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प्रश्न : मेरी शादी एक ऐसे व्यक्ति से हुई है जिसके पास कई पत्नियाँ हैं, और मेरे पास इस पति के अलावा से एक बच्चा है जिसकी आयु पाँच वर्ष है, तो क्या अन्य पत्नियों के ऊपर अनिवार्य है कि जब वह बच्चा मेरे पास उपस्थित हो तो वे पर्दा करें ?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
उत्तर :
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
उपर्युक्त बच्चे की उम्र छोटी है और उसकी उपस्थिति में चेहरा ढांकना ज़रूरी नहीं है, अल्लाह सर्वशक्तिमान का कथन है :
وَقُلْ لِلْمُؤْمِنَاتِ يَغْضُضْنَ مِنْ أَبْصَارِهِنَّ وَيَحْفَظْنَ فُرُوجَهُنَّ وَلا يُبْدِينَ زِينَتَهُنَّ إِلا مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَلْيَضْرِبْنَ بِخُمُرِهِنَّ عَلَى جُيُوبِهِنَّ وَلا يُبْدِينَ زِينَتَهُنَّ إِلا لِبُعُولَتِهِنَّ أَوْ ءابَائِهِنَّ أَوْ ءابَاءِ بُعُولَتِهِنَّ أَوْ أَبْنَائِهِنَّ أَوْ أَبْنَاءِ بُعُولَتِهِنَّ أَوْ إِخْوَانِهِنَّ أَوْ بَنِي إِخْوَانِهِنَّ أَوْ بَنِي أَخَوَاتِهِنَّ أَوْ نِسَائِهِنَّ أَوْ مَا مَلَكَتْ أَيْمَانُهُنَّ أَوِ التَّابعين غَيْرِ أُولِي الإِرْبَةِ مِنَ الرِّجَالِ أَوِ الطِّفْلِ الَّذِينَ لَمْ يَظْهَرُوا عَلَى عَوْرَاتِ النِّسَاءِ وَلا يَضْرِبْنَ بِأَرْجُلِهِنَّ لِيُعْلَمَ مَا يُخْفِينَ مِنْ زِينَتِهِنَّ وَتُوبُوا إِلَى اللَّهِ جَمِيعًا أَيُّهَا الْمُؤْمِنُونَ لَعَلكُمْ تُفْلِحُونَ [سورة النور :31].
“और आप मुसलमान औरतों से कह दीजिए कि वे अपनी निगाहें नीची रखें, और अपने शरमगाह (सतीत्व) की रक्षा करें, और अपने बनाव व श्रृंगार का प्रदर्शन न करें सिवाय उसके जो ज़ाहिर हो जाए, और अपनी ओढ़़नियाँ अपने गरेबानों पर डाले रहें, और अपने बनाव सिंघार को न प्रदर्शित करें मगर अपने पतियों के लिए, या अपने बाप दादा के लिए या अपने पतियों के बाप दादा के लिए, या अपने बेटों के लिए, या अपने पतियों के बेटों के लिए, या अपने भाईयों के लिए, या अपने भाईयों के बेटों के लिए, या अपनी बहनों के बेटों के लिए, या अपनी (यानी मुसलमान) औरतों के लिए, या उनके लिए जिनके उनके हाथ मालिक हैं, या पुरूषों में से उन नौकरों चाकरों के लिए जो औरतों की इच्छा नहीं रखते हैं, या उन बच्चों के लिए जो महिलाओं की गुप्त बातों को नहीं जानते। और वे (औरतें) अपने पैर न पटकें ताकि जान लिया जाये उनका बनाव सिंघार जिसे वे छुपाती हैं, और ऐ मोमिनो! तुम सब के सब अल्लाह की ओर तौबा (पश्चाताप) करो ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।” (सूरतुन्नूर : 31)
यह लड़का, अभी बच्चा है महिलाओं की व्यक्तिगत अंगों से अवगत नहीं है, अतः उसके सामने ज़ीनत (अलंकरण और श्रृंगार) को प्रकट करना जायज़ है, इब्ने कसीर रहिमहुल्लाह फरमाते हैं : और अल्लाह तआला का यह कथन कि ‘‘या वे बच्चे जो महिलाओं के गुप्तांगों (पर्दा की चीज़ों) से अवगत नहीं हैं।” अर्थात अपनी छोटी आयु की वजह से महिलाओं की स्थितियों और उनकी पर्दा की चीज़ों को नहीं समझते हैं जैसे - उनकी कोमल बात, उनकी लचकदार चाल, उनकी हरकात व सकनात, अगर बच्चा छोटा है इन चीज़ों को नहीं समझता है, तो उसके औरतों पर प्रवेश करने में कोई बात नहीं है, लेकिन अगर वह किशोर अवस्था को पहुँच गया है या उसके क़रीब है इस प्रकार कि वह इन चीज़ों को जानता है और कुरूप और रूपवान औरतों के बीच अंतर को समझता है तो उसे औरतों पर प्रवेश नहीं करने दिया जायेगा। अंत हुआ और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।