हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
अल्लाह ने लोगों को अपनी आज्ञाकारिता और उपासना के लिए पैदा किया और उन्हें अपनी अवज्ञा और उल्लंघन से मना किया। तथा उन्हें आदेश दिया कि यदि उनमें से कोई पाप (अवज्ञा) कर बैठे, तो वह अल्लाह के समक्ष तौबा करने में जल्दी करे और अल्लाह की दया से निराशा न हो। तथा उनसे तौबा करने पर भरपूर बदले का वादा किया है।
बंदा कितना भी पाप कर ले और उससे कितना भी गुनाह हो जाए, फिर वह अल्लाह के समक्ष सच्ची तौबा कर ले और अल्लाह के आज्ञापालन की ओर आकृष्ट हो जाए : तो अल्लाह उसकी तौबा को स्वीकार कर लेता है, उसके पापों को मिटा देता है, उसके पदों को ऊँचा कर देता है, उसकी बुरे कार्यों को नेकियों में बदल देता है, और तौबा के बाद उसकी स्थिति पाप करने से पहले की स्थिति से बेहतर हो जाती है; क्योंकि तौबा पिछले पापों को मिटा देती है, और पाप से तौबा करने वाला उस व्यक्ति के सामान हो जाता है जिसने कोई पाप न किया हो।
सर्वशक्तिमान अल्लाह ने फरमाया :
وَالَّذِينَ لَا يَدْعُونَ مَعَ اللَّهِ إِلَهًا آخَرَ وَلَا يَقْتُلُونَ النَّفْسَ الَّتِي حَرَّمَ اللَّهُ إِلَّا بِالْحَقِّ وَلَا يَزْنُونَ وَمَنْ يَفْعَلْ ذَلِكَ يَلْقَ أَثَامًا * يُضَاعَفْ لَهُ الْعَذَابُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ وَيَخْلُدْ فِيهِ مُهَانًا * إِلَّا مَنْ تَابَ وَآمَنَ وَعَمِلَ عَمَلًا صَالِحًا فَأُولَئِكَ يُبَدِّلُ اللَّهُ سَيِّئَاتِهِمْ حَسَنَاتٍ وَكَانَ اللَّهُ غَفُورًا رَحِيمًا * وَمَنْ تَابَ وَعَمِلَ صَالِحًا فَإِنَّهُ يَتُوبُ إِلَى اللَّهِ مَتَابًا
سورة الفرقان: 68-71
"और जो लोग अल्लाह के साथ किसी दूसरे पूज्य को नहीं पुकारते और न उस प्राण को जिसे अल्लाह ने वर्जित किया है बिना अधिकार के क़त्ल करते हैं, और न ही वे व्यभिचार करते हैं। और जो ऐसा करेगा वह पाप का सामना करेगा। प्रलय के दिन उसके लिए यातना दोगुनी कर दी जाएगी तथा वह अपमानित होकर सदैव उसी में रहेगा। सिवाय उन लोगों के जो तौबा करें और ईमान लाएँ और नेक कार्य करें, ऐसे लोगों के गुनाहों को अल्लाह तआला नेकियों में बदल देता है, अल्लाह बहुता क्षमा करने वाला, दया करने वाला है। और जो व्यक्ति तौबा करे और नेक कार्य करे, वह तो (वास्तव में) अल्लाह की तरफ सच्चा पलटने वाला है।" (सूरतुल फुरक़ान: 68-71).
अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहाः अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "अल्लाह अपने बंदे की तौबा से उस आदमी से बढ़कर खुश होता है, जो नींद से उठता है तो अपने ऊँट को (सामने) पाता है, जिसे उसने एक चटियल मैदान (मरुभूमि) में खो दिया था।'' इसे बुखारी (हदीस संख्या : 5950) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2747) ने रिवायत किया है।
इब्नुल क़ैयिम रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
''यह अल्लाह का अपने बंदे की तौबा से प्रसन्न होना – जबकि उसके समान किसी अन्य आज्ञाकारिता में नहीं आया है – अल्लाह के निकट तौबा के मूल्य की महानता और उसकी प्रतिष्ठा का प्रमाण है, और यह कि उसके द्वारा अल्लाह की उपासना करना सबसे अधिक प्रतिष्ठित उपासनाओं में से है। और यह इंगित करता है कि तौबा करनेवाला उससे पहले की तुलना में अधिक परिपूर्ण हो जाता है।''
“तरीक़ुल-हिजरतैन” (पृष्ठः २४४) से उद्धरण समाप्त हुआ।
ये हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहाबा (साथी) हैं। वे इस उम्मत के सबसे नेक दिल वाले, उनमें सबसे गहरे ज्ञाने वाले, उनमें सबसे सीधे रास्ते वाले और उनमें सबसे अच्छी स्थिति वाले हैं। वे कुफ़्र और शिर्क में लिप्त थे और उनके प्रमुख लोगों में ऐसे भी थे जो अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सबसे सख़्त शत्रुता रखते थे, इसके उपरांत भी जब अल्लाह ने उन्हें अपने ऊपर ईमान लाने और अपने समक्ष तौबा करने और अपने नबी की संगति से सम्मानित किया, तो वे लोगों में सबसे श्रेष्ठ और सबसे उदार बन गए, और अपने बाद आने वाले उन लोगों से बेहतर हो गए जो कभी शिर्क (अनेकेश्वरवाद) में लिप्त नहीं हुए।
इसमें कोई संदेह नहीं कि शिर्क (बहुदेववाद) और कुफ़्र (अविश्वास) सबसे बड़े पापों और गुनाहों में से है। जबकि तौबा, ईमान और अच्छे कर्मों से, अल्लाह पापों को क्षमा कर देता है, और बुराइयों को मिटा देता है और पदों को ऊँचा कर देतता है।
शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह ने कहा :
"पाप, ईमान में कमी पैदा करते हैं। लेकिन जब बंदा तौबा करता है, तो अल्लाह उससे प्यार करता है। तथा तौबा के कारण उसका पद ऊँचा हो सकता है। अतः जिस व्यक्ति को तौबा करने की तौफ़ीक़ प्राप्त हो गई, वह ऐसा होगा जैसा कि सईद बिन जुबैर ने कहा है : “निःसंदेह एक बंदा अच्छा काम करता है और उसके कारण वह आग (नरक) में प्रवेश करता है, तथा एक बंदा बुरा काम करता है और उसकी वजह से वह स्वर्ग में प्रवेश करता है। और ऐसा इसलिए है क्योंकि वह अच्छा कार्य करता है तो वह उसकी आँखों के सामने होता है और वह उसके प्रति अभिमान (अहंकार) से ग्रस्त हो जाता है। तथा वह बुराई करता है तो वह उसकी निगाह के सामने होती है, सो वह अल्लाह से क्षमा याचना करता है और उस बुराई से अल्लाह के समक्ष तौबा करता है।”
“मजमूउल फतावा” (10/45) से उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा उन्होंने यह भी कहा :
“वह विशुद्ध (सच्ची) तौबा जिसे अल्लाह स्वीकार करता है, उसके कारण तौबा करने वाले बंदे को उस स्थिति से अधिक ऊँचा कर देता जिस पर वह पहले था, जैसा कि कुछ पूर्वजों ने कहा है : यदि तौबा उसके निकट सबसे अधिक प्रिय चीज़ न होती, तो वह अपने सबसे प्रतिष्ठित व सम्मानित सृष्टि का पाप के साथ परीक्षण नहीं करता।”
“मजमूउल फतावा” (10/293) से उद्धरण समाप्त हुआ।
उन्होंने यह भी कहा :
“आदम अलैहिस्सलाम ने तौबा की और अल्लाह की ओर रुख किया, तथा उन्होंने और उनकी पत्नी ने कहा :
رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنْفُسَنَا وَإِنْ لَمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ
“ऐ हमारे पालनहार! हमने अपने आप पर अत्याचार किया। और यदि तूने हमें क्षमा न किया और हम पर दया न की, तो हम घाटा उठानेवालों में से हों जाएंगे।” (सूरतुल आराफ़ः 23), चुनाँचे अल्लाह ने उनकी तौबा स्वीकार कर ली और उन्हें चुन लिया और उनका मार्गदर्शन किया और उन्हें पृथ्वी पर उतारा ताकि वह वहाँ उसकी आज्ञा का पालन करें। इस प्रकार अल्लाह उनके पद को ऊँचा कर दे और इसके बाद उनका स्वर्ग में प्रवेश करना पहले की तुलना में अधिक परिपूर्ण हो जाए। अतः आदम की संतान में से जिसने भी पाप किया, फिर तौबा करने में अपने पिता आदम का अनुसरण किया, वह खुशहाल रहेगा। तथा अगर उसने तौबा की और ईमान लाया और नेक कार्य किया तो अल्लाह उसकी बुराइयों को नेकियों में बदल देगा। तथा वह, अल्लाह के अन्य परहेज़गार बंदों के समान, तौबा के बाद उससे बेहतर होगा, जो वह पाप करने से पहले था।”
“मजमूउल फ़तावा (7/383)” से उद्धरण समाप्त हुआ।
इमाम मुस्लिम (हदीस संख्या : 190) ने अबू ज़र्र रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “मैं उस व्यक्ति को जानता हूँ जो सबसे अंत में स्वर्ग में प्रवेश करेगा और सबसे अंत में नरक से बाहर निकलेगा। वह एक आदमी होगा जिसे प्रलय के दिन लाया जाएगा, और कहा जाएगा : इसके छोटे पापों को इसके सामने पेश करो, और इसके बड़े पापों को मत पेश करो। चुनाँचे उसके सामने उसके छोटे पापों को पेश किया जाएगा और उससे कहा जाएगाः फलाँ और फलाँ दिन तूने ऐसा और ऐसा काम किया, तथा इस-इस दिन इस-इस तरह काम किया। वह कहेगा : हाँ, वह इनकार नहीं कर सकेगा। वह अपने बड़े-बड़े पापों से डरेगा कि कहीं वे भी पेश न कर दिए जाएँ। फिर उससे कहा जाएगा : तुझे प्रत्येक गुनाह के बदले एक नेकी प्रदान की जाती है। वह कहेगा: ऐ मेरे पालनहार! मैंने और भी पाप किए हैं जिन्हें मैं यहाँ नहीं देख रहा हूँ।” हदीस के कथनकर्ता कहते हैं किः मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को देखा कि आप हँस पड़े यहाँ तक कि आपके दाढ़ के दाँत प्रकट हो गए।
शैखुल इस्लाम ने कहा :
“जब वह देखेगा कि बुराइयों को नेकियों में बदल दिया गया है, तो वह उन बड़े पापों को देखने की इच्छा करेगा जिनके प्रकट किए जाने से वह डर रहा था। और यह बात सर्वज्ञात है कि इस परिवर्तन के साथ उसकी यह स्थिति उसकी उस स्थिति से कहीं बढ़कर है यदि उसने पाप न किए होते और यह परिवर्तन न हुआ होता।” मजमूउल फ़तावा (10/293) से उद्धरण समाप्त हुआ।
इब्नुल क़ैयिम रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
"मैंने शैख़ुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह को यह कहते हुए सुना : सही बात यह है कि तौबा करने वालों में से कुछ लोग ऐसे होते हैं जो – पाप करने से पहले की - अपनी स्थिति में वापस लौट आते हैं, तथा उनमें से कुछ लोग उस स्थिति में वापस नहीं लौट पाते हैं, जबकि उनमें कुछ ऐसे होते हैं जो उससे भी ऊँची स्थिति में वापस लौटते हैं। इस तरह वह उससे बेहतर हो जाता है जो वह पाप करने से पहले था।
तथा उन्होंने कहा : यह तौबा करने वाले की तौबा करने के पश्चात की स्थिति, उसके प्रयास और संकल्प, तथा उसकी सावधानी और कड़ी मेहनत के अनुसार होता है। यदि यह सब उसके पाप करने से पहले से बढ़कर है, तो वह पहले की तुलना में बेहतर और उच्चतम पद वाला हो जाएगा, और यदि वह पहले जैसा होगा तो वह वापस उसी तरह हो जाएगा जैसे पहले था, और यदि यह सब पहले से कम है तो वह अपनी स्थिति पर वापस नहीं होगा, बल्कि वह उससे कमतर और निम्न स्थिति का होगा।
उन्होंने जो यह उल्लेख किया है वह इस मामले से संबंधित विवाद में एक निर्णायक बात है।”
“मदारिजुस्सालिकीन” (1/302) से उद्धरण समाप्त हुआ।
उन्होंने यह भी कहा:
“बंदा विशुद्ध तौबा के बाद, पाप करने से पहले से, बेहतर स्थिति में होता है।”
“शिफाउल-अलील” (पृष्ठ 118) से उद्धरण समाप्त हुआ।
शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने कहा :
“शिर्क (अनेकेश्वरवाद) से बड़ा कोई पाप नहीं है, और मुश्रिक (अनेकेश्वरवादी) जब भी तौबा करता है अल्लाह उसकी तौबा को स्वीकार करता है और उसे क्षमा कर देता है। अतः आपको उस (पाप) से तौबा करना चाहिए जिसे आप जानते हैं कि आपने उसे किया है, और तौबा करने के बाद सभी चीजें समाप्त हो जाती हैं।”
“फतावा नूरुन अलद-दर्ब (4/40) से उद्धरण समाप्त हुआ।
अतः जिसने कोई बड़ा पाप किया, फिर उससे सच्ची तौबी कर ली और जो कुछ उसने किया था उसपर पश्चाताप किया, अल्लाह की ओर आकृष्ट हो गया, अल्लाह की अवज्ञा को छोड़ दिया, अच्छे लोगों की संगति अपनाई और दुष्ट लोगों की संगति छोड़ दी। फिर वह अपनी इसी स्थिति पर निरंतर बना रहा यहाँ तक कि उसकी मृत्यु होगई : तो अल्लाह उसे अपनी दया व कृपा से क्षमा कर देगा, उसके पद को ऊँचा कर देगा, उसकी बुराइयों को नेकियों में बदल देगा और पाप और तौबा के बाद उसकी स्थिति उससे पहले की स्थिति से बेहतर और अधिक परिपूर्ण होगी, तथा वह ऐसे बहुत-से लोगों से बहुत बेहतर होगा, जिन्होंने कोई महा पाप नहीं किया, परंतु उन्होंने अल्लाह की आज्ञाकारित में इस तौबा करने वाले के समान पहल और जल्दी नहीं की। तथा उनके दिल में वह भाव नहीं पैदा हुआ जो इस व्यक्ति के दिल में उपासना के विभिन्न भाव जैसे तौबा, पश्चाताप, आज्ञाकारिता का प्यार, अवज्ञा से घृणा, अल्लाह का भय, तथा उसकी माफ़ी और क्षमा की आशा पैदा हुई।
और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।