शुक्रवार 21 जुमादा-1 1446 - 22 नवंबर 2024
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ज़कातुल फित्र की मात्रा, और क्या उसे नक़दी के रूप में निकालना जाइज़ है ?

प्रश्न

ज़कातुल फित्र की मात्रा क्या है ? और क्या उसे ईद की नमाज़ के बाद निकालना जाइज़ है ? तथा क्या ज़कातुल फित्र को नक़दी के रूप में निकालना जाइज़ है ?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित है कि आप ने मुसलमानों पर एक साअ़ खजूर या एक साअ जौ ज़कातुल फित्र अनिवार्य कर दिया है, और यह आदेश दिया है कि उसे लोगों के - ईद की - नमाज़ के लिए निकलने से पूर्व अदा कर दिया जाये। तथा सहीहैन (सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम) में अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने फरमाया : हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ज़माने में एक साअ तआ़म (खाना),या एक साअ़ खजूर, या एक साअ जौ,या एक साअ पनीर, या एक साअ़ किशमिश देते थे . . और विद्वानों के एक समूह ने इस हदीस में "तआम" की व्याख्या गेहूं से की है। तथा दूसरे लोगों ने इसकी व्याख्या हर उस चीज़ से की है जो शहर के लोगों का भोजन (सामान्य आहार) हो, चाहे वह गेहूं हो या मक्का या इसके अलावा कोई अन्य चीज़ हो, और यही बात शुद्ध है;क्योंकि ज़कात मालदारों की ओर से गरीबों को सांत्वना और ढाढस देना है,और मुसलमान पर अपने शहर के आहार के अलावा किसी दूसरी चीज़ के द्वारा सांत्वना और ढाढस देना अनिवार्य नहीं है। तथा ज़कातुल फित्र की अनिवार्य मात्रा सभी प्रकार के (गल्लों) से एक साअ़ है,और वह दोनों भरी हुई हथेलियों से चार लप है,और वह वज़न में लगभग तीन किलो ग्राम होता है। यदि मुसलमान चावल या उसके अलावा शहर के अन्य गल्ले से एक साअ की मात्रा में ज़कातुल फित्र निकाल दे तो यह उसके लिए काफी है।

उसके निकालने का प्रारंभिक समय अठाईसवीं रमज़ान की रात है,क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम उसे ईद से एक या दो दिन पहले निकाला करते थे,और महीना कभी उंतीस दिन का होता है और कभी तीस दिन का होता है।

और उसके निकालने का अंतिम समय ईद की नमाज़ है।अत: उसे नमाज़ के बाद तक विलंब करना जाइज़ नहीं है,क्योंकि इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने रिवायत किया है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "जिस व्यक्ति ने उसे नमाज़ से पहले अदा कर दिया तो वह मक़बूल ज़कात है,और जिस आदमी ने उसे नामज़ के बाद अदा किया तो वह सामान्य सदक़ों में से एक सदक़ा है।" इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।

तथा जमहूर अहले इल्म (विद्वानों की बहुमत) के निकट क़ीमत निकालना जाइज़ नहीं है,और प्रमाण की दृष्टि से यही बात सब से शुद्ध है, बल्कि उसे खाने की चीज़ों (गल्ले) से ही निकालना अनिवार्य है,जैसा कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम तथा जमहूर उम्मत ने किया है। और अल्लाह तआला ही से प्रश्न है कि वह हमें और समस्त मुसलमानों को अपने दीन की समझ और उस पर सुदृढ़ रहने की तौफीक़ प्रदान करे, तथा अल्लाह तआला हमारे पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम,आपकी संतान और साथियों (सहाबा) पर दया और शांति अवतरित करे।

स्रोत: आदरणीय शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह, मजल्ला अल-बुहूस अल-इस्लामिय्या संख्या : 17, पृष्ठ 79-80