हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सर्व प्रथम :
“फ़तावा अल-लजना अद-दाईमा” (17/133) में आया है :
“भौहों के बाल निकालना जायज़ नहीं है क्योंकि यही वह “नम्स” है जिसके करने वाले को अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने शापित किया है, और यह अल्लाह की रचना को बदलने का एक प्रकार है, जो शैतान का काम है। यदि किसी महिला को उसका पति ऐसा करने के लिए कहता है, तो वह उसकी बात नहीं मानेगी; क्योंकि यह एक अवज्ञा है, और सृष्टिकर्ता की अवज्ञा में किसी प्राणी की आज्ञाकारिता नहीं है। बल्कि आज्ञाकारिता केवल अच्छे कार्य में है, जैसा कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
दूसरी बात :
भौंहों के बालों को छोड़कर शरीर के सभी बालों को हटाना जायज़ है।
“फ़तावा अल-लजना अद-दाईमा” (17/130) में आया है :
“एक महिला के अपने शरीर के बालों को हटाने का प्रमाण असल (मूल सिद्धांत) पर अमल करना है, और यह कि उसे अपने पति के लिए बनाव-सिंगार (मेकअप) करने की आवश्यकता होती है। तथा 'नम्स' से निषेध के बारे में जो कुछ आया है, उसके अलावा इससे रोकने वाला कोई प्रमाण नहीं है। 'नम्स' भौंहों के बाल निकालने को कहते हैं।” उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा “फ़तावा अल-लजना अद-दाईमा” (5/197) में यह भी आया है : “दोनों भौंहों के बीच उगने वाले बालों को हटाने पर इस्लाम का क्या हुक्म (फ़ैसला) हैॽ तो लजना (समिति) ने उत्तर दिया : इसे उखाड़ना जायज़ है; क्योंकि यह भौंहों का हिस्सा नहीं है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।