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अगर पानी न मिले या पानी इस्तेमाल करेने में सक्षम न हो, तो आदमी तयम्मुम कैसे करेॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
बुखारी और मुस्लिम ने तयम्मुम के तरीक़े के बारे में अम्मार बिन यासिर रज़ियल्लाहु अन्हुमा की हदीस को रिवायत किया है। बुखारी ने इसे अपनी सहीह में कई जगहों पर रिवायत किया है। इन रिवायतों में से एक रिवायत (हदीस संख्या : 347) फत्ह़ुल-बारी (1/455) के शब्द इस प्रकार हैं : “तुम्हारे लिए केवल इस तरह कर लेना पर्याप्त था; चुनाँचे आपने अपना हाथ एक बार ज़मीन पर मारा, फिर उन्हें झाड़ा। फिर आपने उनसे मसह किया अपने बाएँ हाथ से दाहिनी हथेली के पिछले हिस्से पर, या अपने बाएँ हाथ के पिछले हिस्से पर अपनी दाहिनी हथेली से, फिर दोनों हाथों से अपने चेहरे का मसह किया।”
अबू दाऊद (हदीस संख्या : 317) औनुल-मा'बूद (1/515) ने इस हदीस को बुखारी ही के इस्नाद के साथ रिवायत किया है, केवल इतना अंतर है कि उन्होंने बुख़ारी के शैख (मुहम्मद बिन सलाम) के बजाय (मुहम्मद बिन सुलैमान अल-अंबारी) का उल्लेख किया है, जिनके बारे में हाफ़िज़ इब्ने हजर ने तक़रीबुत-तहज़ीब (2/167) में कहा है : वह सदूक़ (सच्चा) हैं। उद्धरण समाप्त हुआ। उस हदीस के शब्द यह हैं : “आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने हाथों को ज़मीन पर मारा, फिर उन्हें झाड़ा, फिर अपने बाएँ हाथ से अपनी दाहिनी हथेली पर, और अपने दाहिने हाथ से अपने बाईं हथेली पर मारा, फिर अपने चेहरे का मसह किया।”
फिर हाफ़िज़ इबंने हजर ने फत्हुल-बारी (1/457) में उल्लेख किया है कि अल-इस्माइली ने इसे इन शब्दों के साथ रिवायत किया है : “तुम्हारे लिए यह करना पर्याप्त था कि तुम अपने दोनों हाथों को ज़मीन पर मारते, फिर उन्हें झाड़ लेते, फिर अपने दाहिने से बाएँ का और अपने बाएँ से दाहिने का मसह करते, फिर अपने चेहरे का मसह करते।”
शंक़ीती रहिमहुल्लाह “अज़वाउल-बयान” (2/43) में कहते हैं :
“बुखारी की यह हदीस चेहरे से पहले हाथों का मसह करने में स्पष्ट (नस) है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
शैखुल-इस्लाम ने “अल-फतावा” (21/423) में कहा :
“बुखारी की रिवायत स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि चेहरे से पहले हथेली के पिछले भाग का मसह किया जाना चाहिए। तथा दूसरी रिवायत में : “अपनी दोनों हथेलियों के पिछले भाग” का शब्द दर्शाता है कि आपने प्रत्येक हथेली की पीठ (पिछले भाग) पर दूसरे हाथ की हथेली के आंतरिक भाग से मसह किया।” उद्धरण समाप्त हुआ। तथा उन्होंने यह भी कहा (21/425) : “लेकिन जिस रिवायत के अकेले बुखारी ने रिवायत किया है, उससे पता चलता है कि आपने चेहरे से पहले दोनों हाथेलियों के पिछले भाग पर मसह किया।” उद्धरण समाप्त हुआ। तथा “अल-फ़तावा” (21/422-427) देखें।
इस आधार पर तयम्मुम करने का तरीक़ा यह है कि : आदमी तयम्मुम करने की नीयत करते हुए बिस्मिल्लाह कहे, फिर अपनी हथेलियों को ज़मीन की सतह पर एक बार मारे। फिर दाहिनी हथेली के पिछले हिस्से पर बायीं हथेली के आंतरिक भाग से मसह करे, तथा बायीं हथेली के पिछले हिस्से पर दाहिनी हथेली के आंतरिक भाग पर मसह करे। फिर अपने दोनों हाथों से अपने चेहरे का मसह करे। तयम्मुम के बाद वही दुआएँ पढ़ना चाहिए, जो वुज़ू के बाद पढ़ी जाती हैं। और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
अल्लाह हमारे पैगंबर मुहम्मद पर दया और शांति अवतिरत करे।