हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हज्ज करने की ताक़त का होना हज्ज के अनिवार्य होने की शर्तों में से एक शर्त है, अत: अगर आप हज्ज करने और हज्ज करने के समय आप से जो क़िस्त मतलूब है उसकी अदायगी करने की ताक़त रखते हैं तो आप पर हज्ज करना अनिवार्य है, और अगर दोनों चीज़ें आप पर एक साथ आ जाती हैं और उन दोनों की एक साथ ताक़त नहीं रखते हैं तो आप उस क़िस्त की अदायगी को जिस का आप से मुतालबा है प्राथमिकता दीजिये, और हज्ज को विलंब कर दें यहाँ तक कि आप के पास उसकी ताक़त हो जाये, क्योंकि अल्लाह सुब्हानहु व तआला का फरमान है : "अल्लाह तआला ने उन लोगों पर जो उस तक पहुँचने का सामर्थ्य रखते हैं इस घर का हज्ज करना अनिवार्य कर दिया है।" (सूरत आल-इम्रान: 97)
और अल्लाह ही तौफीक़ प्रदान करने वाल है।