रविवार 23 जुमादा-1 1446 - 24 नवंबर 2024
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यदि वह अपना दाहिना पैर धोए और उसे सुखाए, फिर वह अपना बायाँ पैर धोए, तो क्या निरंतरता बाधित हो जाती हैॽ

प्रश्न

अगर मैं वुज़ू करूँ और अपना दाहिना पैर धोऊँ और उसे अपने पास ही मौजूद कपड़े से सुखाऊँ, फिर दूसरे पैर को धोकर सुखाऊँ, तो क्या मेरे इस वुज़ू में निरंतरता का अभाव हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

वुज़ू में निरंतरता का अर्थ यह है कि एक अंग को धोने में इतनी देर न की जाए कि उसके पहले का अंग एक मध्यम समय में सूख जाए। अतः अत्यधिक गर्मी या हवा की उपस्थिति के कारण अंग के सूखने से, या उदाहरण के लिए कपड़े से सुखाने की वजह से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, यदि उतना समय नहीं गुज़रा है जिसके दौरान आमतौर पर अंग सूख जाता है। इसलिए यहाँ यह तथ्य मायने रखता कि उतना (अधिक) समय नहीं बीतना चाहिए।

कुछ विद्वानों ने निरंतरता का यह अर्थ बयान किया है कि : शरीर के अंगों को धोने के बीच इतना (अधिक) अंतराल न रखा जाए जो प्रथा के अनुसार लंबा समझा जाता हो। उसे उस समय के साथ प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा जिसमें वह सूख जाता है।

इब्ने क़ुदामा ने “अल-मुग़नी” (1/181) में कहा : “अनिवार्य निरंतरता : यह है कि किसी अंग को धोना इतनी देर तक नहीं छोड़ा जाना चाहिए कि इतना समय बीत जाए, जिसके दौरान उससे पहले का अंग एक मध्यम समय में सूख जाता है; क्योंकि कुछ समय में अंग जल्दी सूख जाता है और दूसरे में नहीं।” उद्धरण समाप्त हुआ।

“कश्शाफ़ अल-क़िना’” (1/105) में कहा गया है : “निरंतरता : का अर्थ है एक के पीछे दूसरा होना, और यहाँ उसका मतलब यह है कि किसी अंग को धोने में इतनी देर न की जाए कि उससे पहले वाला अंग सामान्य गर्मी और ठंड के समय में सूख जाए। यानी हाथ धोने में देर न करे यहाँ तक कि चेहरा सूख जाए, तथा सिर का मसह करने में इतना विलंब न करे कि हाथ सूख जाएँ और पैरों को धोने में इतनी देरी न करे यहाँ तक कि सिर सूख जाए, अगर उसे धोया गया हो। इससे मालूम हुआ कि अगर सिर का मसह करने में इतनी देरी कर दे कि चेहरा सूख जाए, लेकिन हाथ नहीं, तो इससे उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।” उद्धरण समाप्त हुआ।

इस आधार पर; यदि कोई व्यक्ति अपने दाहिने पैर को धोता है और उसे सुखाता है, फिर वह अपने बाएँ पैर को धोता है, जबकि इतना समय नहीं गुज़रा है जिसमें आम तौर पर अंग सूख जाता है, तो उसका वुज़ू सही है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर