हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जिस व्यक्ति ने रात के समय अपनी पत्नी से सहवास किया और जनाबत (अर्थात अपवित्रता) की हालत में सुबह किया तो उसका रोज़ा शुद्ध (सही) है। इसी प्रकार उस आदमी का रोज़ा भी सही है जिसे उसकी नींद में रात या दिन के समय स्वपनदोष (जनाबत) हो जाता है। तथा उसके लिए फज्र के उदय होने तक स्नान को विलंब करने में कोई बात नहीं है। बल्कि केवल फज्र के उदय होने से सूरज के डूबने तक रमज़ान के दिन में संभोग करना रोज़े को फासिद (ख़राब) कर देता है। फतावा स्थायी समिति (10/327).
जहाँ तक आपके सूर्य निकलने तक फज्र की नमाज़ को विलंब करने की बात है तो यह आप के ऊपर हराम (वर्जित) है, अनिवार्य यह है कि नमाज़ को उसके ठीक समय पर अदा किया जाये। तथा आपका स्नान करने से बहुत लज्जा महसूस करना कोई ऐसा उज़्र (कारण और बहाना) नहीं है जो आपके लिए नमाज़ को उसके समय से विलंब करना वैध ठहरा दे, आप के ऊपर इस से तौबा (पश्चाताप) करना, और इस्तिग़फार करना अनिवार्य है।
अल्लाह तआला हमें और आप को हर भलाई की तौफीक़ प्रदान करे।