सोमवार 24 जुमादा-1 1446 - 25 नवंबर 2024
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यौमुत् तर्वियह को हज्ज का एहराम बाँधने में होने वाली गलतियाँ

प्रश्न

ज़ुलहिज्जा की आठवीं तरीख (तर्वियह के दिन) हम कुछ लोगों पर दो चीज़ें नोटिस करते हैं :
1. वे लोग मस्जिदुल हराम से हज्ज के लिए एहराम बाँधते हैं।
2. वे लोग एहराम के उन कपड़ों को नहीं पहनते हैं जिनमें उन्हों ने उम्रा में एहराम बाँधा था। तो क्या यह अमल सही है या गलत ॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

यह उन गलतियों में से है जो हज्ज का एहराम बाँधने में घटित होती हैं और हम इन पर कुछ विस्तार से बात करेंगे :

शैख मुहम्मद बिन उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया :

“तर्वियह के दिन हज्ज का एहराम बाँधने में होने वाली गलतियों में से कुछ निम्नलिखित हैं :

सर्व प्रथम :

कुछ लोग यह मानते हैं कि मस्जिदुल हराम से एहराम बाँधना अनिवार्य है, अतः आप देखेंगे कि हाजी कष्ट करके मस्जिदुल हराम जाता है ताकि वहाँ से एहराम बाँधे, जबकि यह गलत सोच है, क्योंकि मस्जिदुल हराम से एहराम बाँधना अनिवार्य नहीं है, बल्कि सुन्नत यह है कि वह अपने उस स्थान से एहराम बाँधे जहाँ वह पड़ाव डाले हुए है, क्योंकि वे सहाबा जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आदेश से उम्रा करने के बाद हलाल हो गए थे, फिर उन्हों ने तर्वियह के दिन हज्ज का एहराम बाँधा था, तो वे एहराम बाँधने के लिए मस्जिदुल हराम नहीं गए थे, बल्कि हर व्यक्ति ने अपने स्थान से एहराम बाँधा था, और यह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के समय काल में हुआ था, अतः यही सुन्नत है, इसलिए हज्ज का एहराम बाँधने वाले के लिए सुन्नत यह है कि उसका एहराम उस जगह से हो जिसमें वह पड़ाव डाले हुए है, चाहे वह मक्का में हो या मिना में हो, जैसाकि आज कुछ लोग करते हैं कि वे अपने लिए जगहों की रक्षा के लिए पहले ही मिना में चले जाते हैं।

दूसरी :

कुछ हाजी यह गुमान करते हैं कि एहराम के उन कपड़ों में एहराम बाँधना सही नहीं है जिनमें उसने अपने उम्रा में एहराम बाँधा था सिवाय इसके कि वह उसे धो ले, हालाँकि यह भी एक गलत गुमान (भ्रम) है, क्योंकि एहराम के कपड़े के लिए नया या साफ सुथरा होना शर्त नहीं है, यह बात सही है कि वह जितना ही अधिक साफ सुथरा हो बेहतर है, लेकिन यह बात कि उसमें एहराम बाँधना सही नहीं है क्योंकि उसने उनमें उम्रा के अंदर एहराम बाँधा था, तो यह एक भ्रम है सही नहीं है।”

“दलीलुल अख्ता अल्लती यक़ओ फीहा अल-हाज्जो वल मोतमिरो” (हज्ज व उम्रा करने वालों से होने वाली गलतियों की मार्गदर्शिका) से समाप्त हुआ।

स्रोत: और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।