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अरफा की पहाड़ी का नाम “जबल रहमत” (रहमत की पहाड़ी) रखने का हुक्म

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प्रकाशन की तिथि : 22-09-2013

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प्रश्न

अरफा की पहाड़ी को रहमत की पहाड़ी कहा जाता है, तो यह नाम रखने का क्या हुक्म है और क्या उसका कोई आधार है ?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

शैख मुहम्मद बिन उसैमीन रहिमहुल्लाह ने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए फरमाया :

“इस नाम का मैं सुन्नत (हदीस) से कोई प्रमाण नहीं जानता हूँ, अर्थात वह पहाड़ी जो अरफा में है, जिसके पास नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ठहरे थे उसका नाम “जबल रहमत” है (इस बात का मैं सुन्नत से कोई आधार नहीं जानता हूँ), और जब सुन्नत से उसका कोई आधार नहीं है तो उसे इस नाम से पुकारना उचित नहीं है, और जिन लोगों ने उसे यह नाम दिया है शायद उन्हों ने इस बात को ध्यान में रखा है कि यह एक महान स्थान है, जिसमें अरफा में ठहरने वालों के लिए अल्लाह की क्षमा और दया (रहमत) स्पष्ट और प्रत्यक्ष होता होती है, तो उन्हों ने उसका नाम जबल रहमत रख दिया। जबकि बेहतर यह है कि उसे इस नाम से न पुकारा जाए, बल्कि उसे “जबल अरफा” कहा जाए, या वह पहाड़ी जिसके पास नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ठहरे थे, या इसके समान अन्य कोई नाम।”

“दलीलुल अख्ता अल्लती यक़ओ फीहा अल-हाज्जो वल मोतमिरो” (हज्ज व उम्रा करने वालों से होनेवाली गलतियों की मार्गदर्शिका) से अंत हुआ।

स्रोत: और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।