हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जक़ातुल फित्र उसके निकालने वाले के देश में गरीब मुसलमानों को दिया जायेगा,क्योंकि अबू दाऊद ने इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : "अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने रमज़ान के ज़कातुल फित्र को मिस्कीनों (गरीबों) के खाने के लिए अनिवार्य किया है . . . "
तथा उसे किसी दूसरे देश के गरीबों को स्थानांतरित करना जाइज़ है जिसके वासी अधिक ज़रूरतमंद हों। तथा उसे मस्जिद के निर्माण या परोपकारी कार्यों में लगाना जाइज़ नहीं है।