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वह अपने रोज़ों को खराब कर दिया करता था और उसे उन दिनों की संख्या पता नहीं है जिनके रोज़े उसने तोड़ दिए थे

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प्रकाशन की तिथि : 02-06-2015

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प्रश्न

मैं एक पुरुष हूँ। मैं जब चौदह या पंद्रह साल का था तो रमज़ान के दिन में हस्तमैथुन किया करता था। मुझे इसके हुक्म के बारे में पता था, परंतु कभी मेरा वीर्य उत्सर्जित होता था और कभी वीर्य पात नहीं होता था। ज्ञात रहे कि उस समय मैं व्यस्क नहीं हुआ था। और मुझे उन दिनों की ठीक संख्या पता नहीं है जिनमें मैं ने यह काम किया था ... मैं क्या करूं? अब क्या हुक्म है?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

उत्तर:

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

अगर रोज़ादार हस्तमैथुन करे और उसका वीर्य पात हो जाए तो उसका रोज़ा भ्रष्ट हो गया। यदि उसका वीर्य पतन नहीं हुआ तो उसका रोज़ा सही (शुद्ध) है।

इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह कहते हैं : ''और यदि उसने अपने हाथ से मैथुन किया तो उसने एक वर्जित (हराम) कार्य किया है और उसका रोज़ा खराब नहीं होगा सिवाय इसके कि उसका वीर्य पतन हो जाए। यदि उसने वीर्य पात किया तो उसका रोज़ा खराब हो गया।'' अंत हुआ।

''अल-मुग़नी'' (4/363).

तथा शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन बाज़ रहिमहुल्लाह का कथन है : रोज़े के दिन के दौरान हस्तमैथुन करना रोज़े को व्यर्थ व अमान्य कर देता है यदि उसने जानबूझकर ऐसा किया है और उससे वीर्य निकला है। और इस आधार पर उसके ऊपर अनिवार्य है कि वह क़ज़ा करे अगर उसका रोज़ा फर्ज़ है, तथा उसके ऊपर अल्लाह सर्वशक्तिमान के समक्ष तौबा व पश्चाताप करना भी अनिवार्य है ; क्योंकि हस्तमैथुन करना जायज़ नहीं है न तो रोज़े की अवस्था में और न तो इसके अलावा अवस्था में।'' अंत हुआ।''मजमूओ फतावा शैख इब्ने बाज़'' (15/267).

तथा स्थायी समिति के विद्वानों से उस महिला के बारे में प्रश्न किया गया जो रमज़ान के दिन में हस्तमैथुन किया करती थी जबकि वह चौदह-पंद्रह वर्ष की थी और उसे उन दिनों की संख्या पता नहीं है जिनमें उसने ऐसा किया है। तो उसके ऊपर क्या अनिवार्य है?

तो उन्हों ने उत्तर दिया :

''सर्व प्रथम : गुप्त आदत अर्थात हस्तमैथुन करना जायज़ नहीं है और रमज़ान के दिन के दौरान उसकी निषिद्धता सबसे सख्त हो जाती है।

दूसरा : उन दिनों की क़जा करना अनिवार्य है जिनके आपने हस्तमैथुन के कारण रोज़े नहीं रखे हैं, क्योंकि यह रोज़े को खराब करने वाला है। तथा आप ने जिन दिनों के रोज़े तोड़ दिए थे उनके बारे में जानने के लिए भरपूर प्रयास करें ...और अल्लाह तआला ही तौफीक़ देने वाला है। तथा अल्लाह तआला हमारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम, उनकी संतान और साथियों पर दया और शांति अवतरित करे।'' अंत हुआ।

शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़, शैख अब्दुर्रज़्ज़ाक़ अफीफी, शैख अब्दुल्लाह बिन गुदैयान

''इफ्ता और वैज्ञानिक अनुसंधान की स्थायी समिति का फतावा'' (10/258).

तथा अधिक लाभ के लिए फत्वा संख्या : (38074) देखें।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर