हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।''हज्ज के एहराम से बाहर निकलना पुरुष और महिला दोनों के लिए जमरतुल-अक़बह को कंकड़ी मारने और पुरुषों के लिए अपने सिर के बाल मुंडाने या काटने के बाद होता है, लेकिन महिला के पास केवल बाल काटने का विकल्प है। ऐसा कर लेने से उनमें से प्रत्येक के लिए वह सब कुछ करना वैध हो जाता है जो उनके लिए एहराम की वजह से हराम (वर्जित) था, सिवाय संभोग के। परंतु एहराम से पूरी तरह से बाहर निकलना (तहल्लुल अकबर) उस समय होगा जब वह तवाफे इफाज़ा और सई से फारिग हो जाए यदि उसपर सई भी अनिवार्य है। इसके बाद उन दोनों के लिए हर वह चीज़ हलाल हो जाएगी जो एहराम के कारण उन पर वर्जित थी, यहाँ तक कि संभोग भी।
जहाँ तक उम्रा के एहराम से बाहर निकलने का संबंध है, तो पुरुष और महिला में से प्रत्येक के लिए उनके तवाफ़ और सई से फारिग होने, तथा पुरुष के लिए अपने सिर के बाल मुंडाने या काटने के बाद होगा, लेकिन महिला के लिए केवल बाल काटना धर्मसंगत है उसके लिए बाल मुंडाने का विकल्प नहीं है। इसके बाद उनके लिए वह सब कुछ करना जायज़ हो जाता है जो एहराम के कारण उनपर वर्जित था। तथा हज्ज और उम्रा को एक साथ करने वाले आदमी का हुक्म एहराम से बाहर निकलने के संबंध में इफ्राद हज्ज करने वाले के हुक्म के समान है।
और अल्लाह ही तौफ़ीक़ देने वाला (शक्ति का स्रोत) है, तथा अल्लाह हमारे पैगंबर मुहम्मद और उनके परिवार और साथियों पर दया और शांति अवतरित करे।'' उद्धरण समाप्त।
अल-लज्नह अद-दाईमह लिल-बुहूस अल-इल्मिय्यह वल-इफ़्ता।
शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़, शैख अब्दुर रज़्ज़ाक़ अफ़ीफ़ी, शैख अब्दुल्लाह बिन ग़ुदैयान, शैख अब्दुल्लाह बिन क़ऊद।
''फतावा अल-लज्नह अद-दाईमह लिल-बुहूस अल-इल्मिय्यह वल-इफ़्ता। (11/222-223)''
इस्लाम प्रश्न और उत्तर