शुक्रवार 21 जुमादा-1 1446 - 22 नवंबर 2024
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एक मुस्लिम की गैर-मुस्लिम महिला से शादी और इसके विपरीत का हुक्म

प्रश्न

इस्लाम के बारे में, मेरे मन में एक संदेह है, क्या आप मेरे लिए इसका निवारण कर सकते हैं? क्या इस्लाम का पालन करने वाले किसी व्यक्ति के लिए किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करना जायज़ है जो इस्लाम का पालन नहीं करता है, बिना इसके कि वह व्यक्ति शादी के बाद भी इस्लाम में परिवर्तित हो?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

एक मुसलमान के लिए किसी गैर-मुस्लिम महिला से शादी करना जायज़ है अगर वह ईसाई या यहूदी है। तथा उसके लिए किसी ऐसी गैर-मुस्लिम महिला से शादी करना जायज़ नहीं है जो इन दो धर्मों के अलावा अन्य धर्मों को मानती हो।

ईसाई या यहूदी महिला से विवाह की अनुमति के लिए प्रमाण अल्लाह तआला का यह फरमान है :

اليوم أحل لكم الطيبات وطعام الذين أوتوا الكتاب حل لكم وطعامكم حل لهم والمحصنات من المؤمنات والمحصنات من الذين أوتوا الكتاب من قبلكم إذا آتيتموهن أجورهن محصنين غير مسافحين ولا متخذي أخدان ..

المائدة: 4

“आज तुम्हारे लिए अच्छी पवित्र चीज़ें हलाल कर दी गईं और उन लोगों का खाना तुम्हारे लिए हलाल है जिन्हें किताब दी गई, और तुम्हारा खाना उनके लिए हलाल है, और ईमान वाली औरतों में से पाक-दामन औरतें तथा उन लोगों की पाक-दामन औरतें जिन्हें तुमसे पहले किताब दी गई, जब तुम उन्हें उनके मह्र दे दो, इस हाल में कि तुम विवाह में लाने वाले हो, व्यभिचार करने वाले नहीं और न चोरी-छिपे याराना करने वाले।” (सूरतुल मायदा : 4)

इमाम अत-तबरी ने इस आयत की व्याख्या में फरमाया :

 والمحصنات من الذين أوتوا الكتاب من قبلكم  "और उन लोगों में से पवित्र स्त्रियाँ जिन्हें तुमसे पहले पवित्र शास्त्र दिया गया था” का अर्थ है : उन लोगों में से स्वतंत्र महिलाएँ जिन्हें पवित्र शास्त्र दिया गया, और वे यहूदी और ईसाई हैं जिन्होंने तौरात और इंजील की शिक्षाओं का पालन किया, उन लोगों में से जो तुमसे पहले थे, ऐ मुहम्मद पर ईमान लाने वालो, चाहे अरबों में से हो या अन्य लोगों में से; तुम्हें उनसे भी शादी करने की अनुमति है,  إذا آتيتموهن أجورهن  "जब तुम उन्हें उनके मह्र दे दो।” यानी : जब तुम अपनी (मुसलमान) पवित्र महिलाओं और उन (यहूदियों और ईसाइयों) की पवित्र महिलाओं में से जिनसे शादी करते हो, उन्हें उनके मह्र दे दो।” (तफ़सीर अत-तबरी 6/104)

लेकिन उसके लिए मजूसी (पारसी) महिला, या कम्युनिस्ट महिला, या मूर्तिपूजक महिला या उनके जैसी किसी भी महिला से शादी करना जायज़ नहीं है।

इसका प्रमाण सर्वशक्तिमान अल्लाह का यह कथन है :

ولا تنكحوا المشركات حتى يؤمنّ ولأمة مؤمنة خير من مشركة ولو أعجبتكم ..

البقرة:221

“तथा मुश्रिक स्त्रियों से विवाह न करो, यहाँ तक कि वे ईमान ले आएँ और निश्चय एक ईमान वाली दासी किसी भी मुश्रिक स्त्री से उत्तम है, यद्यपि वह तुम्हें अच्छी लगे।” (सूरतुल-बक़रा : 221)।

मुश्रिक स्त्री से अभिप्राय मूर्ति-पूजक महिला है जो पत्थरों की पूजा करती है, चाहे वह अरबों में से हो या अन्य लोगों में से।

एक मुस्लिम महिला के लिए किसी अन्य धर्म के गैर-मुस्लिम पुरुष से शादी करना जायज़ नहीं है, चाहे वह यहूदी हो या ईसाई, या किसी अन्य काफिर धर्म का हो। अतः उसके लिए किसी यहूदी, या ईसाई, या पारसी, या कम्युनिस्ट, या मूर्ति-पूजक या किसी अन्य से शादी करना जायज़ नहीं है।

इसका प्रमाण सर्वशक्तिमान अल्लाह का यह कथन है :

 ... ولا تنكحوا المشركين حتى يؤمنوا ولعبد مؤمن خير من مشرك ولو أعجبكم أولئك يدعون إلى النار والله يدعو إلى الجنة والمغفرة بإذنه وبيين آياته للناس لعلهم يتذكرون

البقرة:221

“और अपनी स्त्रियों का निकाह़ मुश्रिकों से न करो, यहाँ तक कि वे ईमान ले आएँ और निश्चय एक ईमान वाला दास किसी भी मुश्रिक (पुरुष) से उत्तम है, यद्यपि वह तुम्हें अच्छा लगे। ये लोग आग की ओर बुलाते हैं तथा अल्लाह अपनी आज्ञा से जन्नत और क्षमा की ओर बुलाता है और लोगों के लिए अपनी आयतें खोलकर बयान करता है, ताकि वे शिक्षा ग्रहण करें।” (सूरतुल-बक़रा : 221)।

इमाम अत-तबरी कहते हैं :

अल्लाह तआला के कथन :  ولا تنكحوا المشركين حتى يؤمنوا ولعبد مؤمن خير من مشرك ولو أعجبكم  “और अपनी स्त्रियों का निकाह़ मुश्रिकों से न करो, यहाँ तक कि वे ईमान ले आएँ और निश्चय एक ईमान वाला दास किसी भी मुश्रिक (पुरुष) से उत्तम है, यद्यपि वह तुम्हें अच्छा लगे।” की व्याख्या :

इससे अल्लाह का मतलब यह है कि : अल्लाह ने ईमान वाली महिलाओं को किसी मुशरिक से शादी करने से मना किया है, चाहे वह मुशरिक किसी भी प्रकार के शिर्क में विश्वास रखता हो। इसलिए, ऐ ईमानवालो, अपनी महिलाओं का विवाह उनसे न करो, क्योंकि वह तुम्हारे लिए वर्जित (हराम) है। तुम्हारे लिए यह बेहतर है कि तुम उनकी शादी किसी ऐसे ईमान वाले गुलाम से कर दो जो अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखने वाला हो और जो कुछ वह अल्लाह की ओर से लाए हैं, उसपर ईमान रखता हो, यह तुम्हारे लिए बेहतर है कि तुम उनकी शादी किसी आज़ाद मुशरिक से कर दो, भले ही वह प्रतिष्ठित वंश और सम्माननीय मूल का हो, और अगरचे तुम्हें उसका वंश और कुल पसंद हो...

क़तादा और अज़-ज़ुहरी से अल्लाह तआला के कथन :  ولا تنكحوا المشركين  "और अपनी बेटियों की मुशरिकीन से शादी न करें" के संबंध में वर्णित है कि उन्होंने कहा : तुम्हारे लिए किसी यहूदी या ईसाई या मुशरिक (बहुदेववादी) से शादी करना जायज़ नहीं है, जो आपके धर्म के लोगों में से नहीं है।” (तफ़सीर अत-तबारी 2/379)।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर