सोमवार 24 जुमादा-1 1446 - 25 नवंबर 2024
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कुछ मुसलमानों का चर्च में आयोजित किए जानेवाले क्रिसमस दिवस का प्रचार करने का क्या हुक्म है?!

प्रश्न

यहाँ क्षेत्र में एक मस्जिद है जिसमें यह प्रचार और विज्ञापन किया जाता है कि फलाँ चर्च ''क्रिसमस दिवस'' के दौरान गतिविध का आयोजन करेगा, और चर्च आगंतुकों को आवास और निःशुल्क भोजन प्रदान करेगा .... इत्यादि, समस्या यह है कि ये भाई लोग जो इस प्रचार अभियान में लिप्त हैं अच्छी तरह जानते हैं कि वे चर्च को बढ़ावा दे रहे हैं, और इसके बावजूद कहते हैं कि : ''इसमें क्या गलत बात है?!'' क्या यह काम कुफ्र तक नहीं पहुँचता है? क्योंकि सभी मुसलमान, चाहे वे किसी भी मत के अनुयायी हों, इस बात को निश्चित रूप से जानते हैं कि चर्च नास्तिकता और अल्लाह के साथ शिर्क (अनेकेश्वरवाद) के प्रसार का स्थान है। और यह हम मुसलमानों की आस्था और हमारे दृष्टिकोण के विपरीत है, और इसलिए : क्या हमारे लिए ज़रूरी है कि हम इन लोगों पर हुज्जत (तर्क) स्थापित करें ताकि उनके ऊपर कुफ्र का खिताब साबित हो सके? क्योंकि यह दीन की ऐसी बात है जो आवश्यक रूप से सर्वज्ञात है, क्या इसको तर्क की ज़रूरत है?! तथा उन लोगों का क्या हुक्म है जो इन लोगों का बचाव करते हैं, क्या यह कहा जा सकता है कि उसने इन लोगों को बचाव करके कुफ्र का कार्य किया है?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

उत्तर :

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

हमने प्रश्न संख्या (160470) के उत्तर में उल्लेख किया है कि ईसाई को चर्च पहुँचाना जायज़ नहीं है ; क्योंकि इसमें पाप पर सहयोग करना पाया जाता है, बल्कि वह सबसे बड़ा पाप है ; क्योंकि उसमें स्पष्ट शिर्क (बहुदेववाद) सुना जाता है जैसे कि उनका यह गुमान कि अल्लाह तआला ने बेटा बनाया है! और हुक्म के अंदर इसके बीच और ईसाइयों को उनके धार्मिक त्योहार में चर्च पहुँचाने, और उसे बढ़ावा देने और उसका प्रचार करने के बीच कोई अंतर नहीं है। बल्कि वह पाप के अंदर सबसे बढ़कर है। क्योंकि इसमें उन असत्य धार्मिक त्योंहारों को आयोजित करने पर परस्पर मदद करना पाया जाता है। इस तरह उनका यह करना दो बड़े पापों पर सहयोग करनेवाला बन गया : चर्च के लिए जाने का गुनाह और उनके एक धार्मिक त्योहार में भाग लेने का पाप। हमने प्रश्न संख्या (69558) और (50074) के उत्तरों में विद्वानों के एक समूह से ईसाइयों की उनके त्योहारों को आयोजित करने और उन्हें मनाने पर मदद करने के निषेद्ध का उल्लेख किया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि वे गतिविधियाँ जो चर्च ''क्रिसमस दिवस'' के अवसर पर आयोजित करेगा, वे उस त्योहार का उत्सव मनाने के प्रदर्शनों में से हैं। जैसाकि हमने प्रश्न संख्या (146678) के उत्तर में उल्लेख किया है।

इस आधार पर : जो लोग ईसाइयों के धार्मिक त्योहारों को बढ़ावा दे रहे हैं और लोगों को उनके आयोजन के स्थानों का पता बताते हैं, वे महान (गंभीर) खतरे में हैं, और इसमें कोई शक नहीं कि वे ऐसा करने से एक बड़े पाप में पड़ने वाले है।

स्थायी समिति के विद्वानों ने फरमाया : किसी मुसलमान के लिए किसी भी प्रकार के सहयोग द्वारा काफिरों के साथ उनके त्योहारों में सहयोग करना जायज़ नहीं है, और इसी में से उनके त्योहारों का प्रचार और उनका विज्ञापन करना है। तथा किसी भी माध्यम से उसकी ओर आमंत्रित करना भी जायज़ नहीं है, चाहे वह आमंत्रण मीडिया के माध्यम से हो, या . . .

शैख अब्दुल अज़ीज़ आलुश्शैख, शैख अब्दुल्लाह अल-गुदैयान, शैख सालेह अल-फौज़ान, शैख बक्र अबू ज़ैद।

''फतावा स्थायी समिति'' (26/409) से समाप्त हुआ।

क्या ईसाइयों के यहाँ ''क्रिसमस'' दिवस का उत्सव मनाना - मूल रूप से - मानव पैगंबर ईसा अलैहिस्सलाम के जन्म का उत्सव मनाना है?! इसका उत्तर यह है कि : नहीं, बल्कि वह प्रभु या प्रभु के बेटे ईसा (यीशु) का उत्सव मनाना है! जो कुछ ये कहते हैं अल्लाह उससे बहुत सर्वोच्च है। फिर एक मुसलमान कैसे यह आस्था रखता है कि यह एक पैगंबर के जन्मदिवस समारोह में भाग लेना है, जबकि वह उनके निकट ईश्वर या ईश्वर के बेटे हैं?!

इसके बावजूद उपर्युक्त भाग लेने और सहयोग करने से यह ज़रूरी नहीं हो जाता है कि वह धर्म से निष्कासित करनेवाला कुफ्र हो जबकि उसका करनेवाला उनके धर्म को सही नहीं ठहराता है। इसलिए हम यह नहीं समझते हैं कि वे मात्र अपने इस कर्म से धर्म से निष्कासित करने वाले कुफ्र में जा गिरेंगे। अतः आप लोग उनका खण्डन करने और उन्हें समझाने बुझाने (सदुपदेश) करने पर निर्भर करें यहाँ तक कि वे अपने कर्म से रूक जाएं। तथा उनके इस कर्म के प्रावधान (हुक्म) पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत नहीं कि वह कुफ्र है या कुफ्र नहीं है। आप लोगों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि उनका यह काम उनके ऊपर हराम और निषिद्ध है, और आप लोगों को इस बात का प्रयास करना चाहिए कि वे जो कुछ कर रहे हैं उससे बाज़ आ जाएं।

इस्लाम प्रश्न और उत्तर

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर