हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सिर के बाल मुंडाना या कटवाना पुरूष के लिए उम्रा के वाजिबात (अनिवार्य कार्यों) में से एक वाजिब है। इसके बिना वह अपने एहराम से हलाल नहीं होगा। जो व्यक्ति उम्रा के अनिवार्य कार्यों में से कोई एक अनिवार्य कार्य छोड़ दे, तो अगर उसका समय बाक़ी है और वह उसे अदा करने में सक्षम है तो उसके लिए उसे पूरा करना ज़रूरी है। अगर उसके लिए उसे पूरा करना दुर्लभ हो जाए या उसका समय निकल चुका हैः तो अगर यह किसी उज्र (कारण) की वजह से हुआ है तो उस पर कोई गुनाह (पाप) नहीं है, और उस पर फिद्या (मुक्ति प्रतिदान) अनिवार्य है। और अगर ऐसा बिना किसी उज्र (कारण) के हुआ है तो वह गुनाहगार है और उसपर तौबा और फिद्या अनिवार्य है। फिद्या क़ुर्बानी में किफायत करनेवाली एक बकरी या ऊंट का सातवाँ भाग या गाय का सातवाँ हिस्सा है, जो मक्का में ज़बह किया जाएगा और हरम के गरीबों में वितरित कर दिया जाएगा और वह स्वयं उसमें से कुछ नहीं खाएगा।
स्थायी समिति के उलमा का कहना है :
‘’जो व्यकति हज्ज और उम्रा के अनिवार्य कार्यों में से कोई कार्य छोड दे तो उसपर एक दम (बलिदान) देना अनिवार्य है। और दम ऊंट का सातवाँ भाग या गाय का सातवाँ हिस्सा या क़ुर्बानी में किफायत करनेवाली एक बकरी है। जिसे वह मक्का में ज़बह करेगा और हरम के फक़ीरों में आवंटित कर देगा।’’ ‘‘फतावा स्थायी समिति’’ (11/342) से समाप्त हुआ।
शैख इब्ने उसैमीन से उस आदमी के बारे में पूछा गया जो तवाफ और सई करने के बाद अपने उम्रा से हलाल हो गया और उसने न सिर मुंडवाया और न बाल कटवाया। फिर उसने हज्ज का एहराम बांध लिया। तो उसपर क्या अनिवार्य है?
तो शैख ने उत्तर दिया : ‘‘प्रतीत यही होता है कि वह अपने तमत्तुअ (हज्ज) पर बाक़ी है, परंतु सिर मुंडाना या बाल कटाना छोड देने की वजह से उसपर फिद्या अनिवार्य है। फुक़हा के बीच प्रसिद्ध उस दृष्टिकोण के आधार पर कि जिसने किसी वाजिब को छोड दिया उस पर फिद्या अनिवार्य है।’’ ‘‘लिक़ाउल बाबिल मफ्तूह’’ (5/4) से संपन्न हुआ।
यह उस समय है जब उसके सिर में कुछ बाल हो जिस पर उस्तरा फेरना और उसे मूंडना संभव हो; क्योंकि उसने अपने प्रश्न में उल्लेख किया है कि वह अपना सिर मुंडवा चुका था।
लेकिन अगर वह उम्रा के लिए गया और उसने अभी-अभी अपने बाल मुंडाए हैं यहाँ तक कि उसके सिर पर कुछ भी मुंडाने के लिए नहीं बचा है तो ऐसी स्थिति में उस पर न तो सिर मुंडाना अनिवार्य है और न ही कोई फिद्या अनिवार्य है। बल्कि जब भी वह अपनी सई से फारिग़ होगा तो (एहराम की पाबंदियों से) हलाल हो जायेगा, और उस पर कोई चीज़ अनिवार्य नहीं है।
और अल्लाहतआला ही सब से अधिक ज्ञान रखता है।