हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
उसके लिए वर्णित दुआ (अस्सलामो अलैकुम अह्लद्दियारे मिनल-मोमिनीन वल-मुस्लिमीन, व-इन्ना इन्-शा-अल्लाहो बिकुम लाहिक़ून, नस्अलुल्लाहा लना व-लकुमुल आफियह) पढ़ने में कोई आपत्ति नहीं है, और उसके ऊपर कोई गुनाह नहीं है, क्योंकि उसने क़ब्रों की ज़ियारत का इरादा नहीं किया था और न ही वह क़ब्रिस्तान के अंदर गई, बल्कि वह बिना इरादे के उसके पास से गुज़री है।