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मैं एक कंपनी में काम करता हूँ जो बैंकों के साथ काम करती है। मैं बैंकों के साथ कंपनी का अधिकृत प्रतिनिधि हुआ करता था। अल्लाह का शुक्र है कि मैंने इस काम से तौबा कर लिया। लेकिन मैंने बैंकों के साथ अपना काम किसी और को सौंप दिया, जो मेरे बदले बैंक के साथ काम करेगा। अगर मैंने जो किया वह हराम है, तो मुझे क्या करना चाहिएॽ अब वह उस आधार पर काम कर रहा है जो मैंने उसे सिखाया था कि बैंकों के साथ कैसे व्यवहार करना है।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
यदि सूद-आधारित बैंकों के साथ लेन-देन बिना किसी ब्याज के चालू खातें में पैसा जमा करने तक सीमित है, क्योंकि कोई इस्लामिक बैंक नहीं है, और क्योंकि कंपनियों को धन की रक्षा करने और उन्हें व्यापार करने में सक्षम बनाने के लिए ऐसा करने की आवश्यकता है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है।
लेकिन अगर उनके साथ लेन-देन में हराम चीजें शामिल हैं, जैसे कि उनसे सीधे उधार लेना, या अन्य तरीक़ों से जैसे कि उनके माध्यम से खरीदना या उनके साथ लाइन ऑफ क्रेडिट खोलना आदि, तो यह लेनदेन हराम है और किसी के लिए उसका अभ्यास करना जायज़ नहीं है, क्योंकि इसमें पाप और अपराध में सहयोग करना और सूद की गवाही देना और उसका अनुमोदन करना शामिल है।
अल्लाह तआला ने फरमाया :
وَتَعَاوَنُوا عَلَى الْبِرِّ وَالتَّقْوَى وَلا تَعَاوَنُوا عَلَى الْإثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ
[المائدة : 2].
"नेकी और तक़्वा (परहेज़गारी) के कामों में एक-दूसरे का सहयोग किया करो तथा पाप और अत्याचार में एक-दूसरे का सहयोग न करो, और अल्लाह से डरो। निःसंदेह अल्लाह कड़ी यातना देने वाला है।" (सूरतुल मायदा : 2)
तथा मुस्लिम (हदीस संख्या : 1598) ने जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सूद खाने वाले पर और सूद खिलाने वाले पर और सूद लिखने वाले पर और सूद के गवाहों पर ला’नत (धिक्कार) भेजी है। और फरमाया : वे सब (पाप में) बराबर हैं।”
इसके आधार पर, यदि कंपनी का बैंकों के साथ लेन-देन इस तरह से था, तो आपने इस काम से बाहर निकल कर अच्छा किया है, और हम सर्वशक्तिमान अल्लाह से प्रश्न करते हैं कि आपकी तौबा को स्वीकार करे। लेकिन आपने दूसरे को इस काम के लिए रहनुमाई करके गलती की है। क्योंकि यह एक हराम चीज़ के लिए रहनुमाई करना और उसके करने में मदद करना है। ऐसी स्थिति में आपके लिए आवश्यक है कि इस भाई के लिए शरई हुक्म स्पष्ट करें और उसे नसीहत करें, साथ ही अल्लाह के सामने तौबा करें। यदि वह आपकी नसीहत क़बूल कर ले, तो सब प्रशंसा और स्तुति अल्लाह के लिए है, और यदि वह उत्तर न दे, तो आपने अपना कर्तव्य पूरा कर दिया।
हम अल्लाह से आपके लिए मार्गदर्शन और शुचिता का प्रश्न करते हैं।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।