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पर्दे वाली औरतों के चेहरे की ओर देखने का क्या हुक्म है ॽ

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प्रकाशन की तिथि : 30-11-2011

दृश्य : 6749

प्रश्न

मैं एक ऐसे क्षेत्र में रहता हूँ जिस में बहुत अधिक हिजाब (पर्दे) वाली औरतें हैं, और समय सयम पर उन में से किसी एक के साथ बात करने की आवश्यकता पड़ती है। तो क्या मेरे लिए उन से बात करते समय उनके चेहरों को देखना जाइज़ है, या कि निगाह नीची रखना अनिवार्य है भले ही वे हिजाब वाली हों ॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

अल्लाह सर्वशक्तिमान ने पुरूषों को उन हराम और निषिद्ध चीज़ों से दृष्टि को नीची रखने का आदेश दिया है जिनकी ओर उनके लिए देखना जाइज़ नहीं है, अैर उनके ऊपर हराम चीज़ों में से एक : परायी औरतों की ओर देखना है, जैसाकि अल्लाह ने औरतों को भी इसी चीज़ का आदेश दिया है कि वे अपनी निगाहों को अल्लाह की हराम की हुई चीज़ों से नीची रखें,और उन पर हराम चीज़ों में से एक : पराये मर्दों की ओर देखना है,अल्लाह तआला ने फरमाया :

قُلْ لِلْمُؤْمِنِينَ يَغُضُّوا مِنْ أَبْصَارِهِمْ وَيَحْفَظُوا فُرُوجَهُمْ ذَلِكَ أَزْكَى لَهُمْ إِنَّ اللَّهَ خَبِيرٌ بِمَا يَصْنَعُونَ وَقُلْ لِلْمُؤْمِنَاتِ يَغْضُضْنَ مِنْ أَبْصَارِهِنَّ وَيَحْفَظْنَ فُرُوجَهُنَّ [النور : 30]

“आप मोमिनों (ईमान वाले पुरूषों) से कह दीजिए कि अपनी दृष्टियों (निगाहों) को नीची रखें और अपने शरमगाहों (सतीत्व) की सुरक्षा करें, यह उनके लिए अधिक पवित्रता का पात्र है, निःसंदेह अल्लाह तआला उनके कार्यों से अच्छी तरह अवगत है। तथा आप ईमान वाली औरतों से कह दें कि वे अपनी निगाहों को नीची रखें और अपनी शरमगाहों की सुरक्षा करें।” (सूरतुन्नूर : 30)

तथा परायी औरत की ओर ज़रूरत के समय देखना वैद्ध किया गया है,और उसी में से बिक्री, गवाही,चिकित्साऔर शादी का पैगाम देने में उसकी ओर देखना जाइज़ है, जहाँ तक कामुक दृष्टि का संबंध है तो वह सर्वसहमति के साथ निषिद्ध (हराम) है।

जिन हालतों में परायी औरत की ओर देखना जाइज़ है उन्हें प्रश्न संख्या : (2198) के उत्तर में दखिए।

प्रश्न करने वाले भाई ने अपने शहर में हिजाब वाली औरतों की ओर देखने की आवश्यकता को उल्लेख नहीं किया है, यदि उसका मतलब वे आवश्यकताएं है जिनका हमने उल्लेख किया है जो देखने को वैद्ध ठहरातीहैं : तो इसमें कोई हरज की बात नहीं है,लेकिन वह आवश्यकता की मात्रा ही में देखेगा उससे आगे नहीं बढ़ेगा ; क्योंकि असल (मूल सिद्धांत) निगाह नीची रखना है जैसाकि पिछली आयतों में इसका उल्लेख किया जा चुका है।

और यदि वह उनकी ओर मात्र इसलिए देखना चाहता है कि वह उनके साथ बात करता है,हमने जिन ज़रूरतों का उल्लेख किया है वो या उनके समान कोई अन्य चीज़ नहीं पाई जाती है: तो प्रत्यक्ष बात यह है कि उसे उस औरत से अपनी निगाह नीची रखने का हुक्म दिया जायेगा जिस से वह बात करता है, विशेषकर उसकी आयु छोटी हैऔर फित्ने से सुरक्षा नहीं है, बल्कि फित्ना और उसके कारणों का फैलाव हो रहा है।

तथा प्रश्न संख्या : (114196) का उत्तर देखिए,क्योंकि उसमें अधिक बातों का वर्णन है, और हम ने उसमें जो बातें कही हैं उसमें से निम्नलिखित बातें भी हैं :

जहाँ तक हिजाब वाली औरत का संबंध है जिसने केवल अपने चेहरे को खोला है : तो इसने बावजूद इसके कि राजेह (सही) शरई हुक्म का जो औरत के चेहरा छिपाने की अनिवार्यता की अपेक्षा करता है,उल्लंघन किया है,किंतु पुरूषों का उसके साथ व्यवहार (लेन देन), जैसे - बिक्री,खरीद,सहायता,शिक्षा,चिकित्सा,गवाही,शादी का पैगामइत्यादि की आवश्यकता, ज़रूरत की मात्रा में उसके चेहरे की ओर देखने के जाइज़ होने की अपेक्षा करता है,बशर्ते कि कामुकता के साथ न हो,और उससे फित्ने का डर न हो . . .

अंत हुआ।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर