हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सुन्नत में जो वर्णित है वह यह है कि बुरी नज़र डालने वाले का ग़ुस्ल करना उस व्यक्ति के इलाज में फ़ायदेमंद है, जो बुरी नज़र से पीड़ित है।
सुन्नत में यह वर्णित नहीं है कि इस पद्धति का उपयोग करना, बुरी नजर से पीड़ित होने से पहले उसे दूर करने में लाभ देगा, या जो किसी ऐसे व्यक्ति के लिए ऐसा करने की वैधता को इंगित करता है जो बुरी नज़र से प्रभावित नहीं हुआ है, किसी ऐसे व्यक्ति के साथ जो निश्चित नहीं है या नहीं सोचता है कि उसने उस व्यक्ति को बुरी नज़र से प्रभावित किया है।
इसलिए एहतियात एवं सावधानी बरतने और बचाव के तौर पर ऐसा करना इस्लामी शरीयत के अनुकूल नहीं है।
जो चीज़ बुरी नज़र को दूर करती है और उससे रक्षा करती है, वह है नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत में वर्णित अज़कार (दुआओं) और मुअव्विज़ात के साथ अपने आपको मज़बूत करना। प्रश्न संख्या : (20954 ) के उत्तर में उनका वर्णन किया जा चुका है।
हमने यह प्रश्न अपने शैख अब्दुर-रहमान अल-बर्राक हफ़िज़हुल्लाह के सामने प्रस्तुत किया, तो उन्होंने कहा :
“यह ग़लत है, ऐसा नहीं होना चाहिए। यह बिना किसी कारण के संदेहों, वसवसों और भ्रमों के पीछे चलना है।”
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।