे और उसके बीच संबंध बहुत बुरे हो गए, तो वह एक जादूगर के पास गया ताकि हमारी समस्याओं के समाधान के लिए जादू का इस्तेमाल करे। इसी तरह वह पाँच समय की नमाज़ें भी नहीं पढ़ता था। जहाँ तक मेरी जानकारी है जादूगर के पास जाना और नमाज़ छोड़ देना आदमी को इस्लाम की सीमा से निष्कासित कर देता है।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सर्व प्रथम :
जादूगरों, काहिनों, ज्योतिषियों के पास जाना बड़े-बड़े गुनाहों में से है,क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है:
“जो व्यक्ति किसी ज्योतिषी के पास आया और उस से किसी चीज़ के बारे में प्रश्न किया तो उसकी चालीस दिन की नमाज़ क़बूल नहीं होगी।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 2230)ने रिवायत किया है।
तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जो आदमी किसी काहिन के पास आया और जो कुछ वह कहता है उसको सच जाना तो उसने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित चीज़ का इनकार किया।” इसे अबू दाऊद (3904) और तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 135) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीह कहा है।
और जो व्यक्ति ज्योतिषी या जादूगर के पास गया और इस बात में उसे सच जाना कि वह गैब (परोक्ष) का ज्ञान रखता है, तो वह इस्लाम से बाहर निकल गया।
परंतु यदि वह उसके पास गया है और इल्मे गैब (परोक्ष ज्ञान) के दावा में उसे सच नहीं जाना है,तो उसने एक बड़ा गुनाह किया है किंतु वह इसके कारण इस्लाम से बाहर नहीं निकलेगा।
जहाँ तक उस आदमी का संबंध है जो जादूगर के पास गया है हालांकि वह जानता है कि यह हराम है तो ऐसे व्यक्ति ने एक बहुत घोर पाप किया है और यह उसे इस्लाम से निष्कासित होने की सीमा तक पहुँचा सकता है।
तथा प्रश्न संख्या : (112069), (32863)के उत्तर देखें।
दूसरा :
सुस्ती और आलस्य करते हुए नमाज़ छोड़ने वाले के कुफ्र के हुक्म के बारे में विद्वानों के बीच बड़ा मतभेद है,और वह एक मोतबर मतभेद है,और प्रत्येक कथन की अपनी कुछ दलीलें हैं जिन पर उनका आधार है,और जिस मत पर इस साइट में फत्वा दिया गया है वह: नमाज़ छोड़ने वाले के कुफ्र के कथन को उचित ठहराना है,और यही बहुत से विद्वानों का कथन है।
इसका वर्णन प्रश्न संख्या : (10094) , (5208) के उत्तर में गुज़र चुका है।
अल्लाह तआला की प्रशंसा और गुणगान है कि उसने आपके पति पर उपकार किया और उसे नमाज़ की अदायगी और उसकी पाबंदी करने का मार्गदर्शन किया।
तीसरा :
आदमी का अपनी पत्नी से यह कहना कि “मैं उस से फारिग हो गया और वह मुझसे फारिग हो गयी” उन शब्दों में से है जो तलाक़ के लिए और उसके अन्य के लिए संभावित हैं, इसीलिए इन में तलाक़ के पड़ने का हुक्म नहीं लगाया जाता है सिवाय इस स्थिति के कि पति इसके द्वारा तलाक़ की नीयत रखता हो और उसका उद्देश्य तलाक देना हो,यदि वह तलाक़ की नीयत और उसका उद्देश्य नहीं रखता है, तो कोई चीज़ घटित नहीं होगी।
तथा प्रश्न संख्या : (98670), (85575) और (127280) के उत्तर देखें।
और चूँकि आप का पति अपनी समझबूझ की ओर लौट आया, नमाज़ की पाबंदी शुरू कर दी और जादूगर के पास जाने से तौबा (पश्चाताप) कर लिया जबकि वह उस समय शरई हुक्म से अनभिज्ञ था, तो उचित यह है कि आप उस के साथ एक नये पृष्ठ का आरंभ करें, और हम अल्लाह तआला से प्रार्थना करते हैं कि आप लोगों के ऊपर अपनी दया व कृपा की वर्षा करे, तुम्हारे दिलों को जोड़ दे और तुम्हारे बीच भलाई के साथ मिलन (मेल-मिलाप) पैदा करे।