शनिवार 1 जुमादा-1 1446 - 2 नवंबर 2024
हिन्दी

इस्लाम स्वीकार करना चाहता है और अरबी भाषा नहीं जानता है

प्रश्न

मैं ने आप की साइट पर कई प्रश्न पढ़े हैं जिन में आप गैर मुस्लिमों के प्रश्नों के उत्तर देते हैं, और मैं इस बात से सन्तुष्ट हूँ कि अल्लाह एक है और उस के ईश्दूत मुहम्मद अन्तिम सन्देष्टा हैं, मेरा प्रश्न यह है कि : मैं इस धर्म में कैसे प्रवेश करूँ, और मैं नमाज़ कैसे अदा करूँ जबकि मैं अरबी भाषा नहीं जानता हूँ, और क्या मैं अपना नाम बदल दूँ?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

आज के दिन पिछले घंटों में आन चाले प्रश्नों को ब्राउज़ करते हुए, मुझे सब से अधिक खुशी आप के प्रश्न से हुई जो मेरे निकट सब से प्रिय प्रश्न था, और यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, हम अपने दिलों को एक ऐसे बुद्धिमान आदमी के लिए क्यों न खोलें जिस ने हक़ को पहचान कर उसे स्वीकार कर लिया है और वह इस्लाम में प्रवेष करना चाहता है और अगले चरणों के बारे में पूछ रहा है, वास्तव में आप को जिन कठिनाईयों और समस्याओं का सामना हुआ है वह एक आसान चीज़ है और उस का आसानी से समाधान हो सकता है, अब हम एक एक मुद्दे को लेते हैं:

सर्व प्रथम : इन पंक्तियों को पढ़ते हुए, अब आप के लिए इस धर्म में प्रवेष करने के लिए जो कुछ अनिवार्य है वह केवल यह है कि आप अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार दोनों शहादतों (अर्थात "ला इलाहा इल्लल्लाह" की शहादत और "मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह" की शहादत) का इक़रार करें, और अरबी अक्षरों के सहीह उच्चाहरण ज़रूरी नहीं हैं, हम आप के लिए दोनों शहादतों के उच्चारण को अग्रेज़ी अक्षरों में लिख दें गे, जब आप उन्हें अदा कर लें तो जल्दी से स्नान करें और पवित्रता हासिल करें और जिस समय में आप ततकाल हैं उस वक़्त की फर्ज़नमाज़ पढ़े।

दूसरा : यदि आप नमाज़ का तरीक़ा जान चुके हैं -और हम इस एक्सटेंसन द्वारा उसकी ओर आप का मार्गदर्शन करें गे- तो आप नमाज़ के आरम्भ में और एक स्थिति से दूसरी स्थिति की तरफ स्थानान्तरित होने की प्रत्येक हरकत में : "अल्लाहु अक्बर" कहें,तथा क़ियाम (खड़े होने की हालत) और रूकूअ,सज्दा और बैठन की हालत में : "सुब्ह़ानल्लाह", "अल्हम्दुलिल्लाह", "ला इलाहा इल्लल्लाह", "अल्लाहु अकबर" कहें, फिर अपने दाहिने और बायें "अस्सलामु अलैकुम" कहते हुए सलाम फेर दें। यह तरीक़ा आप के लिए छणिक रूप से उस समय तक के लिए जाइज़ है जब तक कि आप नमाज़ की प्रत्येक हरकतों में पढ़ी जाने वाली दुआयें सीख और याद न कर लें।

तीसरा : आप के लिए अपना नाम बदलना ज़रूरी नहीं है, तथा सलफ सालेहीन के विद्वानों (पूर्वजों) और मुसलमान इतिहासकारों में से कई एक ने उल्लेख किया है कि दानियाल अल्लाह के ईश्दूतों में से एक ईश्दूत का नाम है।

मैं अल्लाह तआला से प्रार्थना करता हूँ कि आप की मदद करे, आप के मामले को आसान कर दे और आप को इस्लाम से सम्मानित करे और उस पर सुदृढ़ता प्रदान करे, तथा आप को जिस समस्या का भी सामना होता है उस के स्पष्टीकरण के लिए और हर सम्भव सहायता देने के लिए हम पूरी तरह तैयार हैं।

स्रोत: शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद