हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जो व्यक्ति घर बनाता और उन्हें बेचता है, उसके लिए उनमें टेलीविज़न के लिए कनेक्शन डालने में कोई आपत्ति की बात नहीं है, सिवाय इसके कि उसे ज्ञान हो या प्रबल गुमान हो कि कोई विशिष्ट खरीदार टेलीविज़न का उपयोग हराम चीज़ों में करेगा। यदि स्थिति अज्ञात है, तो उसपर कोई हर्ज नहीं है।
यह सिद्धांत फुक़हा के निकट उस चीज़ को बेचने के हुक्म के संबंध में स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है, जिसके द्वारा अवज्ञा (पाप) पर मदद ली जा सकती है, जैसे कि उस व्यक्ति को अंगूर बेचना जो उससे शराब निचोड़ेगा, और विद्रोह में हथियार बेचना।
इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “इसका सारांश यह है कि : किसी ऐसे व्यक्ति को रस बेचना जिसके बारे में वह यह समझता है कि वह उसे शराब के रूप में उपयोग करेगा : हराम (निषिद्ध) है। जबकि इमाम शाफेई ने इसे नापसंद किया है, जबकि उनके कुछ असहाब ने उल्लेख किया है कि अगर विक्रेता सोचता है कि वह उससे शराब निचोड़ेगा, तो यह निषिद्ध है। बल्कि मकरूह उस समय है जब उसे उसके बारे में संदेह हो...
जब यह सिद्ध हो गया, तो उस स्थिति में बेचना निषिद्ध और अमान्य है, यदि विक्रेता को खरीदार के इस इरादे की जानकारी है, या तो उसके शब्दों से या उसके लिए विशिष्ट संकेतों द्वारा, जो उसे दर्शाते हों।
लेकिन अगर मामला संभावित है, जैसे कि उसे कोई ऐसा व्यक्ति खरीदता है जिसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, या जो सिरका और शराब एक साथ बनाता है और उसने अपनी ज़ुबान से ऐसी बात नहीं कही है जो शराब की इच्छा को इंगित करती हो : तो बेचना जायज़ है ...
ऐसा ही हर उस चीज़ का हुक्म है जिससे निषिद्ध करने का इरादा है, जैसे कि युद्ध के लोगों या डाकुओं को, या देशद्रोह में हथियार बेचना, गाने के लिए लौंडी बेचना या उसके लिए किराए पर देना, या अपना घर उसमें शराब बेचने के लिए किराए पर देना, या इसलिए कि उसे चर्च या आग का घर बना लिया जाए और इसी तरह की अन्य चीज़ों के लिए : तो यह हराम (निषिद्ध) है, और अनुबंध अमान्य है; उस कारण जो हमने पहले उल्लेख किया।” “अल-मुग़्नी” (४/१५४) से उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा “मौसूअतुल फ़िक़्हिय्या” में आया है : “जमहूर (विद्वानों की बहुमत) इस बात की ओर गए हैं कि हर वह चीज़ जिससे हराम (निषिद्ध चीज़) का इरादा किया जाता है, और हर वह कार्य जो पाप की ओर ले जाता है, वह हराम (निषिद्ध) है।
अतः हर उस चीज़ का बेचना मना है, जिसके बारे में यह ज्ञात हो कि खरीदार ने उससे कोई ऐसा काम करने का इरादा किया है, जो अनुमेय नहीं है।” “अल-मौसूअतुल-फिक़्हिय्यह अल-कुवैतिय्यह” (9/213) से उद्धरण समाप्त हुआ।
यदि किसी विशिष्ट खरीदार का हराम का इरादा, उसके शब्दों या संकेतों से, ज्ञात हो जाए, तो उसके लिए कनेक्शन लगाना हराम है।
लेकिन यदि खरीदार का व्यक्तित्व या उसकी स्थिति अज्ञात है, जैसा कि आपके मुद्दे की वास्तविकता है : तो इसमें कोई हर्ज की बात नहीं है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखने वाला है।