सोमवार 22 जुमादा-2 1446 - 23 दिसंबर 2024
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यदि उसने हस्तमैथुन किया और वीर्य को रोक लिया, फिर वह पेशाब करते समय बाहर निकला, तो क्या उसका रोज़ा अमान्य हो जाएगा?

प्रश्न

मैंने हस्तमैथुन किया था जबकि मैं रोज़ा रखे हुए था। जब वीर्य निकलने ही वाला था, तो मैंने अपना लिंग पकड़ लिया और उससे कुछ भी नहीं निकला। लेकिन जब मैंने पेशाब किया, तो एक चिपचिपा तरल निकला। तो क्या मेरा रोज़ा ख़राब हो गया?

उत्तर का सारांश

यदि हस्तमैथुन के दौरान वीर्य बाहर नहीं निकला। क्योंकि हस्तमैथुन करने वाले व्यक्ति ने अपने लिंग को पकड़ लिया था, फिर वह उसके बाद मूत्र के साथ या उसके बिना बाहर आया : तो उसका रोज़ा फ़ासिद (अमान्य) हो गया और उसपर क़ज़ा अनिवार्य है।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

सर्व प्रथम :

हस्तमैथुन “गुप्त आदत” क़ुरआन और सुन्नत के प्रमाणों के अनुसार ह़राम (निषिद्ध) है। इसलिए किसी पुरुष या महिला के लिए ऐसा करने की अनुमति नहीं है। युवक या युवती को रोज़ा और दुआ की सहायता लेनी चाहिए, और जो कोई भी शादी करने में सक्षम है, उसे शादी कर लेनी चाहिए। क्योंकि शादी ही मज़बूत क़िला है। अगर वह इसमें सक्षम नहीं है, तो उसे रोज़ा रखना चाहिए। क्योंकि वह कामवेग से सुरक्षा और रोकथाम है। क्योंकि रोज़ा शैतान के मार्गों को बंद कर देता है और मानव शरीर में काम-वासना को कमज़ोर कर देता है।

“अद्-दुर्रुल-मुख्तार” और “हाशिया इब्ने आबदीन” (4/27) में कहा गया है कि : “हस्तमैथुन निषिद्ध (ह़राम) है, और इसमें ता’ज़ीर (शासक के विवेकाधीन सज़ा) है।" अंत।

तथा शाफेई रहिमहुल्लाह ने "अल-उम्म" (5/102) में कहा : "हस्तमैथुन हलाल नहीं है।" उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा नववी रहिमहुल्लाह ने “अल-मज्मू” (16/421) में कहा :

“हस्तमैथुन करना हराम है, इससे अभिप्राय अपने हाथ से उछलने वाले पानी (वीर्य) का उत्सर्जन करना है। यही बात अधिकांश विद्वानों ने कही है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

इसी के समान अल-मर्दावी ने “अल-इंसाफ” (10/252) में उल्लेख किया है।

तथा इब्ने ज़ुवैयान ने “मनार अस्-सबील” (2/383) में कहा : "हाथ से मैथुन करना (वीर्य का उत्सर्जन करना) पुरुषों और महिलाओं के लिए निषिद्ध (ह़राम) है। क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान है :

وَالَّذِينَ هُمْ لِفُرُوجِهِمْ حَافِظُونَ  [سورة المؤمنون : 5].

“और जो अपने गुप्तांगों की रक्षा करने वाले हैं।” (सूरतुल-मूमिनून : 5)

फिर उन्होंने प्रमाणों का वर्णन किया है।

तथा प्रश्न संख्या : (329 ) का उत्तर देखें।

दूसरी बात :

हस्तमैथुन, वीर्य का स्खलन होने पर रोज़े को अमान्य कर देता है। लेकिन अगर स्खलन न हो, तो वह रोज़े को अमान्य नहीं करेगा।

इब्ने आबदीन ने "रद्दुल-मुह़तार" (2/399) में कहा : ‘’इसी तरह हस्तमैथुन भी है, अर्थात् : उसके रोज़ा को खराब न करने में। लेकिन यह उस स्थिति में है जब वीर्य का स्खलन न हो। लेकिन अगर वह वीर्य का स्खलन करता है, तो उसपर क़ज़ा अनिवार्य है।’’ अंत

तथा अल-मौसूअह अल-फ़िक़्हिय्या अल-कुवैतिय्यह (कुवैती फ़िक़्ह विश्वकोश) (4/100) में है :

“हाथ से मैथुन करना मालिकिय्या, शाफेइय्या और हनाबिला के निकट रोज़ा को अमान्य कर देता है, तथा सामान्य हनफ़िय्या का भी यही मत है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

तीसरा :

यदि किसी व्यक्ति ने हस्तमैथुन किया और उसने वीर्य के स्थानांतरण को महसूस किया। इसलिए उसने अपने लिंग को पकड़ लिया और उसमें से कुछ भी नहीं निकला, तो यहाँ दो स्थितियाँ हैं :

पहली स्थिति : वह रुक जाए। फिर वह बाहर न निकले, यहाँ तक कि एक अवधि के बाद भी बाहर न निकले। तो ऐसी स्थिति में, जमहूर (अधिकतर) विद्वानों के कथन के अनुसार, उसके ऊपर स्नान अनिवार्य नहीं है, और उसका रोज़ा अमान्य नहीं होगा।

दूसरी स्थिति : वह उसके अपने लिंग को छोड़ने के बाद ही, या उसके कुछ समय बाद बाहर निकल आए। तो उसके इस तरह निकलने से ग़ुस्ल अनिवार्य होगा और यह उसके रोज़ा को अमान्य कर देगा।

इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह  ने कहा :

यदि उसे काम-वासना के समय वीर्य के स्थानांतरण का एहसास होता है, और वह अपने लिंग को पकड़ लेता है। जिसके कारण वीर्य बाहर नहीं निकलता है, तो अल-खिरक़ी के प्रत्यक्ष कथन के अनुसार तथा इमाम अहमद की दो रिवायतों में से एक के अनुसार और अधिकांश फ़ुक़हा के कथन के अनुसार उसपर ग़ुस्ल अनिवार्य नहीं है” ...

फिर उन्होंने इस कथन का समर्थन करते हुए और इसके विरोधी का उत्तर देते हुए कहा :

‘’और हमारे लिए यह प्रमाण है कि : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने गुस्ल करने को देखने और पानी निकालने पर लंबित किया है, आपने फरमाया : (जब वह पानी देख ले), और (जब पानी – वीर्य - उछलते हुए निकले, तो गुस्ल करो।); इसलिए उसके बिना हुक्म साबित नहीं होगा” ...

फिर उन्होंने कहा :

‘इसके आधार पर : यदि उसके बाद वीर्य बाहर आता है : तो उसके लिए ग़ुस्ल आवश्यक है, चाहे उसने उसके उत्सर्जित होने से पहले ग़ुस्ल किया हो या न किया हो। क्योंकि वह वीर्य है, जो कामेच्छा के कारण बाहर निकला है। इसलिए उससे ग़ुस्ल अनिवार्य हो जाएगा, जैसे कि अगर वह स्थानांतरण के समय ही निकल गया हो।

इमाम अहमद रहिमहुल्लाह ने एक ऐसे व्यक्ति के विषय में, जिसने संभोग किया और स्खलन नहीं किया। फिर वह ग़ुस्ल कर लेता है। फिर उससे वीर्य निकलता है, फरमाया : उसपर ग़ुस्ल अनिवार्य है। तथा उनसे एक ऐसे व्यक्ति के बारे में पूछा गया, जिसने सपने में देखा कि वह संभोग कर रहा है, फिर वह जागा, तो उसे कुछ नहीं मिला। फिर जब वह चला-फिरा, तो उससे वीर्य निकला। उन्होंने कहा : वह स्नान करेगा।

अल-मुगनी (1 / 128-129)। से उद्धरण समाप्त हुआ।

इसका निष्कर्ण यह है कि :

यदि हस्तमैथुन के दौरान वीर्य बाहर नहीं निकला, क्योंकि हस्तमैथुन करने वाले व्यक्ति ने अपने लिंग को पकड़ लिया था, फिर वह उसके बाद पेशाब के साथ या उसके बिना बाहर आया : तो उसका रोज़ा फ़ासिद (अमान्य) हो गया और उसपर क़ज़ा अनिवार्य है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है। 

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर