हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हज्र अस्वद (यानी काबा के काले पत्थर) के सिवाय धरती पर किसी भी स्थान को चूमना बिदअत है, और यदि यह पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अनुसरण के तौर पर न होता, तो हज्र अस्वद को चूमना भी बिद्अत होता, तथा उमर रज़ियल्लाहु अन्हु कहा करते थे कि : “मैं जानता हूँ कि तू एक पत्थर है न हानि पहुँचा सकता है और न लाभ दे सकता है, और यदि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने तुझे न चूमा होता तो मैं तुझे न चूमता।” इसलिए काबा के पर्दे या हुज्रों (नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के कम्रों) या खाना काबा के यमनी कोने या मुसहफ (क़ुरआन) को चूमना, इसी तरह उससे बर्कत हासिल करने के लिए उसे छूना (उस पर हाथ फेरना) भी जायज़ नहीं है, क्योंकि उसको मात्र इबादत के तौर पर छूना है।