गुरुवार 25 जुमादा-2 1446 - 26 दिसंबर 2024
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उसने रमजान में दिन के दौरान ज़िना (व्यभिचार) किया, तो वह क्या करेॽ

प्रश्न

वह क्या करेॽ उसके रोज़े का क्या हुक्म हैॽ वह इसकी क़ज़ा कैसे करेगाॽ यह सब उस युवक से संबंधित है जिसने रमज़ान के दिन में ज़िना (व्यभिचार) किया। उसे तौबा करने के बाद कैसे निर्देशित किया जाना चाहिए? उसे किताबों आदि में से क्या सलाह देनी चाहिएॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

रमज़ान के दिन में संभोग करना रोज़ा तोड़ने वाली सबसे गंभीर चीज़ों में से एक है। अतः जिस किसी व्यक्ति ने संभोग करके अपना रोज़ा तोड़ दिया, वह पाप का भागी है, उसके लिए उस दिन के बाकी हिस्से में खाने-पीने आदि से रुकना अनिवार्य है, और उसपर उसकी क़ज़ा और सख़्त कफ़्फ़ारा (भारी प्रायश्चित) अनिवार्य है। इसका प्रमाण अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस है, उन्होंने कहा : एक आदमी नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया और कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! मैं बर्बाद हो गया। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पूछा : “तुझे किस चीज़ ने बर्बाद कर दियाॽ” उसने कहा : “मैंने रमज़ान में अपनी पत्नी के साथ संभोग कर लिया।” अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “क्या तुम एक गुलाम को मुक्त करने के लिए कुछ पाते होॽ वह बोला : नहीं। आपने कहा : “क्या तुम लगातार दो महीने रोज़ा रख सकते होॽ” वह बोला : नहीं। आपने कहा : “क्या तुम साठ गरीबों को खाना खिला सकते होॽ” वह बोला : नहीं।” … इसे बुखारी (हदीस संख्या : 1936) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1111) ने रिवायत किया है।

इसकी प्रश्न संख्या (38023 ) और (1672 ) में व्याख्या की जा चुकी है।

यह हुक्म उस स्थिति में है जब उसने अपनी पत्नी के साथ संभोग किया है, तो फिर उस व्यक्ति के बारे में क्या होगा जिसने ज़िना करके इस महीने की पवित्रता को भंग किया है - अल्लाह की पनाह।

जिस व्यक्ति ने ऐसा किया है, तो निश्चय उसने दो पवित्रताओं का उल्लंघन किया है : महीने की पवित्रता और निषिद्ध गुप्तांग की पवित्रता। और अल्लाह ही है जिससे हम सहायता चाहते हैं।

इस युवक को अल्लाह तआला के सामने तौबा करना चाहिए, अच्छा कर्म करना चाहिए, अधिक से अधिक नेक कार्य करना चाहिए और नेक लोगों की संगति अपनानी चाहिए। तथा उसे शादी करके खुद को शुद्ध औऱ पवित्र रखने का प्रयास करना चाहिए, अगर वह ऐसा करने में सक्षम है, या रोज़ा रखना चाहिए, क्योंकि यह आत्मा को पवित्र करता है और गुप्तांग की हराम चीज़ों में पड़ने से रक्षा करता है।

अब उसे जो करना चाहिए, वह उस जघन्य कृत्य से तौबा करना, उस दिन के रोज़े की क़ज़ा करना और ऊपर उद्धृत हदीस में उल्लिखित कठोर प्रायश्चित करना है। हम अल्लाह तआला से प्रश्न करते हैं कि वह हमें और उसे क्षमा प्रदान करे और हमारी और उसकी तौबा को स्वीकार करे... आमीन।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर