रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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वह तवाफ़ का एक चक्कर भूल गया, तो उसे सई पूरी करने के बाद किया

प्रश्न

मैने उम्रा में काबा शरीफ के गिर्द छह चक्कर तवाफ़ किया और यह भूल गया कि तवाफ़ सात चक्कर होता है। मुझे इसकी याद सई के दौरान आई। अतः सई पूरी करने के बाद, मैंने इस चक्कर को पूरा किया। क्या मेरे ऊपर कोई चीज़ अनिवार्य हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

सर्व प्रथम :

उम्रा या हज्ज के लिए तवाफ़ सात चक्कर होना चाहिए और इससे कम पर्याप्त नहीं होगा। क्योंकि अल्लाह ने तवाफ़ का आदेश दिया है। चुनाँचे फरमाया :

وَلْيَطَّوَّفُوا بِالْبَيْتِ الْعَتِيقِ

الحج : 29

“और उन्हें अल्लाह के पुराने घर का तवाफ़ करना चाहिए।“ (सूरतुल हज्ज : 29).

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसे अपने कृत्य से बयान किया है, चुनाँचे आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सात चक्कर तवाफ किया और फरमाया : “तुम अपने हज्ज के कार्य सीख लो।” इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 1297) ने रिवायत किया है।

नववी रहिमहुल्लाह ने कहा : “तवाफ़ का शर्त यह है कि वह सात चक्कर हो, हर बार हज्रे-अस्वद से शुरू होकर हज्र-अस्वद पर अंत होना चाहिए, यदि सात में से केवल एक क़दम बाक़ी रह गया, तो उसका तवाफ शुमार नहीं किया जाएगा, चाहे वह मक्का ही में ठहरा हो या वहाँ से चला गया हो और अपने देश में हो, और इसमें से किसी भी चीज़ की भरपाई दम देकर या किसी ओऱ चीज़ के द्वारा नहीं हो सकती।”

“अल-मजमू” (8/21) से उद्धरण समाप्त हुआ।

दूसरा :

मालिकिय्या और हनाबिला के निकट तवाफ़ के चक्करों के बीच निरंतरता शर्त है। अतः अगर तवाफ़ के चक्करों के बीच लंबा अंतराल हो जाए, तो उसके लिए अपने तवाफ़ को दोहराना अनिवार्य है।

“कश्शाफ़ुल क़िनाअ” (2/483) में कहा गया है : “यदि उसने तवाफ़ को परंपरागत लंबे अंतराल के साथ बाधित कर दिया, भले ही वह भूल-चूक से या किसी कारण से हो, तो यह उसके लिए पर्याप्त नहीं है; क्योंकि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने तवाफ़ के चक्कर लगातार एक के बाद एक लगाए और फरमाया : “मुझसे अपने हज्ज के अनुष्ठान सीख लो।” संशोधन के साथ उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा देखें : “मवाहिबुल-जलील” (3/75), “अल-मौसूअतुल-फिक़्हिय्यह” (29/132)।

“फतावा अल-लजनह अल-दाईमह” (11/253) में आया है : “यदि हाजी ने तवाफ़े-इफ़ाज़ा किया है और कोई एक चक्कर भूल गया, और एक लंबा अंतराल हो गया, तो वह तवाफ़ को दोहराएगा। लेकिन यदि अंतराल क़रीब है, तो वह उस चक्कर को लगाएगा जिसे वह भूल गया था।” उद्धरण समाप्त हुआ।

तीसरा :

अधिकांश फ़ुक़हा (जिनमें चारों इमाम भी शामिल हैं) का मत है कि तवाफ़ से पहले सई करना जायज़ नहीं है और अगर कोई व्यक्ति तवाफ़ से पहले सई करता है, तो यह उसके लिए पर्याप्त नहीं है।

इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह ने “अल-मुग़्नी” (3/194) में कहा : “सई, तवाफ़ के अधीन है, और यह तब तक मान्य नहीं है जब तक कि यह तवाफ़ से पहले न हो। यदि सई पहले की जाती है, तो यह सही (मान्य) नहीं है। यही मालिक, शाफेई और असहाबुर-राय का दृष्टिकोण है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

इसके आधार पर, आपका सई पूरी करने के बाद तवाफ़ का सातवाँ चक्कर लगाना कोई मायने नहीं रखता; क्योंकि इसके और शेष चक्करों के बीच लंबा अंतराल है।

इसी तरह आपकी सई की भी गणना नहीं की जाएगी, क्योंकि यह तवाफ़ पूरा करने से पहले की गई थी।

उपर्युक्त बातों के आधार पर, आप अभी भी अपने एहराम में हैं, और आपके लिए अनिवार्य है कि एहराम के सभी निषेधों से बचें, और तवाफ़ और सई करने के लिए मक्का वापस जाएँ, फिर अपना सिर मुँडवाएँ या अपने बाल कटवाएँ, और इस तरह आपका उम्रा संपन्न हो जाएगा।

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से एक महिला के बारे में पूछा गया, जिसने तवाफ़े-इफ़ाज़ा में छह चक्कर लगाए, जबकि वह यह सोच रही थी वे सात चक्कर हो चुके। सई करने और अपने बाल काटने के बाद, उसने एक चक्कर तवाफ़ किया। क्या यह जायज़ है?

तो उन्होंने उत्तर दिया : “यदि वह निश्चित थी कि वे छह चक्कर हुए थे, तो लंबे अंतराल के बाद सातवें चक्कर को जोड़ना उपयोगी नहीं है। अतः अब उसे शुरू से तवाफ के सात चक्कर दोहराना चाहिए। लेकिन अगर तवाफ़ खत्म होने के बाद यह सिर्फ एक संदेह था, उसने सोचा कि उसने इसे पूरा नहीं किया है, तो उसे इसपर ध्यान नहीं देना चाहिए।”

“मजमूओ फतावा अश-शैख इब्ने उसैमीन” (22/293) से उद्धरण समाप्त हुआ।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।  

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर