मंगलवार 23 जुमादा-2 1446 - 24 दिसंबर 2024
हिन्दी

क्या लड़कियों का विरासत में हिस्सा है यदि वे उससे बेनियाज़ हैं ॽ

178371

प्रकाशन की तिथि : 15-12-2020

दृश्य : 13441

प्रश्न

तीन साल हुए मेरे पिता का निधन हो गया, उन्हों ने एक घर छोड़ा था जिसमें कोई विभाजन या किसी के लिए कोई वसीयत निर्धारित नहीं की थी। हम तीन भाई और पाँच बहने हैं, मेरी सभी बहनें शादीशुदा और आर्थिक रूप से स्थिर और सुव्यवस्थित  हैं, हम भी शादीशुदा हैं सिवाय एक के जिसने अभी शादी नहीं की है, जल्द ही हम घर को बेच देंगे, तो उसकी क़ीमत हमारे बीच कैसे विभाजित की जायेगी ॽ क्या उसमें लड़कियों का भी हिस्सा है जबकि वे संपन्न और राहत व आसानी की जीवन में हैं, कृपया स्पष्ट करें।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

सर्व प्रथम :

विरासत के विभाजन या आवंटन में अनिवार्य यह है कि हर हक़ वाले को उसका हक़ दिया जाए, इस बारे में अमीर और गरीब, नर और नारी (मादा) के बीच कोई अंतर नहीं है, हर एक को उसका वह हिस्सा मिलेगा जो अल्लाह ने उसके लिए निर्धारित किया है।

अबू उमामह रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा मैं ने अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फरमाते हुए सुना : “अल्लाह तआला ने हर हक़दार को उसका हक़ दे दिया है, अतः किसी वारिस के लिए वसीयत जायज़ नहीं है।” इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 2870) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीह अबू दाऊद में सहीह कहा है।

यह बात अल्लाह तआला के इस फरमान के अनुरूप है :

يُوصِيكُمُ اللَّهُ فِي أَوْلاَدِكُمْ لِلذَّكَرِ مِثْلُ حَظِّ الأُنثَيَيْنِ فَإِن كُنَّ نِسَاءً فَوْقَ اثْنَتَيْنِ فَلَهُنَّ ثُلُثَا مَا تَرَكَ وَإِن كَانَتْ وَاحِدَةً فَلَهَا النِّصْفُ

سورة النساء :11

“अल्लाह तआला तुम्हें तुम्हारी औलाद के बारे में हुक्म देता है कि एक लड़के का हिस्सा दो लड़कियों के बराबर है, यदि केवल लड़कियाँ हों और दो से अधिक हों तो उन्हें विरासत की संपत्ति से दो तिहाई मिलेगा, और अगर एक ही लड़की हो तो उस के लिए आधा है।” (सूरतुन्निसा : 11)

फिर अल्लाह तआला ने उन लोगों को धमकी दी है जो विरासत के अंदर अल्लाह तआला के विभाजन का विरोध करते हैं और इस बारे में खिलवाड़ करते हैं, अल्लाह तआला ने फरमाया :

وَمَنْ يَعْصِ اللَّهَ وَرَسُولَهُ وَيَتَعَدَّ حُدُودَهُ يُدْخِلْهُ نَارًا خَالِدًا فِيهَا وَلَهُ عَذَابٌ مُهِينٌ

سورة النساء : 14

“और जो व्यक्ति अल्लाह की और उसके पैगंबर की अवज्ञा करे और उसकी निर्धारित सीमाओं को लांघ जाए, तो वह (अल्लाह) उसे आग (जहन्नम) में डाल देगा जिसमें वह सदैव रहेगा और उसके लिए अपमानजनक यातना है।” (सूरतुन निसा : 14)

शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “किसी भी मनुष्य के लिए जायज़ नहीं है कि वह औरत को विरासत से वंचित कर दे या उसमें चालबाजी़ (हीला बहाना) से काम ले ; क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने अपनी किताब क़ुरआन करीम और अपने पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत में उसके लिए विरासत को अनिवार्य कर दिया है, और सभी विद्वाना इसी मत पर हैं, अल्लाह तआला ने फरमाया :

يُوصِيكُمُ اللَّهُ فِي أَوْلَادِكُمْ لِلذَّكَرِ مِثْلُ حَظِّ الْأُنْثَيَيْنِ فَإِنْ كُنَّ نِسَاءً فَوْقَ اثْنَتَيْنِ فَلَهُنَّ ثُلُثَا مَا تَرَكَ وَإِنْ كَانَتْ وَاحِدَةً فَلَهَا النِّصْفُ وَلِأَبَوَيْهِ لِكُلِّ وَاحِدٍ مِنْهُمَا السُّدُسُ مِمَّا تَرَكَ إِنْ كَانَ لَهُ وَلَدٌ فَإِنْ لَمْ يَكُنْ لَهُ وَلَدٌ وَوَرِثَهُ أَبَوَاهُ فَلِأُمِّهِ الثُّلُثُ فَإِنْ كَانَ لَهُ إِخْوَةٌ فَلِأُمِّهِ السُّدُسُ

سورة النساء : 14

“अल्लाह तआला तुम्हें तुम्हारी औलाद के बारे में हुक्म देता है कि एक लड़के का हिस्सा दो लड़कियों के बराबर है, यदि केवल लड़कियाँ हों और दो से अधिक हों तो उन्हें विरासत की संपत्ति से दो तिहाई मिलेगा, और अगर एक ही लड़की हो तो उस के लिए आधा है, और मरने वाले के माता पिता में से प्रत्येक के लिए उसकी छोड़ी हुई संपत्ति में से छठा हिस्सा है, यदि उस (मृतक) की कोई औलाद है, अगर उसकी कोई औलाद नहीं है और उसके वारिस उसके माँ बाप होते हों तो उसकी माँ के लिए तीसरा हिस्सा है, हाँ अगर मरने वाले के कई भाई हों तो फिर उसकी माँ के लिए छठा हिस्सा है।” (सूरतुन्निसा : 11)

अतः सभी मुसलमानों पर विरासत और उसके अलावा अन्य मामलों में अल्लाह की शरीअत पर अमल करना, उसके विरूध चीज़ों से बचना और उस व्यक्ति पर इनकार करना अनिवार्य है जो अल्लाह की शरीअत का इनकार करता है, या औरतों को विरासत से वंचित करने या इसके अलावा अन्य शरीअत के विरूध चीज़ों में अपनी मुखालफत (अवहेलना) में हीला बहाना से काम लेता है।

और ये लोग जो औरतों को विरासत से वंचित करते हैं या उसमें हीला बहाना से काम लेते हैं, इन्हों ने शरीअत का उल्लंघन करने के साथ साथ, तथा मुसलमानों की सर्वसहमति का विरोध करने के साथ साथ, औरतों को विरासत से वंचित कर देने में जाहिलियत के ज़माने के काफिरों के कामों का अनुकरण किया है।” “मजमूउल फतावा” (20/221) से समाप्त हुआ।

यदि आप लोगों के अलावा कोई और वारिस नहीं है, तो मीरास की संपत्ति को आप लोगों के बीच विभाजित किया जायेगा, मर्द के लिए दो औरतों के बराबर हिस्सा मिलेगा, इस तरहसंपत्ति को ग्यारह हिस्सों में विभाजित किया जायेगा, क्योंकि तीन बेटे छः बेटियों के बराबर समझे जायेंगे, तो हर पुरूष दो दो हिस्सा लेगा और हर महिला एक एक हिस्सा लेगी।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर