हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
मुसलमान के लिए किसी भी प्रकार की सहभागिता के द्वारा काफिरों के धार्मिक त्योहारों और समारोहों में हिस्सा लेना जायज़ नहीं है। और ऐसा करना प्रमुख पापों में से एक महा पाप है, क्योंकि वह इसके द्वारा अल्लाह के साथ शिर्क (अनेकेश्वरवाद) पर उसकी मदद करता है, उसे उसपर प्रोत्साहित करता है और उसके लिए इस पर अपनी संतुष्टि प्रकट करता है।
इसी कारण मुसलमान के लिए, काफिर को इन त्योहारों की बधाई देना या उसे इसमें उपहार भेंट करना जायज़ नहीं है। इसका उल्लेख प्रश्न संख्या : (947) के उत्तर में किया जा चुका है।
प्रश्न में वर्णित इस उत्सव (वार्षिक रात्रिभोजन) को उसके आयोजकों ने अपने एक धार्मिक त्योहार (क्रिसमस) का नाम दिया है, और उनके यहाँ क्रिसमस को मनाने की अवधि केवल एक दिन नहीं है, बल्कि वे कई दिन हैं, जिसका आरंभ 24 दिसंबर की रात से होकर 6 जनवरी तक, अर्थात् : तेरह दिनों तक रहता है।
इस दिन उनके यहाँ प्रचलित (पालन किए जानेवाले) अनुष्ठानों (रस्मों) में से : रात्रिभोज करना है जिसे ''क्रिसमस रात्रिभोज'' का नाम दिया जाता है, तथा उपहारों का आदान प्रदान करना है ; और प्रश्न में इसी का उल्लेख किया गया है कि वे इस उत्सव में ऐसा ही करते हैं, जिससे इस तथ्य की पुष्टि होती है कि वह एक धार्मिक उत्सव (समारोह) है,या कम से कम : वह एक धार्मिक कारण से सामान्य उत्सव (त्योहार), या उससे संबंधित है, और यही तत्व मुसलमान को उसमें भाग लेने, या उसके अनुयायियों को बधाई देने से रोकती है।
यदि यह सामान्य और प्रथागत है कि कंपनी के कर्मचारी इस रात्रिभोजन में भाग लेते हैं, या सीधे आपको इसमें आमंत्रित किया गया है : तो आप से जितना भी संभव है इससे बहाना करने की कोशिश करें और इससे दूर रहने का उपाय करें। बल्कि देखा यह गया है कि बहुत सी सम्मानित कंपनियाँ अपने कर्मचारियों के धार्मिक भावनाओं का सम्मान करती हैं। यदि आप ने यह स्पष्ट कर दिया कि आपके पास एक धार्मिक उज़्र (बहाना) है, जो आपको इस समारोह में भाग लेने से रोकता है, तो इस तरह की सम्मानजनक कंपनियाँ इसका ध्यान रखती हैं और अपनेकर्मचारी की गोपनीयता का सम्मान करती हैं।
तथा अधिक लाभ के लिए प्रश्न संख्या (127500) और (85108) का उत्तर देखें।
अल्लाह तआला आपको उस चीज़ की तौफीक़ प्रदान करे जिसे वह पसंद करता और प्रसन्न होता है।