हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जिस व्यक्ति ने उम्रा किया और नियम से अनभिज्ञ होने के कारण अपने बाल को नहीं मुँडाया या उसे छोटा नहीं करवाया, फिर अपना कपड़ा पहन लिया, तो उसके ऊपर अनिवार्य है कि जब उसे पता चले तो अपने कपड़े निकाल दे, और अपने बाल मुँडाए या छोटे करवाए, और राजेह कथन के अनुसार उसने एहराम की हालत में कपड़ा पहनने इत्यादि के जिस निषेद्ध को कर लिया है, उस बारे में उस पर कोई चीज़ अनिवार्य नहीं है ; क्योंकि वह अनभिज्ञ और अनजाना था, लेकिन उसे चाहिए कि उसने अपने ऊपर अनिवार्य चीज़ों को सीखने में जो कोताही की है उसे से अल्लाह के समक्ष तौबा करे, क्योंकि जो व्यक्ति किसी इबादत या मामले का इरादा करे उसके लिए उसके अहकाम (प्रावधानों) को सीखना अनिवार्य है। और यह (धार्मिक) ज्ञान के उस भाग में से है जो उसके ऊपर अनिवार्य है।
तथा शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया : उस आदमी का क्या हुक्म है जो उम्रा में बाल मुँडाना या छोटा करवाना भूल गया, चुनाँचे उसने सिले कपड़े पहन लिए फिर उसे याद आया कि उसने बाल नहीं कटाए या मुँडाए हैं ॽ
तो उन्हों ने उत्तर दिया : “जो व्यक्ति उम्रा में बाल मुँडाना या कटवाना भूल गया, चुनाँचे उसने तवाफ और सई किया फिर बाल मुँडाने या कटवाने से पहले कपड़े पहन लिए तो वह याद आने पर अपने कपड़े निकाल देगा और बाल मुँडाए या छोटे करवाए गा फिर अपने कपड़े पहन लेगा, यदि उसने अनजाने में या भूलकर कपड़े पहनने की हालत में ही बाल मुँडा लिए या छोटे करवा लिए तो उसके ऊपर कुछ भी अनिवार्य नहीं है, और उसके लिए यह पर्याप्त है, उसे दुबारा बाल मुँडाने या छोटा करवाने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन जब भी उसे ध्यान आए तो उसके ऊपर अनिवार्य यह है कि वह कपड़े उतार दे ताकि एहराम की हालत में बालों को मुँडाए या कटवाए।” फतावा शैख इब्ने बाज़ (17/436) से समाप्त हुआ।