सोमवार 24 जुमादा-1 1446 - 25 नवंबर 2024
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उन खेलों (गेम्स) को खेलने का हुक्म जिनमें गैर-मुस्लिम त्योहारों का जश्न मनाया जाता है

प्रश्न

मैं अपनी बहन के साथ मिलकर एक खाना पकाने का खेल खेलता हूँ। खेल के बीच में वे अपने एक त्योहार का जश्न मनाते हैं, और हम रेस्तरां की सजावट को बदलते रहे थे। लेकिन हमने ऐसा करना बंद कर दिया, परंतु हम उस खेल के जश्न मनाने से संबंधित हिस्से से आगे नहीं बढ़ सकते। तो क्या हम पाप करने वाले होंगे अगर हम इस खेल को खेलना जारी रखते हैंॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

 गैर-मुसलमानों के त्योहारों का जश्न मनाना जायज़ (अनुमेय) नहीं है, और न ही उन विधर्मिक त्योहारों का जश्न मनाने की अनुमति है जिन्हें कुछ मुसलमानों ने अविष्कार कर लिया है, भले ही वह किसी खेल (गेम) के अंतर्गत हो। क्योंकि हराम चीज़ से सहमत होना, या उसे स्वीकृति देना जायज़ नहीं है, उसमें भाग लेने का मामला तो बहुत दूर है।

मुसलमानों के लिए ईदुल-फित्र और ईदुल-अज़्हा के अलावा कोई अन्य त्योहार नहीं जिसका वे जश्न मनाते हैं, इसके अलावा जो त्योहार हैं वे नव-रचित त्योहार हैं, अगर उन्हें उपासना के रूप में किया गया है तो वे एक निन्दनीय बिदअत (नवाचार) हैं, और यदि उन्हें केवल आदत के तौर पर किया गया है तो वे काफिरों की समानता अपनाने के बिंदु से निषिद्ध हैं, क्योंकि वही लोग त्योहारों को अविष्कार करने और उनका जश्न मनाने के लिए जाने जाते हैं।

अबू दाऊद (हदीस संख्या : 1134) और नसाई (हदीस संख्या : 1556) ने अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहाः “अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मदीना आए, उस समय उनके दो दिन थे जिनमें वे खेल कूद करते थे, तो आप ने फरमाया : ''ये दोनों दिन क्या हैं?'' उन्हों ने कहा : हम इन दोनों दिनों में जाहिलियत (अज्ञानता) के समय काल में खेला करते थे, तो अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ''अल्लाह ने तुम्हें इन दोनों के बदले इन दोनों से बेहतर दिन प्रदान किए हैं : ईदुल-अज़्हा का दिन और ईदुल-फित्र का दिन।'' अल्लामा अल्बानी रहिमहुल्लाह ने इसे अस-सिलसिला अस-सहीहा (हदीस संख्या : 2021) में सहीह कहा है।

तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :

''जिसने किसी क़ौम की समानता अपनाई वह उन्हीं में से है।'' इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 4031) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने ''सहीह सुनन अबू दाऊद'' में इसे सहीह कहा है।

यदि खेल में इस त्योहार से आगे बढ़ना संभव नहीं है और इसमें भाग लेना आवश्यक है, तो इस खेल को जारी रखना जायज़ नहीं है; और इससे रहित अनुमेय खेलों में संतुष्टि और पर्याप्तता है।

इस तरह के खेल (गेम) जो बच्चे को असत्य से प्यार करना और उसका अभ्यस्त होना सिखाते हैं, और उसे वेलेंटाइन डे, बार्बी डे और क्रिसमस का जश्न मनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, इनसे सावधान रहना चाहिए और बच्चों को इनसे घृणित करना चाहिए।

अधिक जानकारी के लिए प्रश्न संख्याः (237205) देखें।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर