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क़ब्र की नेमतों की कुछ झलकियाँ

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प्रकाशन की तिथि : 11-01-2010

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प्रश्न

परहेज़गारों और ईश्भय रखने वालों का क़ब्र में क्या हाल होता है?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।

प्रमाणों से इस बात का पता चलता है कि मोमिन आदमी अपनी क़ब्र में नेमतों से लाभान्वित होता है, यहाँ तक कि क़ियामत आ जाती है, फिर वह अल्लाह तआला की अनुकम्पा और उसकी दया से ऐसी नेमत की तरफ स्थानांतरित हो जाता है जो कभी समाप्त होगी न रुकेगी और वह है स्वर्ग की नेमत। अल्लाह तआला हमें स्वर्गवासियों में से बनाये।

ये कुछ झनकियाँ हैं उन नेमतों की जिन का मोमिन आदमी अपनी क़ब्र में अनुभव करता है :

1- उसके लिए स्वर्ग का बिछौना बिछा दिया जाता है।

2- उसे स्वर्ग का पोशाक पहना दिया जाता है।

3- उसके लिए स्वर्ग की तरफ एक द्वार खोल दिया जाता है, ताकि उसके पास स्वर्ग की हवा आती रहे और वह उसकी सुगंध को सूँघता रहे और उसकी नेमतों को देखकर उस की आँख ठंडी हो जायें।

4- उस के लिए उसकी क़ब्र को कुशादा (विस्तृत) कर दिया जाता है।

5- उसे अल्लाह की प्रसन्नता और उसके स्वर्ग की शुभसूचना दी जाती है। इसी लिए वह क़ियामत के आने का लालायित हो जाता है।

बरा बिन आज़िब रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने फरमाया : हम अल्लाह के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ एक अनसारी आदमी के जनाज़ा में निकले, हम क़ब्र के पास पहुँचे तो वह अभी तैयार नहीं हुई थी, तो रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बैठ गये और हम भी आप के चारों ओर इस तरह बैठ गये गोया कि हमारे सरों पर चिड़ियाँ बैठी हैं, और आपके हाथ में एक लकड़ी थी जिस से आप ज़मीन में कुरेद रहे थे, फिर आप ने अपना सिर उठाया और कहा : "क़ब्र के अज़ाब से अल्लाह की पनाह मांगो।" दो बार या तीन बार आप ने कहा, फिर आप ने फरमाया : "जब मोमिन बन्दा दुनिया से कट रहा होता है और आखिरत की ओर जा रहा होता है तो उसके पास आसमान से सफेद (चमकदार) चेहरे वाले फरिश्ते आते हैं गोया कि उनका चेहरा सूरज है, उनके साथ जन्नत का कफन और जन्नत की खुश्बू होती है, यहाँ तक कि वे उसके पास जहाँ तक उसकी निगाह जाती है बैठ जाते हैं, फिर मौत का फरिश्ता आता है और उसके सिर के पास बैठ जाता है, और कहता है : ऐ पवित्र जान! अल्लाह की बख्शिश और उसकी प्रसन्नता की ओर निकल, तो वह ऐसे ही बहते हुए निकलती है जिस प्रकार कि मश्कीज़े के मुँह से पानी की बूँद बहती है, तो वह उसे ले लेता है, जब वह उसे ले लेता है तो (दूसरे फरिश्ते) उसके हाथ में उसे पलक झपकने के बराबर भी नहीं छोड़ते हैं यहाँ तक कि उसे लेकर उस कफन और उस खुश्बू में कर लेते हैं, जिस से धरती पर पाई जाने वाली सब से पवित्र मुश्क (कस्तूरी) की सुगंध निकलती है। आप ने फरमायाः फिर वे उसे लेकर ऊपर चढ़ते हैं, और उसे लेकर फरिश्तों के जिस गिरोह से भी गुज़रते हैं तो वे कहते हैं : यह पवित्र आत्मा कौन है? तो वे दुनिया में उसका सबसे अच्छा नाम लेकर कहते हैं कि यह फलाँ बिन फलाँ है, यहाँ तक कि उसे आसमाने दुनिया (प्रथम आकाश) पर ले कर पहुँचते हैं, तो उसके लिए उसके द्वार को खुलवाते हैं, तो उनके लिए द्वार खोल दिया जाता है, तो हर आसमान के निकटवर्ती फरिश्ते उसके बाद वाले आसमान तक उसको रूख्सत करते हैं, यहाँ तक कि उसे लेकर सातवें आसमान तक पहुँचा जाता है। तो अल्लाह तआला कहता है : मेरे बन्दे के कर्मपत्र को ईल्लीईन में लिख दो और उसे धरती पर लौटा दो, क्योंकि मैं ने उन्हें उसी से पैदा किया है और उसी में लौटाऊँ गा और उसी से दुबारा निकालूँ गा। चुनाँचि उसकी आत्मा को उसके शरीर में लौटा दिया जाता है, फिर उसके पास दो फरिश्ते आते हैं और उसे बैठाते हैं और उस से कहते हैं: तुम्हारा रब कौन है? तो वह जवाब देता है कि मेरा रब अल्लाह है। फिर वे दोनों उस से कहते हैं : तुम्हारा धर्म क्या है? तो वह कहता है : मेरा धर्म इस्लाम है। फिर वे दोनों उस से कहते हैं कि : जो आदमी तुम्हारे बीच भेजा गया था, वह कौन है? तो वह जवाब देता है : वह अल्लाह के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं। तो वे दोनों कहते हैं : तुझे कैसे पता चला (कि वह अल्लाह के पैग़ंबर हैं)? तो वह जवाब देता है कि : मैं ने अल्लाह की किताब पढ़ी, उस पर ईमान लाया और उसको सच्चा माना। तो यही अल्लाह तआला का यह फरमान है कि : "ईमान वालों को अल्लाह तआला पक्की बात के साथ क़ायम रखता है ..." (सूरत इब्राहीम :27) फिर आकाश से एक उद्घोषणा (मुनादी) करने वाला आवाज़ देता है कि मेरे बन्दे ने सच्च कहा, अत: उस के लिए स्वर्ग का बिछौना बिछा दो, उसे स्वर्ग का पोशाक पहना दो और उस के लिए स्वर्ग की ओर एक द्वार खोल दो।" आप ने फरमाया किः फिर उसे स्वर्ग की सुगन्ध और भोजन पहुंचता रहता है, और उसकी क़ब्र जहाँ तक उसकी निगाह जाती है विस्तृत कर दी जाती है। और उसके पास सुंदर चेहरे, सुंदर कपड़े और अच्छी सुगंध वाला आदमी आता है और कहता है : खुश हो जा उस चीज़ से जो तुझे खुश करने वाली है, यही तेरा वह दिन है जिसका तुझ से वादा किया जा रहा था। तो वह उस से कहेगा कि तू कौन है? तेरा चेहरा तो ऐसा है जो भलाई लेकर आता है। तो वह कहेगा : मैं तेरा नेक अमल हूँ। तो वह कहेगा : मेरे पालनहार! क़ियामत क़ाइम कर दे, ताकि मैं अपने परिवार और धन में वापस जाऊँ ..."

इसे इमाम अहमद (17803)अबू दाऊद (4573) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने "अहकामुल जनाइज़" (पृ0 156 में) इसे सहीह कहा है।

6- वह अपने नरक के ठिकाने को देख कर जिसके बदले में अल्लाह तआला ने उसे स्वर्ग में स्थान प्रदान किया है, हर्षित और प्रसन्न हो जायेगा।

इमाम अहमद (हदीस संख्या :10577)ने अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : मैं रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ एक जनाज़ा में हाज़िर हुआ, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "ऐ लोगो! इस उम्मत को उसकी क़ब्रों में आज़माया जाता है, जब मनुष्य दफन कर दिया जाता है और उसके साथी उसके पास से हट जाते हैं, तो उसके पास एक फरिश्ता आता है जिसके हाथ में एक हथौड़ा होता है, वह उसे बैठा कर पूछता है कि तू इस आदमी के बारे में क्या कहता है? यदि वह ईमान वाला होता है तो कहता है कि मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अलावा कोई सच्चा पूज्य नहीं और यह कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उसके बन्दे और सन्देष्टा हैं। वह फरिश्ता कहता है कि तू ने सच्च कहा। फिर उसके लिए नरक की ओर एक द्वार खोल दिया जाता है और वह (फरिश्ता) कहता है : यदि तू अपने रब के साथ कुफ्र करता तो तेरा घर यही होता, किन्तु जबकि तू अल्लाह पर ईमान लाया है, तो तेरा घर यह है और उसके लिए स्वर्ग की ओर एक द्वार खोल दिया जाता है, चुनाँचि वह चाहता है कि उठ कर उसमें चला जाये, पर फरिश्ता उस से कहता है कि ठहर जा, और उसके लिये उसकी क़ब्र को विस्तृत कर दिया जाता है। यदि वह आदमी काफिर अथवा मुनाफिक़ होता है तो फरिश्ता उस से कहता है कि तू इस आदमी के बारे में क्या कहता है? तो वह जवाब देता है कि मुझे पता नहीं, मैं ने लोगों को कुछ कहते हुये सुना, तो वह कहेगा : तू न जाना न पढ़ा और न मार्गदशन पाया, फिर उसके लिए स्वर्ग की तरफ एक द्वार खोल दिया जाता है और वह फरिश्ता कहता है कि यदि तू अल्लाह पर ईमान लाया होता, तो तेरा ठिकाना यही होता, परन्तु तू ने उसके साथ कुफ्र किया, तो अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल ने उसके बदले तुझे यह घर दिया है, और उसके लिए नरक की ओर एक द्वार खोल दिया जाता है, फिर वह हथौड़े से उसे ऐसी मार मारता है जिसे जिन्नात और इंसान के अलावा अल्लाह की सभी सृष्टि सुनती है। (यह बात सुन कर) कुछ लोगों ने कहा कि ऐ अल्लाह के पैग़ंबर! जिस आदमी के पास फरिश्ता हथौड़ा लेकर खड़ा होगा वह तो वैसे ही घबरा जाये गा। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "अल्लाह तआला ईमान वालों को पक्की बात के साथ जमा देगा।"

इस हदीस को अल्बानी ने इब्ने अबी आसिम की किताबुस्सुन्नह की तहक़ीक़ (865)में सहीह कहा है।

7- वह दुल्हन के सोने की तरह सो जाता है।

8- उसके लिए उसकी क़ब्र को प्रकाश (रौशनी) से भर दिया जाता है।

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : जब मुर्दे को (या आप ने फरमाया: तुम में से किसी को) क़ब्र के हवाले कर दिया जाता है, तो उसके पास दो काले और नीले फरिश्ते आते हैं उन में से एक को मुन्कर और दूसरे को नकीर कहा जाता है, तो वे दोनों कहते हैं : तू इस आदमी के बारे में क्या कहता था? तो वह वही कहता है जो (दुनिया में) कहा करता था कि वह अल्लाह के बन्दे और उसके रसूल हैं, मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अलावा कोई सच्चा पूज्य नहीं और यह कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उसके बन्दे और सन्देष्टा हैं। तो वे दोनों कहते हैं कि हम जानते थे कि तू यही जवाब देगा। फिर उसकी क़ब्र को सत्तर-सत्तर गज़ विस्तृत कर दिया जाता है, फिर उसमें उसके लिए रोशनी कर दी जाती है, फिर उस से कहा जाता है कि सो जा, तो वह कहता है कि मैं अपने घर वालों के पास लौट जाऊँ और उन्हें सूचित कर दूँ। तो वे दोनों कहते हैं, तू उस दुल्हन की तरह सो जा जिसे उसका सब से चहेता आदमी ही बेदार करता है, यहाँ तक कि अल्लाह तआला उसे क़ियामत के दिन उसकी उसी आरामगाह से उठायेगा। और यदि वह मुनाफिक़ होगा, तो कहेगा कि मैं ने लोगों को जो कहते हुये सुना वही मैं ने भी कहा, मुझे कुछ पता नहीं। तो वे दोनों कहेंगे कि हम जानते थे कि तू यही कहेगा। चुनाँचि धरती से कहा जायेगा कि तू इस पर मिल जा, तो वह उस पर मिल जायेगी जिस से उसकी पिसलियाँ एक दूसरे में मिल जायेंगी, इसी तरह उसे दंडित किया जाता रहेगा यहाँ तक कि अल्लाह तआला उसे उसके इस ठिकाने से उठायेगा।

इसे तिर्मिज़ी (1071)ने रिवायत किया है। और शैख अल्बानी ने "अस्सिलसिला अस्सहीहा" (1391) में इस हदीस को सहीह कहा है।

इसके सोने को दुल्हन के सोने के समान इस लिये कहा गया है कि वह अच्छे जीवन में होता है। (तोहफतुल अह्वज़ी)

यह कुछ नेमतें (परमानंद) हैं जिन से मोमिन आदमी अपनी क़ब्र में लाभान्वित होगा, अल्लाह तआला से दुआ है कि हमें ऐसे लोगों में से बनाये।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर