हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हराम : कहते हैं जिस के करने वाले को दण्डित किया जाये और उसे परित्याग करने वाले को पुरस्कृति किया जाये यदि उस ने अल्लाह तआला के निषेद्ध को त्यागने में अल्लाह का आज्ञा पालन किया है।
हलाल : जिस के करने में कोई गुनाह नहीं है जिस तरह कि उस के छोड़ने में कोई गुनाह नहीं है, हाँ अगर उस के करने में अल्लाह सुब्हानहु व तआला के आज्ञा पालन पर शक्ति और सक्षमता प्राप्त करना हो तो इस नीयत पर उसे पुण्य मिलेगा।
किसी चीज़ को हलाल ठहराना और किसी चीज़ को हराम ठहराना एक मात्र अल्लाह तआला का अधिकार है। कुछ लोगों ने अल्लाह तआला की हराम की हुई कुछ चीज़ों को हलाल ठहरा लिया है, और कुछ लोगों ने अल्लाह तआला की हलाल की हुई कुछ चीज़ों को हराम घोषित कर दिया है, और इसी तरह कुछ लोगों ने ऐसी इबादतें अविष्कार कर ली हैं जिन्हें अल्लाह तआला ने वैध नहीं किया है बल्कि उन से रोका है।
और "असल दीन" (मूल धर्म) यह है कि हलाल वह है जिसे अल्लाह और उस के रसूल ने हलाल ठहराया है, और हराम वह है जिसे अल्लाह और उस के रसूल ने हराम ठहराया है, और दीन (धर्म) वह है जिसे अल्लाह और उस के रसूल ने निर्धारित किया है। किसी व्यक्ति के लिए यह अनुमति नहीं है कि वह उस सीधे मार्ग (सिराते मुस्तक़ीम) से बाहर निकले जिस के साथ अल्लाह तआला ने अपने पैगंबर को भेजा है, अल्लाह तआला ने फरमाया : "और यही धर्म मेरा मार्ग है जो सीधा है, अत: इसी मार्ग पर चलो, और दूसरी पगडण्डियों पर न चलो कि वे तुम्हें अल्लाह के मार्ग से अलग कर देंगी, इसी का अल्लाह तआला ने तुम को आदेश दिया है ताकि तुम परहेज़गार (संयमी, ईश-भय रखने वाले) बनो।" (सूरतुल अंआम : 153)
अल्लाह तआला ने सूरतुल अंआम और सूरतुल आराफ वगैरह में उस चीज़ का उल्लेख किया है जिस के कारण अल्लाह तआला ने मुश्रिकों (बहुदेववादियों) की निन्दा की है क्योंकि उन्हों ने ऐसी चीज़ों को हराम ठहरा लिया जिन्हें अल्लाह तआला ने हराम नहीं ठहराया है, जैसे की बहीरा (वह जानवर जिस का दूध दूहना छोड़ दिया जाता और कहा जाता कि यह मूर्तियों के लिए है। अत: कोई व्यक्ति उस के थनों को हाथ न लगाता) और साईबा (वह जानवर जिसे वे मूर्तियों के लिए आज़ाद छोड़ देते थे, उसे न सवारी के लिए इस्तेमाल करते न बोझ ढोने के लिए), तथा उस चीज़ को हलाल कर लिया जिसे अल्लाह तआला ने हराम घोषित किया है, और उन्हों ने ऐसा धर्म शास्त्र निर्धारित कर लिया जिस की अल्लाह तआला ने अनुमति नहीं दी है, अल्लाह तआला ने फरमाया : "क्या इन लोगों ने ऐसे (अल्लाह के) साझी (ठहरा रखे) हैं जिन्हों ने ऐसे दीन के अहकाम निर्धारित कर दिये हैं जिन की अल्लाह तआला ने अनुमति नहीं दी है।" (सूरतुश्शूरा : 21)
और उसी में से ऐसी चीज़ें हैं जो हराम हैं जिन्हें उन्हों ने इबादात (पूजा पाठ) बना लिया है जैसे कि शिर्क और अनैतिक कार्य,उदाहरण के तौर पर नग्न होकर अल्लाह के घर काबा का तवाफ (चक्कर) करना और इस के अलावा अन्य चीज़ें।