हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जिस वयक्ति पर रोज़ा अनिवार्य है :
प्रथम : यदि उस ने अपनी पत्नी से रमज़ान के दिन में एक बार या एक से अधिक बार एक ही दिन में संभोग किया है, तो उस पर एक ही कफ्फारा अनिवार्य है यदि उस ने पहले संभोग का कफ्फारा नहीं दिया है। और यदि उस ने रमज़ान के दिन में कई दिनों में संभोग किया है, तो उस पर उन सभी दिनों के अनुसार कफ्फारा अनिवार्य है जिन में उसने संभोग किया है।
दूसरा : उस पर संभोग करने से कफ्फारा अनिवार्य हुआ है,चाहे वह (हुक्म से अनभिज्ञ) जाहिल ही क्यों न हो उस पर संभोग के कारण कफ्फारा अनिवार्य है।
तीसरा : पत्नी पर भी संभोग के कारण कफ्फारा अनिवार्य है यदि वह इस मामले में अपने पति की बात मानने वाली थी। किन्तु जिसे बाध्य (मजबूर) किया गया हो उस पर कोई चीज़ अनिवार्य नहीं है।
चौथा : खाना खिलाने के बदले पैसा देना जाइज़ नहीं है, और ऐसा करना उसके लिए किफायत नहीं करेगा (पर्याप्त नहीं होगा)।
पांचवाँ : एक ही मिस्कीन को आधा साअ अपनी ओर से और आधा साअ अपनी पत्नी की तरफ से खाना खिलाना जाइज़ है। और इसे उन दोनों की तरफ से साठ मिस्कीनों में से एक मिस्कीन को खाना खिलाना समझा जाये गा।
छठा : उसे एक ही मिस्कीन को देना जाइज़ नहीं है, और न ही खैराती संस्था या अन्य किसी को देना जाइज़ है, क्योंकि हो सकता है कि वह साठ मिस्कीनों पर वितरित न करे। मोमिन पर अनिवार्य यह है कि वह अपनी ज़िम्मेदारी को कफ्फारों और अन्य वाजिब चीज़ों से बरी करने का अभिलाषी हो।
और अल्लाह तआला ही तौफीक़ देने वाला है, तथा अल्लाह तआला हमारे पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम, उनकी सन्तान और उनके साथियों पर दया और शान्ति अवतरित करे।