हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।सर्व प्रथम :
मुसलमान पर अनिवार्य है कि जब भी उसके पास सामर्थ्य हो वह हज्ज के फरीज़ा की अदायगी करने में शीघ्रता से काम ले। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : ''हज्ज - अर्थात अनिवार्य हज्ज - करने में शीघ्रता से काम लो, क्योंकि तुम में से कोई नहीं जानता कि उसके साथ क्या (समस्या या रूकावट) पेश आ जाए।'' इसे अहमद (हदीस संख्या : 2721) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने इरवाउल गलील (हदीस संख्या : 990) में सहीह कहा है।
तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लमका फरमान है :
''जिसने हज्ज का इरादा किया है, उसे जल्दी करना चाहिए।'' इसे अल्बानी ने सहीह अबू दाऊद (हदीस संख्या : 1524) में हसन करार दिया है।
दूसरा :
यदि औरत को उसके पति के हज्ज के फरीज़ा की अदायगी के लिए यात्रा करने से वास्तविक नुक़सान पहुँच सकता है, तो इस हालत में पति के लिए अगले साल तक हज्ज को विलंब करना जायज़ है, क्योंकि अल्लाह का फरमान है:
وَلِلَّهِ عَلَى النَّاسِ حِجُّ الْبَيْتِ مَنْ اسْتَطَاعَ إِلَيْهِ سَبِيلا [آل عمران : 97]
‘‘अल्लाह तआला ने उन लोगों पर जो उस तक पहुँचने का सामर्थ्य रखते हैं इस घर का हज्ज करना अनिवार्य कर दिया है।'' (सूरत आल-इम्रान : 97) और अपने परिवार पर भय के साथ वह सक्षम नहीं है।
लेकिन . . यदि पति के लिए संभव है कि वह उसके पास अपने रिश्तेदारों में से किसी महिला या कोई नौकरानी छोड़ दे, तो उके ऊपर अनिवार्य है कि वह हज्ज के लिए यात्रा करे, और हज्ज करने के बाद वह मक्का में लंबे समय तक न ठहरे। यदि ऐसा संभव नहीं है और उसकी पत्नी अपने साथ उसकी उपस्थिति की ज़रूरतमंद है तो उसके ऊपर हज्ज को विलंब करने में कोई आपत्ति की बात नहीं है, और वह माज़ूर (क्षम्य) समझा जायेगा।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।