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हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।सर्व प्रथम :
तवाफे इफाज़ा हज्ज के स्तंभों में से एक स्तंभ है जिसके किए बिन मोहरिम हलाल नहीं हो सकता। इस आधार पर आपके मामूं निरंतर मोहरिम (एहराम की हालत में) हैं, और उन्हें निम्न बातों का पालन करना चाहिए :
1. संभोग करने से बचना चाहिए यहाँ तक वह तवाफे इफाज़ा कर लें और उन्हें तहल्लुल अक्बर प्राप्त हो जाए। (यानी संपूर्ण रूप से एहराम की पाबंदियों से आज़ाद हो जाएं).
और यदि उन्हों ने संभोग कर लिया है और उन्हें पता नहीं था कि वह अभी तक एहराम की हालत में हैं तो उनके ऊपर कोई चीज़ नहीं है, लेकिन अब उन्हें संभोग से बचना चाहिए।
2. मक्का जाना और इफाज़ा का तवाफ करना।
और मुस्तहब यह है कि वह मक्का में उम्रा के (एहराम के) साथ प्रवेश करे, फिर जब वह उससे फारिग हो जाए और अपने बाल कटा ले, तो इफाज़ा का तवाफ करे, यह इसलिए है ताकि मक्का में बिना एहराम के प्रवेश न करे।
देखें : “मजमूओ फतावा इब्ने उसैमीन” (23/194).
3. जहाँ तक बिदाई तवाफ की बात है तो जब वह इफाज़ा का तवाफ कर लेगा फिर तवाफ के बाद ही मक्का से बाहर निकलेगा तो इफाज़ा का तवाफ, विदाई तवाफ की तरफ से काफी होगा।
दूसरा :
उसके लिए किसी दूसरे को अपनी तरफ से तवाफ करने के लिए वकील (प्रतिनिधि) बनाना जायज़ नहीं है ; क्योंकि तवाफ रूक्न (हज्ज का स्तंभ) है, अतः उसमें प्रतिनिधित्व दाखिल नहीं होगी।
लेकिन यदि वह किसी बीमारी या आर्थिक तौर पर असमर्थ होने के कारण मक्का आने में असक्षम है, तो कुछ विद्वान उसे मोहसर (हज्ज या उम्रा को पूरा करने से रोक दिए गए) व्यक्ति के हुक्म में समझते हैं, अतः वह अपने स्थान पर एक बकरी ज़ब्ह करेगा और उसे गरीबों और मिस्कीनों में वितरित कर देगा, और इस तरह वह हलाल हो जायेगा और इसके बाद उसके ऊपर कोई चीज़ अनिवार्य नहीं है। लेकिन यदि यह उसका इस्लाम का हज्ज है, तो वह हज्ज उसके ज़िम्मे बाक़ी रहेगा ; क्योंकि उसका यह हज्ज मुकम्मल नहीं हुआ है, इसलिए जब भी वह हज्ज करने पर सक्षम होगा उसके ऊपर हज्ज करना अनिवार्य होगा।
अल्लामा अर-रमली “असनल मतालिब” (1/529) पर अपने हाशिया में कहते हैं : “अल्लामा बलक़ीनी ने तवाफ से रोक दिए जाने के मुद्दे से यह हुक्म निकाला है कि यदि मासिक धर्म वाली महिला ने इफाज़ा का तवाफ नहीं किया है, और उसके लिए पवित्र होने तक ठहरना संभव नहीं है, और एहराम की हालत में ही अपने देश आ गई और उसका खर्च समाप्त हो गया, और उसके लिए बैतुल्लाह (वापस) पहुँचना संभव नहीं है तो वह मोहसर व्यक्ति के समान है, अतः वह नीयत, क़ुर्बानी और बाल कटाने के द्वारा हलाल हो जायेगी।” अंत हुआ।
और इसी तरह की बात “मुग़नी अल-मुहताज” (2/314) और “निहायतुल मुहताज” (3/317) में भी है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।