हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
बालों पर डाई का उपयोग करना आदतों (रीति-रिवाजों) के तहत आता है और उनमें मूल सिद्धांत यह है कि यह हलाल और अनुमेय है।
इसके आधार पर, आधुनिक रंगों और उनके अलावा अन्य रंगो के साथ बालों को डाई करना जायज़ है, जब तक कि बालों की सफ़ेदी को बदलने के लिए काले रंग से डाई न किया जाए, या उसमें अविश्वासियों की समानता (छवि) अपनाना शामिल न हो, या चिकित्सकीय रूप से उसका हानिकारक होना साबित न हो।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह के ''फतावा नूरुन अलद दर्ब'' में आया है :
''इबादत के कार्यों के अलावा अन्य चीज़ों के संबंध में मूल सिद्धांत यह है कि वे अनुमेय हैं। इसके आधार पर, महिला के लिए अपने सिर के बालों को जिस डाई से भी चाहे रंगने की अनुमति है, सिवाय इसके कि वह काला रंग हो जिससे वह अपने बालों की सफ़ेदी को गुप्त रखना चाहती हो, तो ऐसा करना जायज़ नहीं है। क्योंकि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बालों की सफ़ेदी को बदलने का आदेश दिया है और फरमया है कि : "उसे काले रंग से दूर रखो।" या यदि यह डाई ऐसा हो जो काफ़िर महिलाओं के लिए विशिष्ट हो, इस प्रकार कि यदि इस महिला को देखा जाए, तो यह कहा जाए कि वह एक अविश्वासी (काफ़िर) महिला है, क्योंकि यह रंग केवल काफिर महिला ही उपयोग करती है। ऐसे मामले में, महिला के लिए उसके साथ बालों को रंगना हराम है, क्योंकि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है : "जिसने किसी जाति की समानता (छवि) अपनाई, वह उन्हीं में से है।''
यदि यह डाई इन दो तत्वों से रहित है :
अर्थात बालों की सफ़ेदी को गुप्त रखने के लिए काले रंग का उपयोग करने।
या ऐसा डाई जो केवल नास्तिक महिलाओं के साथ विशिष्ट है : तो मूल सिद्धांत यह है कि यह अनुमेय है। अतः महिला अपने बालों को जिससे भी चाहे डाई कर सकती है।''
“फतावा नूरुन अलद दर्ब” (शामिला की नंबरिग के साथ) (2/22) से उद्धरण समाप्त हुआ।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछा गया :
''क्या बाज़ार में उपलब्ध रासायनिक रंगों के द्वारा बालों के रंग को बदलना हराम हैॽ
तो उन्होंने उत्तर दिया : जहाँ तक बालों के रंग को सफ़ेद से काले रंग में बदलने का संबंध है, तो यह जायज़ नहीं है। क्योंकि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें इससे बचने का आदेश दिया है, तथा रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से एक हदीस वर्णित है, जिसमें उस व्यक्ति के लिए कड़ी चेतावनी है जो अपने सफेद बालों को काले रंग से रंगता है।
जहाँ तक बालों के रंग को किसी अन्य रंग में बदलने का मामला है, तो ऐसा करने में कोई आपत्ति की बात नहीं है। क्योंकि इस मामले में मूल सिद्धांत अनुमत है जब तक कि उसके निषेध होने पर प्रमाण स्थापित न हो जाए। लेकिन यदि उसमें अविश्वासी महिलाओं की समानता (छवि) अपनाना पाया जाता है, तो फिर यह जायज़ नहीं है; क्योंकि अविश्वासियों की समानता (छवि) अफनाना (नकल करना) हराम है, इसलिए कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : "जिसने किसी जाति की समानता अपनाई, वह उन्हीं में से है।''
इसके अलावा, प्रश्नकर्ता ने अपने प्रश्न में उल्लेख किया है कि यह रासायनिक है। इसके आधार पर : इसके बारे में डॉक्टरों से परामर्श किया जाना चाहिए कि क्या ये डाई सिर के बालों को प्रभावित करते और उसकी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैंॽ क्योंकि यदि यह सिद्ध हो जाता है, तो इसका उपयोग करना जायज़ नहीं है।''
इब्ने उसैमीन के ''फतावा नूरुन अलद-दर्ब'' (22/2) से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह ही सबसे अधिक जानता है।