सोमवार 24 जुमादा-1 1446 - 25 नवंबर 2024
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सपनों की वास्तविकता

प्रश्न

मुझे आशा है कि आप मेरी उलझन में मेरी मदद कर सकते हैं। मैंने पाँच दिन पहले इस्तिखारा की नमाज़ पढ़ी थी। मैंने अल्लाह से सवाल किया कि क्या मैं एक गैर-मुस्लिम व्यक्ति को मुसलमान बना सकूँगा और उसे सही मार्ग दिखा सकूँगा, क्य़ोंकि मैं इस्लाम और अल्लाह से प्यार करता हूँ। मैं इस विचार के प्रति बहुत जुनूनी हूँ। क्योंकि यह जीवन में मेरी इच्छा है, चाहे यह मेरे जीवनकाल में एक बार ही के लिए सही, क्योंकि मैं अल्लाह से पूरे दिल से बहुत प्यार करता हूँ। मैंने इस्तिख्रारा की नमाज़ में अल्लाह से सवाल किया कि क्या मेरा यह सपना सच होगा, तथा मैंने उससे इसके लिए मार्गदर्शन भी मांगा।

लेकिन आज सुबह, मैंने यह सपना देखा कि मैं और मेरा चचेरा भाई एक होटल में अपनी छुट्टियाँ बिता रहे थे, और (ला हौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह) मैंने पाया कि मैं और मेरा चचेरा भाई दोनों हरे रंग की शराब (की बोतल) पकड़े हुए थे और हम उसका स्वाद लेने के लिए उत्सुक थे, और हमने (ला हौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह) वास्तव में उसका स्वाद चख लिया। थोड़ी देर बाद, मैंने अपने बड़े भाई को अंदर आते देखा, तो मैं और मेरा चचेरा भाई बहुत डर गए। तभी मैंने अपनी बड़ी बहन को काली सलवार में देखा और एक भूरा कुत्ता उसके पीछे दौड़ रहा है।

जब मैं सपना देख रहा था, तो मैं सचमुच डरा हुआ था और मुझे डर था कि मैंने कोई पाप किया है। जब मैंने अपनी आँखें खोलीं और मैं बाईं ओर करवट लेटा हुआ था, तो मुझे राहत महसूस हुई कि यह सिर्फ एक सपना था। उस समय सुबह के साढ़े पांच बज रहे थे, इसलिए मुझे उसी समय फज्र की नमाज के लिए जल्दी जाना था। जब मैं नमाज़ पढ़ रहा था, तो मैं बहुत खुश था और मुझे अपने अंदर एक खूबसूरत एहसास का आभास हुआ। यह भावना मुझे आश्वस्त कर रहा था कि अल्लाह मेरे साथ है और जानता है कि मेरे दिल में क्या है। मैंने पहले कभी इस भावना को महसूस नहीं किया और मुझे नहीं पता कि इसका क्या मतलब है। क्या मुझे सपने की बात सुननी चाहिए या अपने दिल की?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

यह बात जान लें कि सोने वाला व्यक्ति सपने में जो देखता है उसके दो प्रकार हैं : 

  1. सपने
  2. भ्रमित सपने

 भ्रमित सपनों को दो श्रेणियों में बाँटा गया है :

  1. शैतान का भय दिलाना।
  2. दिल में उठने वाले विचार

यह कहा जा सकता है कि सोने वाला व्यक्ति अपने सपने में जो देखता है उसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है :

  1. अल्लाह की ओर से सपने।
  2. शैतान की ओर से भय दिलाना।
  3. मन में आने वाले विचार।

इस विभाजन का प्रमाण सहीह मुस्लिम (हदीस संख्या : 2263) में साबित अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस है, जिसे वह नबीं सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आपने फरमाया : “जब (क़ियामत का) समय निकट आ जाएगा, तो मुसलमान का सपना झूठा नहीं होगा। तुममें से उस व्यक्ति का सपना सबसे सच्चा होगा, जो बात में सबसे सच्चे होगा। मुस्लिम का सपना नुबुव्वत के पैंतालीस भागों में से एक भाग है। और सपने तीन प्रकार के होते हैं :

सच्चा सपना अल्लाह की ओर से एक शुभ सूचना होती है।

एक सपना शैतान की ओर से दुखी करने के लिए होता है।

और एक सपना वह होता है जो आदमी अपने मन में सोचता है। इसलिए यदि तुममें से कोई व्यक्ति कोई अप्रिय सपना देखे, तो वह उठकर नमाज़ पढ़े और अपने सपने के बारे में लोगों को न बताए।”

औफ बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है वह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आपने फरमाया : "सपने तीन प्रकार के होते हैं : कुछ तो शैतान की ओर से डरावनी चीज़ें होती हैं, ताकि वह आदम के बेटे को दुखी कर सके। कुछ सपने ऐसे होते हैं कि इनसान जागते समय जिनके बारे में सोचता है, वही चीज़ें वह अपने सपनों में देखता है। और एक सपना वह है जो नुबुव्वत का छियालीसवाँ भाग है।” (सहीह सुनन इब्ने माजह : 3155)

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “सपने तीन प्रकार के होते हैं : एक अल्लाह की ओर से खुशखबरी, दूसरा मन में उठने वाली बात (कल्पनाएँ), और तीसरा शैतान की ओर से भय दिलाना। अतः यदि तुम में से कोई व्यक्ति कोई ऐसा स्वप्न देखे जो उसे अच्छा लगे, तो यदि चाहे तो उसे दूसरों को बताए, लेकिन यदि वह कोई ऐसी चीज़ देखे जो उसे अप्रिय लगे, तो वह उसके विषय में किसी को न बताए और उठकर नमाज़ पढ़े।” (सहीह सुनन इब्ने माजा, 3154)

यहाँ आपके सामने कई सहीह हदीसें प्रस्तुत की जा रही हैं, जिनमें इस बात का मार्गदर्शन है कि सपना देखने वाला अपने सपने में जो कुछ देखता है उसके क्या शिष्टाचार हैं :

1-अबू क़तादा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “अच्छे सपने अल्लाह की ओर से होते हैं और बुरे सपने शैतान की ओर से होते हैं। यदि कोई व्यक्ति कोई ऐसा सपना देखे जिससे उसे डर लगे तो वह अपनी बायीं ओर थू-थू कर दे और उसकी बुराई से अल्लाह की पनाह मांगे, तो यह उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगा।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 3292) ने रिवायत किया है।

2-अबू सलमह ने कहा : मैं सपना देखता था और उसके कारण मुझे बुखार और कंपकंपी होने लगती थी। किंतु मुझे कपड़ा नहीं ओढ़ाया जाता था, यहाँ तक कि मैं अबू क़तादा रज़ियल्लाहु अन्हु से मिला और उन्हें इसके बारे में बताया, तो उन्होंने कहा : "मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह फरमाते हुए सुना : “(अच्छा) सपना अल्लाह की ओर से होता है और (बुरा) सपना शैतान की ओर से होता हैं। अतः यदि कोई व्यक्ति कोई ऐसा सपना देखे जो उसे नापसंद हो, तो वह अपनी बायीं ओर तीन बार थूके और उसकी बुराई से अल्लाह की पनाह मांगे, तो वह उसे कभी नुकसान नहीं पहुँचाएगा।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 2261) ने रिवायत किया है।

3-अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “यदि तुम में से कोई ऐसा सपना देखे जो उसे नापसंद हो, तो उसे करवट बदल लेना चाहिए और अपनी बाईं ओर तीन बार थूकना चाहिए और अल्लाह से उसकी भलाई का सवाल करना चाहिए, और उसकी बुराई से अल्लाह की शरण लेनी चाहिए।" (सहीह सुनन इब्ने माजा)

4-जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है, वह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते है कि आपने फरमाया : "यदि तुम में से कोई ऐसा सपना देखे जो उसे नापसंद हो, तो वह अपनी बायीं ओर तीन बार थूके और तीन बार शैतान से अल्लाह की शरण माँगे। और जिस करवट लेटा हुआ था, उसे बदल ले।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 2262) ने रिवायत किया है।

5-नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें अच्छे सपनों और बुरे सपनों के बीच अंतर बताया है। अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि उन्होंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह फरमाते हुए सुना : "यदि तुम में से कोई व्यक्ति ऐसा सपना देखे जो उसे पसंद है, तो यह अल्लाह की ओर से है। इसलिए उसे इसपर अल्लाह की स्तुति करनी चाहिए और इसके बारे में लोगों को बताना चाहिए। लेकिन अगर वह इसके अलावा कोई और चीज़ देखे, जो उसे नापसंद है, तो वह शैतान की ओर से है। इसलिए उसे उसकी बुराई से अल्लाह की शरण लेनी चाहिए और किसी से उसका जिक्र नहीं करना चाहिए। क्योंकि (ऐसा करने से) वह उसे कदापि नुक़सान नहीं पहुँचा सकेगा।” इसे बुख़ारी (हदीस संख्या : 7045) ने रिवायत किया है।

इससे यह स्पष्ट हुआ कि अच्छा और सुखद सपना अल्लाह की ओर से होता है और बुरा सपना जिसे आदमी नापसंद करता है, शैतान की ओर से होता है। इसलिए उसे उसकी बुराई से अल्लाह की शरण लेनी चाहिए।

6-अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “...यदि तुममें से कोई व्यक्ति कोई ऐसी चीज़ देखे जो उसे नापसंद हो, तो वह उठ कर नमाज़ पढ़े और लोगों को उसके बारे में न बताए।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 2263) ने रिवायत किया है।

7-जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है, वह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आपने एक दीहाती से कहा जो आपके पास आया और कहा : मैंने सपना देखा है कि मेरा सिर काट दिया गया है और मैं उसका पीछा कर रहा हूँ। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसे डाँटा और फरमाया : “सोने की अवस्था (सपने) में अपने सथा शैतान के खेलने के बारे में किसी को मत बताओ।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 2268) ने रिवायत किया है।

इन हदीसों से इनसान उस व्यक्ति से संबंधित जो अपने सपने में ऐसी चीज़ देखता है जो उसे नापसंद है, सबसे महत्वपूर्ण शिष्टाचार निकाल सकता है। चुनाँचे सबसे महत्वपूर्ण शिष्टाचार इस प्रकार हैं :

1-उसे पता होना चाहिए कि यह सपना शैतान की ओर से है जो उसे दुखी करना चाहता है, इसलिए उसे उस पर ध्यान न देकर शैतान को अपमानित करना चाहिए।

2-उसे शापित शैतान से अल्लाह की शरण लेनी चाहिए।

3-वह इस सपने की बुराई से अल्लाह की शरण ले।

4-उसे अपनी बायीं ओर तीन बार थूकना चाहिए। और जो व्यक्ति इस शिष्टाचार से संबंधित हदीसों पर विचार करेगा, वह देखेगा कि फूंक मारने, थुकथुकाने और थूकने के आदेश का उल्लेख किया गया है। इसलिए शायद उसका मतलब यह है कि बंदा लार की थोड़ी-सी मात्रा के साथ फूंक मारे।

5-उसे इसके बारे में किसी को नहीं बताना चाहिए।

6-जिस करवट वह सो रहा हो, वह करवट बदल लेना चाहिए। यदि वह बायीं करवट लेटा हो तो उसे दाहिनी करवट बदल जाना चाहिए, और दाहिनी करवट हो तो बायीं करवट हो जाना चाहिए।

7-उसे उठकर नमाज़ पढ़नी चाहिए।

यदि बंदा इस शिष्टाचार का पालन करता है, तो आशा की जाती है कि यह बुरा सपना उसे नुकसान नहीं पहुँचाएगा, जैसा कि उपर्युक्त हदीसों में आया है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर