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हम चाहते हैं कि रोज़ा को बातिल (व्यर्थ और अमान्य) करने वाली चीज़ों का सारांश रूप से उल्लेख करें।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
अल्लाह तआला ने रोज़ा को संपूर्ण हिक्मत (उच्चतम तत्वदर्शिता और बुद्धि) के आधार पर निर्धारित किया है।
उसने रोज़ेदार को एक संतुलित रोज़ा रखने का आदेश दिया है, अत: वह रोज़े के द्वारा स्वयं को हानि (नुक़सान) नहीं पहुँचायेगा, और न ही ऐसी चीज़ का सेवन करेगा जो रोज़ा के विरूध और विपरीत हो।
इसीलिए रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ें दो प्रकार की हैं:
रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों में से कुछ खाली करने (अर्थात् शरीर से बाहर निकालने) के भेद से हैं, जैसे कि संभोग, उल्टी करना, मासिक धर्म और सिंघी लगवाना, इन चीज़ो का शरीर से निकलना उसे कमज़ोर कर देता है, इसीलिए अल्लाह तआला ने इन्हें रोज़ा फासिद (खराब और अमान्य) करने वाली चीज़ों में से क़रार दिया है, ताकि रोज़ेदार पर रोज़े के कारण अनुभव होने वाली कमज़ोरी के साथ-साथ इन चीज़ो के निकलने से पैदा होने वाली कमज़ोरी भी एकत्र न हो जाये, जिसके परिणामस्वरूप रोजे़दार को रोज़ा से नुकसान पहुँच जाये और उसका रोज़ा संतुलन की सीमा से बाहर निकल जाये।
तथा रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों में से कुछ भरने (शरीर में प्रवेष करने) के प्रकार से हैं, जैसे कि खाना और पीना। यदि रोज़ादार कुछ खा ले या पी ले तो उसे रोज़ा रखने का उद्देश्य प्राप्त नहीं होगा। (मजमूउल फतावा 25/248)
अल्लाह तआला ने मूल रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों को अपने इस कथन में एक साथ वर्णन किया है:
"अब तुम्हें उनसे सम्भोग करने की और अल्लाह की लिखी हुई चीज़ को ढूंढ़ने की अनुमति है, तुम खाते पीते रहो यहाँ तक कि प्रभात का सफेद धागा रात के काले धागे से प्रत्यक्ष हो जाए। फिर रात तक रोज़े को पूरे करो।" (सूरतुल बकरा: 187)
इस आयत में अल्लाह तआला ने मूल रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों का उल्लेख किया है, और वे खाना, पीना और संभोग करना हैं।
तथा शेष रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों को नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी सुन्नत में उल्लेख किया है।
रोज़ा को फासिद (अमान्य) करने वाली चीज़ें सात हैं, और वे निम्नलिखित हैं:
1- संभोग।
2- हस्तमैथुन।
3- खाना और पीना।
4- वह चीज़ जो खाने और पीने के अर्थ में आती है।
5- सिंघी इत्यादि के माध्यम से खून निकालना।
6- जानबूझकर उल्टी करना।
7- औरत से माहवारी या निफास (प्रसव) के खून का निकलना।
इन रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों में सर्व प्रथम : संभोग है।
और यह सब से गंभीर और सब से बड़ा गुनाह वाला है।
अत: जिस ने रमज़ान के दिन में जानबूझ कर इच्छापूर्वक संभोग कर लिया इस प्रकार कि दोनों पक्ष के खतने आपस में मिल जाते हैं और लिंग का टिप दोनों रास्तों में से किसी एक में समागम हो जाता है, तो उसका रोज़ा फासिद हो गया, चाहे वीर्य पात हो या न हो। ऐसी अवस्था में उस पर तौबा (पश्चाताप) करना, उस दिन के रोज़े को पूरा करना (अर्थात् यद्यपि उसका रोज़ा टूट गया किन्तु उस के लिए कुछ खाना-पीना जायज़ नहीं है), उस दिन के रोज़े की (बाद में) क़ज़ा करना, और कफ्फारा-मुग़ल्लज़ा (कठोर प्रायिश्चत) अनिवार्य है। इसका प्रमाण अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस है कि उन्हों ने कहा : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास एक आदमी आया और कहा : ऐ अल्लाह के पैग़ंबर ! मेरा सर्वनाश हो गया। आप ने फरमाया : "किस चीज़ ने तेरा सर्वनाश कर दिया?" उसने कहा : रमज़ान में मैं ने अपनी पत्नी से संभोग कर लिया। आप ने फरमाया : "क्या तेरे पास एक गुलाम आजा़द करने के लिए कुछ है?" उसने जवाब दिया : नहीं। आप ने फरमाया: "क्या तू लगातार दो महीने के रोज़े रख सकता है?" उसने कहा : नहीं। आप ने फरमाया : "क्या तू साठ मिसकीनों (गरीब व्यक्तियों) को खाना खिलाने की ताक़त रखता है?" उसने कहा : नहीं ..." हदीस के अन्त तक। इसे बुखारी (हदीस संख्या :1936)और मुस्लिम (हदीस संख्या :1111) ने रिवायत किया है।
रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों में से संभोग के अलावा किसी और चीज़ से कफ्फारा अनिवार्य नहीं होता है।
रोज़ा तोड़ने वाली द्वतीय चीज़ : हस्तमैथुन है।
इस से अभिप्राय हाथ के द्वारा या किसी अन्य कारण से वीर्य पात करना है।
इस बात का प्रमाण कि हस्तमैथुन रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों में से है, अल्लाह तआला का हदीसे-क़ुद्सी में रोज़ेदार के बारे में यह फरमान है : "वह अपने खाने पीने और शह्वत (कामवासना) को मेरे कारण छोड़ देता है।" इसे बुखारी (हदीस संख्या :1894) और मुस्लिम (हदीस संख्या :1151) ने रिवायत किया है। पता चला कि वीर्य पात करना उस शह्वत में से है जिसे रोज़ादार त्याग कर देता है।
जो आदमी रमज़ान के दिन में हस्तमैथुन कर लेता है, उस पर अनिवार्य है कि वह अल्लाह से तौबा करे, तथा उस दिन के शेष भाग में खाने-पीने से रूक जाये और बाद में उस दिन की क़ज़ा करे।
यदि रोज़ादार हस्तमैथुन करना शुरू कर दे फिर रूक जाये और वीर्य पात न करे, तो उसके ऊपर तौबा करना अनिवार्य है, और उसका रोज़ा सहीह (शुद्ध) है, और उसके ऊपर क़ज़ा अनिवार्य नहीं है ; क्योंकि वीर्य पात नहीं हुआ है। रोज़ेदार को चाहिये कि शह्वत को भड़काने (कामोत्तेजक) चीज़ से दूर रहे और अपने मन से बुरे ख्यालात (दुष्ट कल्पनाओं) को दूर रखे।
जहाँ तक मज़ी के निकलने का संबंध है तो उचित कथन के अनुसार इस से रोज़ा नहीं टूटता है।
रोज़ा तोड़ने वाली तीसरी चीज़ : खाना और पीना है।
इस का मतलब मुँह के माध्यम से पेट में खाद्य या पेय पहुँचाना है।
इसी तरह अगर रोज़ेदार नाक के माध्यम से कोई चीज़ अपने पेट में प्रवेश कर दे, तो वह भी खाने और पीने के समान है।
इसीलिए नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "नाक में पानी चढ़ाने में मुबालग़ा (अति) से काम लो, सिवाय इसके कि तुम रोजे से हो।" इसे तिर्मिज़ी ने (हदीस संख्या : 38) रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीह तिर्मिज़ी (हदीस संख्या: 631) में सहीह कहा है।
अगर नाक के माध्यम से पानी का पेट में प्रवेष करना रोज़े को प्रभावित न करता, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रोज़ेदार को नाक में पानी चढ़ाने में मुबालग़ा करने से न रोकते।
रोज़ा तोड़ने वाली चौथी चीज़ : जो चीज़ खाने और पीने के अर्थ में हो।
और यह दो चीज़ों को सम्मिलित है:
1- रोज़ेदार को खून चढ़ाना, जैसे कि वह रक्तस्राव से पीड़ित हो तो उसे खून चढ़ाया जाये, तो इस से रोज़ा टूट जायेगा, क्योंकि खाने और पीने के द्वारा खूराक का उद्देश्य खून ही है।
2- ताक़त की सुई (पौष्टिक और शक्तिवर्धक इन्जेक्शन) जिसके द्वारा खाने और पीने से बेनियाज़ हुआ जा कसता है, क्योंकि वह खाने और पीने के समान और उसके स्थान पर है। (मजालिस शहर रमज़ान, शैख इब्ने उसैमीन पृ0 70)
किन्तु वे इन्जेक्शन जो खाने और पीने का विकल्प और उसके स्थान पर नहीं हैं, बल्कि वे चिकित्सा उपचार के तौर पर हैं, जैसे कि पेनसिलीन, इंसुलीन या शरीर को सक्रिय करने अथवा टीका की सुईयाँ, तो यह सब रोज़े को प्रभावित नहीं करते हैं, चाहे इन्हें मांसपेशियों के माध्यम से लिया जाये या नसों के। (फतावा मुहम्मद बिन इब्राहीम 4/189)
किन्तु सावधानी का पहलू यह है कि इन सुईयों का प्रयोग रात में किया जाये।
किड्नी डायलिसिस, जिसमें रक्त को साफ करने के लिये उसे बाहर निकाला जाता है, और फिर उसमें शक्कर और नमक आदि रासायनिक और पौष्टिक पदार्थों को मिलाकर शरीर में दुबारा लौटा दिया जाता है, तो इस से रोज़ा टूट जायेगा। (फतावा स्थायी समिति 10/19)
रोज़ा तोड़ने वाली पाँचवीं चीज़ : सिंघी के द्वारा खून निकलवाना
क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : "सिंघी लगाने वाले का और सिंघी लगवाने वाले का रोज़ा टूट गया।" इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 2367)ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीह अबू दाऊद (हदीस संख्या : 2047)में सहीह कहा है।
सिंघी के द्वारा खून निकलवाने के अर्थ ही में रक्तदान करना भी है ; क्योंकि वह शरीर को सिंघी के समान ही प्रभावित करता है।
इस आधार पर रोज़ेदार के लिए रक्तदान करना वैध नहीं है, सिवाय इसके कि कोई मजबूर आदमी हो तो उसके लिए रक्तदान कर सकते हैं, और रक्तदाता का रोज़ा टूट जायेगा और वह बाद में उस दिन की क़ज़ा करेगा। (मजालिस शहर रमज़ान, शैख इब्ने उसैमीन पृ0 71)
और जो आदमी रक्तस्राव से पीड़ित हो तो उसका रोज़ा शुद्ध है, क्योंकि इसमें उसकी इच्छा और विकल्प सम्मिलित नहीं है।(फतावा स्थायी समिति 10/264)
दांत उखाड़ने के कारण खून निकलने, या घाव फूटने, या खून टेस्ट करने इत्यादि से रोज़ा नहीं टूटता है, इसलिए कि यह न तो सिंघी लगाना है और न ही उसके अर्थ में (समान) है, क्योंकि यह शरीर को सिंघी के समान प्रभावित नहीं करता है।
रोज़ा तोड़ने वाली छठी चीज़ : जानबूझ कर उल्टी करना है।
क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : "जिसने जानबूझ कर (इच्छापूर्वक) उल्टी किया वह क़ज़ा करे। और जिस पर उल्टी ग़ालिब आजाए, उस पर कोई क़ज़ा नहीं है।" इसे तिर्मिज़ी ने (हदीस संख्या : 720)रिवायत किया है और अल्बानी ने इसे सहीह तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 577) में सहीह कहा है।
इब्नुल मुन्ज़िर कहते हैं : "जानबूझ कर उल्टी करने वाले के रोज़े के अमान्य होने पर विद्धानों की सर्वसम्मति है।" (अल-मुग़नी 4/368)
जिस ने जानबूझ कर अपनी अंगुली को अपने मुंह में डाल कर, या अपने पेट को दबाकर, या जानबूझ कर गंदी महक सूंघ कर, या उल्टी लाने वाली चीज़ को निरंतर देखते रहने के कारण उल्टी किया, तो उस पर क़ज़ा अनिवार्य है।
यदि उसके पेट में हलचल पैदा हो तो उसके लिए उल्टी को रोकना अनिवार्य नहीं है; क्योंकि इस से उसे नुकसान पहुँचेगा। (मजालिस शहर रमज़ान, शैख इब्ने उसैमीन पृ0 71)
रोज़ा तोड़ने वाली सातवीं चीज़ : मासिक धर्म और निफास (प्रसव) का खून निकलना है।
क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : "क्या ऐसी बात नहीं है कि स्त्री मासिक धर्म के अन्तर काल न नमाज़ पढ़ती है और न रोज़ा रखती है।" (बुखारी हदीस संख्या : 304)
और जब भी वह माहवारी या प्रसव का खून देख ले, तो उसका रोज़ा फासिद हो गया, चाहे सूर्यास्त से एक क्षण पहले ही क्यों न हो।
और यदि माहवारी के खून के स्थानांतरित होने (चलने) का उसे एहसास हो किन्तु वह सूरज डूबने के पश्चात बाहर निकले तो उसका रोज़ा शुद्ध है, और उसका उस दिन का रोज़ा उसके लिये किफायत करेगा।
अगर हैज़ या निफास वाली औरत का खून रात के समय बंद हो जाये, और रात को रोज़ा की नीयत कर ले, फिर उसके गुस्ल करने से पहले फज्र उदय हो जाये, तो सभी विद्धानों का मत यह है कि उसका रोज़ा सहीह (शुद्ध) है। (फत्हुल बारी 4/148)
माहवारी वाली औरत के लिए सर्वश्रेष्ठ यही है कि वह अपनी प्राकृतिक स्वभाव पर बाक़ी रहे, और अल्लाह तआला ने उस पर जो लिख दिया (निर्धारित कर दिया) है, उस पर सन्तुष्ट रहे और खून को रोकने वाली किसी चीज़ (औषधी आदि) का सेवन न करे, और अल्लाह तआला ने उस की तरफ से जो माहवारी में रोज़ा तोड़ देना और बाद में उसकी क़जा करना स्वीकार किया है, उसे वह स्वीकार करे, उम्महातुल मोमिनीन (विश्वासियों की माताओं अर्थात् पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियों) और सलफ सालेहीन (पूर्वजों) की औरतों का यही तरीक़ा था। (फतावा स्थायी समिति 10/151)
इस पर अतिरिक्त यह कि चिकित्सा विज्ञान से इन माहवारी रोकने वाले अधिकांश साधनों और उपायों का हानिकारक होना सिद्ध हो चुका है, और इसके परिणामस्वरूप बहुत सी महिलायें माहवारी की अनियमित्ता से पीड़ित हो चुकी हैं। यदि महिला ऐसा करती है और खून को रोकने वाली चीज़ का सेवन कर लेती है, और उसका खून बंद हो जाता है और वह साफ-सुथरी हो जाती है, और रोज़ा रखती है तो यह उसके लिए किफायत करेगा।
तो यह थीं रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ें। और माहवारी और निफास को छोड़कर इन सभी रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों से उसी समय रोज़ा टूटेगा जब उसमें तीन शर्तें पायी जायें:
-उसे इन रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों का ज्ञान हो, इन से वह अनभिज्ञ न हो।
- वह इन्हें याद रखने वाला हो, भूल कर ऐसा न किया हो।
- उसने अपनी इच्छा और पसंद से ऐसा किया हो, उस पर मजबूर न किया गया हो।
उपयोगिता और लाभ के उद्देश्य से हम कुछ अन्य चीज़ों का उल्लेख कर रहे हैं जिन से रोज़ा नहीं टूटता हैः
►एनीमा, आँख और कान की बूंदें (Eye and Ear Drops), दाँत उखाड़ने और घाव का उपचार करने से रोज़ा नहीं टूटता है। (मज्मूअ़ फतावा शैखुल इस्लाम 25/233, 25/245)
►चिकित्सीय गोलियाँ जो एनजाइना आदि के उपचार के लिए जीभ के नीचे रखी जाती हैं, जबकि गले तक पहुंचने वाले उसके अवशेष को निगलने से बचा जाये।
►योनि में प्रवेष किया जाने वाला स्पोज़िटरी, या लोशन, या योनि दूरबीन, या चिकित्सा जांच के लिए अंगुली डालना।
►गर्भाशय में दूरबीन या अन्य चिकित्सा उपकरणा (जैसे कि गर्भाशय में स्थापित अंडे को रोकने के लिए एक विशेष चिकित्सा उपकरण) घुसाना।
►पुरूष या महिला के मूत्र पथ में कैथिटर ट्यूब (एक महीन नल्की), या दूरबीन, या एक्स-रे के प्रयोजन के लिए अपारदर्शी पदार्थ, या दवा, या मूत्राशय धोने के लिये घोल प्रवेष करना।
►दांत की ड्रिलिंग, या दांत का उखाड़ना, या ब्रश अथवा मिस्वाक के द्वारा दांतों की सफाई, जबकि गले तक पहुँचने वाली चीज़ को निगलने से बचा जाये।
►कुल्ली और गरारा करना, तथा मुँह के स्थानीय उपचार का स्प्रे जबकि गले तक पहुँचने वाले अवशेष को निगलने से बचा जाये।
►ऑक्सीजन गैस, तथा बेहोश (चेतना शून्य) करने वाली गैसें जब तक कि मरीज़ को पौष्टिक तरल पदार्थ (घुलनशील पोषक तत्व) न दिया जाये।
►त्वचा से अवशोषित होकर शरीर में प्रवेष करने वाली चीज़ें, जैसे कि तेल, मरहम (क्रीम), तथा औषधीय या रासायनिक पदार्थों से भरा त्वचा के उपचार का पैच।
►हृदय (कार्डियोवास्कुलर), या अन्य अंगों के उपचार या इमेजिंग के लिये धमनियों में कैथिटर ट्यूब डालना।
►पेट की दीवार के माध्यम से आंत की जांच या उसके ऑपरेशन के लिए दूरबीन प्रवेष करना।
►लीवर या शरीर के किसी अन्य भाग से (बायोप्सी) नमूने लेना जबकि उसके साथ घोल न दिया गया हो।
►पेट का टेलीस्कोप जबकि उस के साथ तरल पदार्थ (घोल) या अन्य पदार्थ न दिया गया हो।
►दिमाग या रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉर्ड) में किसी उपकरण या उपचार पदार्थ का प्रवेश।
और अल्लाह ही सर्वश्रेष्ठ जानता है।
देखिएः शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह की किताब "मजालिस शहर रमज़ान" और पुस्तिका "सब्ऊना मस्अला-तन फिस्सियाम" जो कि इस साइट पर पुस्तक विभाग में मौजूद है।