हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
यदि इससे अभिप्राय कॉफी का कुछ पदार्थ सूँघना है, तो जानबूझकर ऐसा करने से रोज़ा टूट जाएगा, क्योंकि यह मस्तिष्क तक पहुँचता है, और यह बहुत-से फुक़हा के अनुसार रोज़े को तोड़ने वाला है। और क्योंकि अधिक संभावित है कि इसका कुछ हिस्सा पेट तक पहुँच जाए। इसके अलावा, यह भी है कि यह भोजन की तरह ताकत देता है, जैसा कि प्रश्न में वर्णित है।
तथा “कश्शाफुल-क़िना' (2/318) में कहा गया है : “(या उसने सुड़का) अपनी नाक में (तेल या कुछ और, तो वह उसके गले या मस्तिष्क तक पहुँच गया), और “अल-काफी” में है : या अपने ख़ैशूम (नथने) में, तो उसका रोज़ा खराब (अमान्य) हो गया, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने रोज़ेदार को (वुज़ू करते समय) नाक में पानी चढ़ाने में अतिशयोक्ति करने से मना किया है। और क्योंकि दिमाग़ में खोखला हिस्सा होता है, और जो कुछ उस तक पहुँचता है, वह उसका पोषण करता है, इसलिए यह रोज़ा तोड़ देगा, जिस तरह कि शरीर के अन्य खोखले हिस्सों के मामले में होता है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
अगर इसका मतलब कॉफी के किसी भी हिस्से (कण) को नाक में सुड़के बिना केवल उसकी गंध को सूँघना है, तो इससे रोज़ा नहीं टूटेगा; क्योंकि सुगंध का कोई कण नहीं होता है।
“फतावा अल-लजनह अल-दाईमह” (10/271) में कहा गया है: “जो कोई रमज़ान के दिन में रोज़े की अवस्था में किसी भी तरह की ख़ुशबू लगाता है, तो उसका रोज़ा बातिल नहीं होगा, लेकिन वह धूनी और ख़ुश्बू का चूर्ण, जैसे कस्तूरी का चूर्ण, नहीं सूँघेगा।” उद्धरण समाप्त हुआ।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछा गया : रोज़ेदार के लिए रमज़ान के दिन में सुगंधित सुगंध (इत्र) का उपयोग करने का क्या हुक्म है?
तो उन्होंने उत्तर दिया : “उसके लिए रमज़ान में दिन के दौरान उनका उपयोग करने और उन्हें सूँघने में कोई हर्ज नहीं है, सिवाय धूनी (लोबान) के, जिसे नहीं सूँघना चाहिए, क्योंकि इसमें एक भौतिक कण (पदार्थ) होता है जो पेट तक पहुँचता है, और वह धुँआ है।” “फ़तावा रमज़ान (पृष्ठ : 499) से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।