हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
“जहाँ तक दुल्हन के हाथों और पैरों में मेहँदी लगाने का सवाल है, तो उसके अपने शौहर के लिए शृंगार करने के अध्याय से, हम इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं जानते। जहाँ तक पुरुष की बात है, तो वह इस तरह से अपना शृंगार नहीं करेगा। क्योंकि यह महिलाओं का शृंगार है और महिलाओं की समानता अपनाना है। इसलिए यह उचित नहीं है और पुरुष के लिए महिलाओं की समानता अपनाना जायज़ नहीं है, न तो मेहँदी लगाने में और न ही इसके अलावा कपड़ों में। क्योंकि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ऐसा करने से मना किया है और उस आदमी पर लानत की है जो औरतों की समानता अपनाता है तथा उस महिला पर भी लानत की है, जो पुरुषों की समानता अपनाती है। इसलिए ऐसा करना जायज़ नहीं है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
आदरणीय शैख अब्दुल-अज़ीज़ बिन बाज़ रहिमहुल्लाह
“फ़तावा नूरुन अला अद-दर्ब” (2/599)