हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हम आपको ग़ैर-मह़रम पुरुषों के सामने पूरी तरह से पर्दे (ह़िजाब) का पालन करने की सलाह देते हैं ताकि आपका रोज़ा स्वीकार किया जाए और उसका सवाब कई गुना बढ़ जाए। यही बात नमाज़ और बाकी अच्छे कामों पर भी लागू होगी। यदि कोई मुस्लिम महिला हिजाब (पर्दे) का पालन किए बिना रोज़ा रखती है, तो उसका रोज़ा सही (मान्य) है, लेकिन वह हिजाब की उपेक्षा करने पर गुनाहगार होगी। क्योंकि बेपर्दगी रोज़े की वैधता को प्रभावित नहीं करती है, लेकिन श्रृंगार का प्रदर्शन करने वाली महिला के लिए अल्लाह की ओर से उसके आदेश का उल्लंघन करने पर सज़ा की धमकी दी गई है। अतः ऐ अल्लाही की बंदी! हम आपको अल्लाह के आदेश का पालन करने की नसीहत करते हैं (जैसाकि इस आयत में है) :
يُدۡنِينَ عَلَيۡهِنَّ مِن جَلَٰبِيبِهِنَّۚ [سورة الأحزاب : 59]
“वे अपने ऊपर अपनी चादरें डाल लिया करें।” (सूरतुल अह़ज़ाब : 59)
तथा अल्लाह के इस आदेश का :
وَلَا يُبۡدِينَ زِينَتَهُنَّ [سورة النور : 31]
“और अपने श्रृंगार को ज़ाहिर न करें।” (सूरतुन-नूर : 31)
तथा अल्लाह के इस आदेश का पालन करने की नसीहत करते हैं :
وَلۡيَضۡرِبۡنَ بِخُمُرِهِنَّ عَلَىٰ جُيُوبِهِنَّۖ [سورة النور : 31]
“तथा अपनी ओढ़नियाँ अपने सीनों पर डाले रहें।” (सूरतुन-नूर : 31)