हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
''क़ब्रों पर पौधे लगाना धर्मसंगत नहीं है, न तो कैक्टस का और न ही किसी अन्य चीज़ का। तथा न ही उसपर जौ या गेहूं या उसके अलावा कोई और चीज़ उगाना सही है ; क्योंकि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने क़ब्रों पर ऐसा कुछ नहीं किया है, और न ही आपके बाद खुलफा-ए-राशिदीन रज़ियल्लाहु अन्हुम ने ही ऐसा किया है।
रही बात आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के उन दोनों क़ब्रों पर खजूर की टहनी रखने की जिनके ऊपर होने वाले अज़ाब से अल्लाह तआला ने आपको सूचित कर दिया था, तो वह आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लिए और उन्हीं दोनों क़ब्रों के साथ विशिष्ट है ; क्योंकि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन दोनों के अलावा के साथ ऐसा नहीं किया है, और मुसलमानों के लिए इस बात की अनुमति और अधिकार नहीं है कि वे ऐसे नेकी के काम निकालें जिसे अल्लाह तआला ने धर्मसंगत नहीं बनाया है, उपर्युक्त हदीस के आधार पर और अल्लाह सर्वशक्तिमान के इस कथन के आधार पर कि :
أَمْ لَهُمْ شُرَكَاءُ شَرَعُوا لَهُمْ مِنَ الدِّينِ مَا لَمْ يَأْذَنْ بِهِ اللَّهُ [الشورى :21]
''क्या उनके ऐसे साझेदार हैं जिन्हों ने उनके लिए ऐसी चीज़ें निर्धारित कर दी हैं जिनकी अल्लाह ने अनुमति नहीं दी है।'' (सूरतुश शूरा : 21).
''मजमूओ फतावा शैख इब्ने बाज़'' (5/407).
तथा प्रश्न संख्या (48958) देखें।