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एक व्यक्ति ने चावल का एक स्टीमर (जहाज़) खरीदा। और सामान के पहुँचने और उसे अपने क़ब्ज़े में लेने से पहले उसने उसे किसी दूसरे व्यक्ति को बेच दिया। फिर जल्द ही जहाज़ डूब गया। तो क्या यह बिक्री सही है, और सामान के नुक़सान की गारंटी कौन देगाॽ तथा उन सामानों के बारे में क्या हुक्म है जो शिपमेंट द्वारा विदेशों से लाए जाते हैं, चाहे विमानों से लाए जाएँ या जहाज़ों द्वाराॽ क्या माल का अपने मालिक (विक्रेता) के कब्जे से बाहर निकलना और अनुबंध करने वाले दोनों पक्षों के बीच लेनदेन के दस्तावेज़ का होना : सामान को प्राप्त करना नहीं माना जाएगाॽ या कि खरीदार का उसे अपने कब्ज़े में लेना शर्त (आवश्यक) हैॽ इस स्थिति में क्षतिग्रस्त होने पर माल का उत्तरदायी (गारंटर) कौन हैॽ तथा समुद्र के अंदर जहाज़ों और कश्तियों में लदे सामानों को बेचने के बारे में क्या हुक्म है, क्योंकि उन्हें दुर्घटनाओं और विनाश का खतरा हैॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सर्व प्रथम :
बिक्री का अनुबंध सामान को विक्रेता के स्वामित्व से क्रेता के स्वामित्व में हस्तांतरित कर देता है, लेकिन वह विक्रेता के दायित्व (गारंटी) से निकलकर क्रेता के दायित्व (गारंटी) में तब तक नहीं जाता जब तक कि वह उसे अपने कब्ज़े में नहीं ले लेता।
यदि खरीदार स्वयं या उसका एजेंट सामान को अपने क़ब्ज़े में कर ले, और उसे विक्रेता के गोदामों से निकाल ले : तो उसके लिए उसे बेचना जायज़ है, भले ही वह अभी जहाज़ या विमान पर हो ; क्योंकि वह अपने क़ब्ज़े में लेने और उसे स्थानांतरित करने से : उसकी गारंटी (दायित्व) में हो गया। इसी कारण, उसके लिए उसे बेचना और उसमें लाभ कमाना जायज़ हो गया। जबकि उसके लिए उस सामान के उसकी गारंटी (दायित्व) में प्रवेश करने से पहले ऐसा करना जायज़ नहीं है। क्योंकि “नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उस चीज़ पर लाभ उठाने से मना किया है जिसका वह उत्तरदायी (गारंटर) नहीं हैं।” तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "लाभ गारंटी के साथ है।"
इसलिए यदि समझौता यह है कि जैसे ही सामान उस कार्गो कंपनी को पहुँचा दिया जाता है, जिसके लिए खरीदार सहमत होता है, या विक्रेता उसका उसके लिए मार्गदर्शन करता है, तो विक्रेता की ज़िम्मेदारी समाप्त हो जाएगी, तो विक्रेता के गोदाम से सामान का निकलना और शिपिंग कार्यालय में उसका स्थानांतरण, चाहे वह समुद्र मार्ग से हो या हवाई मार्ग से, और उसे बिक्री को साबित करने वाले दस्तावेज सौंपना : सामान को क़ब्ज़ करना और उससे अधिक माना जाएगा।
इस तरह सामान खरीदार की गारंटी (दायित्व) का हिस्सा बन जाएगा। इसलिए यदि वह समुद्र या हवा में क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो उसकी गारंटी (उत्तरदायित्व) खरीदार पर होगी। क्योंकि उसने उसपर क़ब्ज़ा कर लिया है और उसे, या तो स्वयं या अपने एजेंट द्वारा, बंदरगाह पर ले गया है।
दूसरा :
सामान को इस स्थिति में बेचना कि वह अभी जहाज़ या विमान में हो : एक वैध बिक्री है, जिसके द्वारा स्वामित्व स्थानांतरित हो जाता है।
यदि व्यापारी ने अपने सामान को अपने पास पहुँचने से पहले इस स्थिति में बेच दिया कि वह अभी जहाज़ ही पर था, और वह उसकी गारंटी (दायित्व) में आ गया था, जैसा कि पिछले पैराग्राफ में ऊपर बताया गया है, तो यह बिक्री वैध है, और अगर सामान के पहुँचने के बाद उसमें कोई दोष दिखाई देता है, या यह स्पष्ट होता है कि सामान अनुबंध में दिए गए विवरण से भिन्न है, तो नए खरीदार के पास सौदा रद्द करने का विकल्प है।
यदि ऐसा हो कि वह आगमन से पहले क्षतिग्रस्त हो जाए : तो वह नए खरीदार की गारंटी का हिस्सा नहीं है; क्योंकि सामान विक्रेता की गारंटी में तब तक रहता है जब तक खरीदार उसे अपने क़ब्ज़े में नहीं ले लेता।
निष्कर्ष :
यह कि यदि खरीदार/आयातक : ने सामान (चावल) स्वयं प्राप्त किया है, और उसने स्वयं उसे कार्गो किया है, या किसी को विक्रेता/निर्यातक से सामान प्राप्त करने के लिए एजेंट नियुक्त किया है, भले ही एजेंट एक शिपिंग कंपनी हो : फिर सामान उस स्थान पर पहुँचने से पहले नष्ट हो गया, जहाँ खरीदार उसे ले जाना चाहता था, तो वह खरीदार की गारंटी (उत्तरदायित्व) में होगा। क्योंकि उसने वास्तव में सामान अपने क़ब्ज़े में ले लिया था और उस पर कार्रवाई की थी।
लेकिन अगर विक्रेता/ निर्यातक ने खुद या उसके एजेंट ने सामान भेजा है, या बिक्री जहाज़ पर की गई थी, फिर पहुँचने से पहले सामान नष्ट हो गया : तो वह विक्रेता की गारंटी (उत्तरदायित्व) में होगा।
तथा प्रश्न संख्या : (217314 ) का उत्तर देखें।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।